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सावधान! स्कूल बसों में सुरक्षित नहीं हैं आपके बच्चे…मुंबई के जेजे फ्लाईओवर पर हुआ भीषण बस हादसा

मुंबई: बच्चे मां-बाप के कलेजे के टुकड़े होते हैं। खासकर छोटे बच्चे जब स्कूल जाते हैं तो अभिभावकों को बच्चों की फिक्र लगी रहती है। इसलिए काफी लोग अपने बच्चों के लिए स्कूल की बस लगा देते हैं। जिससे वो सेफ्टी से स्कूल आ जा सके लेकिन जब लापरवाही की वजह से बच्चों को कुछ हो जाता है तो इस दर्द से मां-बाप का कलेजा हिल जाता है। स्कूल बस के ड्राइवर की लापरवाही की वजह से आज कई परिवारों ने अपने मासूम बच्चों को खो दिया है।
ऐसा ही एक हादसा मुंबई के जेजे फ्लाईओवर पर हुआ है। यहां बुधवार की सुबह छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के पास से अंजुमन-ए-इस्लाम स्कूल की एक बस, बच्चों को ले जा रही थी तभी ड्राइवर की लापरवाही के चलते जेजे फ्लाईओवर की साइड की दीवार से टकरा गई। इस हादसे में १२ वर्षीय छात्र अब्दुल्ला शेख समेत दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। उसे जेजे अस्पताल के न्यूरोसर्जरी वार्ड में भर्ती कराया गया है। जहां उसका इलाज चल रहा है। जबकि, २२ वर्षीय क्लीनर को जीटी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।


मिली जानकारी के मुताबिक, हादसा उस वक्त हुआ जब आरोपी बस ड्राइवर ने एक दूसरी गाड़ी को कथित तौर पर ओवरटेक करने की कोशिश की। इस मामले में पायधुनी पुलिस ने बस ड्राइवर लालू कुमार स्नथु (२४) को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच कर रही है।
पुलिस उपायुक्त मोहित कुमार गर्ग ने कहा कि बस ड्राइवर लालू कुमार स्नथु के खिलाफ पायधुनी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है और हमने उसे गिरफ्तार कर लिया है। स्नथु पर भारतीय दंड संहिता की धारा २७९, ३३७ और ३३८ के तहत लापरवाही से गाड़ी चलाने और दूसरों की जान को खतरे में डालने का मामला दर्ज किया गया है। मोटर वाहन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत भी उस पर आरोप लगाए गए हैं।

पुलिस को यह जांच करनी चाहिए कि यह दुर्घटना कैसे हुई?
अब्दुल्ला के चचेरे भाई मोहम्मद शेख (३२) ने कहा कि अल्लाह का करम है कि बस में सवार बाकी सभी बच्चे सुरक्षित हैं। उसकी चोटों के बावजूद, हम आभारी हैं कि हमारा बच्चा भी सुरक्षित है। लेकिन पुलिस को यह जांच करनी चाहिए कि यह दुर्घटना कैसे हुई?
जीटी अस्पताल के एएमओ ने कहा कि बस क्लीनर सूर्यभान कुमार (२२) को घाव और चोट के निशान (ब्लंट ट्रॉमा) हैं। वह स्थिर है और वर्तमान में सामान्य वार्ड में भर्ती है। उसकी सिर में चोट आई है और पूरे शरीर में घाव ने निशान हैं। हमें उसकी पीठ में एक कांच का टुकड़ा मिला, ऐसा लगता है कि दुर्घटना के दौरान उसे अन्य कट भी इसी से लगे थे।

आइए- आपको बताते हैं कि क्या हैं सेफ्टी रूल और स्कूल बस के नियम?
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक, स्कूल बस पीले रंग का हो, जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम और फोन नंबर लिखा होना जरूरी है। इसके साथ ही, बस के आगे और पीछे ‘ऑन स्कूल ड्यूटी’ लिखा हो। स्कूली बसों में फर्स्ट-एड-बॉक्स का होना जरूरी है। सभी खिड़कियों के बाहर हॉरिजेंटल ग्रिल होनी जरुरी है। बस में अग्निशमन यंत्र लगा हो, जिससे आग लगने की स्थिति में तत्काल एक्शन लिया जा सके। दरवाजे में ताला लगा हो और सीटों के बीच पर्याप्त जगह होनी चाहिए। इसके अलावा, चालक को कम से कम पांच साल का वाहन चलाने का अनुभव हो। ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस और ट्रांसपोर्ट परिमट होना चाहिए।
स्कूल बस में एक अटेंडेंट होना चाहिए इसके साथ ही अधिकतम स्पीड ४० किमी प्रति घंटा होनी चाहिए। स्कूली बस के ड्राइवर को हमेशा नेम प्लेट यूनिफॉर्म में होना चाहिए। इसके साथ ही बच्चों के बैग को छत के कैरियर पर नहीं रखा होना चाहिए। बस में सीट के नीचे बैग रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। स्कूल की बसों में जीपीएस और सीसीटीवी भी लगा होना चाहिए और उसकी ६० दिन की फुटेज सुरक्षित होनी चाहिए। किसी भी ड्राइवर को रखने से पहले उसका सत्यापन कराने की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की है। जिसमें ड्राइवर का कोई चालान नहीं होना चाहिए और न ही उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज हो।