नागपुरब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरराजनीतिशहर और राज्य महाराष्ट्र में कोरोना का कहर जारी, देवेंद्र फडणवीस बोले- सीएम उद्धव ठाकरे नए और डरे हुए हैं! 21st May 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर उद्धव ठाकरे पर जुबानी हमला किया है।गौरतलब है कि राज्य में कोरोना ने जेल हो या अस्पताल हर जगह दस्तक दे दी है। फडणवीस ने कहा कि मुंबई में स्थिति ‘आउट ऑफ द हैंड’ यानी काबू के बाहर नजर आ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार कोरोना वायरस को लेकर असमंजस की स्थिति में है। उद्धव ठाकरे को यह नहीं समझ आ रहा है कि वह स्थितियों पर काबू पाने के लिए क्या फैसला लें, वह बहुत डरे हुए हैं।फडणवीस ने महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगाया कि शुरू से ही गलतियां होती रही हैं और गलत नीति अपनाई गई है। उन्होंने कहा कि सरकार में फैसला लेने की क्षमता का अभाव है, गठबंधन पार्टी में समन्वय नहीं है और अधिकारियों में भी समन्वय की कमी है, जिसकी वजह से हालात इतने खराब हुए। फडणवीस ने कहा, हालात बिगड़ने के लिए गठबंधन सरकार तो वजह है ही, साथ ही ब्यूरोक्रेसी पर पूरी तरह निर्भर होने की वजह से भी ऐसा हुआ।उन्होंने कहा कि सीएम नए हैं और फैसला लेने में डरते हैं इसलिए ब्यूरोक्रेसी अपने हिसाब से फैसला लेती है। पूर्व सीएम ने कहा, कोविड के बाद भी प्रवासी मजदूर वापस आएगा या नहीं इसे लेकर भी डर है। उनके वापस आने के आसार नहीं दिख रहे हैं। कोविड के बाद भी अगर मजदूर वापस नहीं आएंगे तो उद्योगों पर बुरा असर पड़ेगा। फडणवीस ने कहा कि मुंबई का मजदूर उनकी जगह नहीं ले पाएगा। खास तरह की इंडस्ट्री में काम करने वाले अलग-अलग मजदूर हैं और उन्हें एक दिन में रिप्लेस नहीं कर सकते। स्किल्ड लेबर को तो बिल्कुल भी रिप्लेस नहीं कर सकते हैं।महाराष्ट्र सरकार ने शुरू से ही गलतियां की हैं। जब पहला लॉकडाउन शुरू हुआ तो यह सही से लागू नहीं हो पाया क्योंकि सप्लाई चेन सही से काम नहीं कर पाई। केंद्र सरकार ने राशन दिया लेकिन तब भी यहां मार्च-अप्रैल में उन लोगों को राशन नहीं मिला, जिनके पास राशन कार्ड थे। मई में उन्हें राशन मिला। जिनके पास राशन कार्ड नहीं थे उन्हें सरकार ने राशन देने की बजाय पका खाना देने का फैसला किया और उसे भी सरकार लोगों तक नहीं पहुंचा पाई। कोरोना टेस्ट में भी दिखाई लापरवाही?फडणवीस ने कहा, जब वर्ली में संक्रमण तेजी से फैला तो सरकार ने घबराकर फैसला लिया कि उन लोगों के टेस्ट नहीं किए जाएंगे, जिनमें लक्षण नहीं है और हाई रिस्क कॉन्टैक्ट के बावजूद लोगों का टेस्ट नहीं हुआ। हॉस्पिटल में कई ऐसे मामले आए जिनका टेस्ट नहीं हुआ, फिर जब उनकी मौत हो गई तो उन्हें कोरोना संदिग्ध बताकर बॉ़डी रिलीज कर दी। एक ही हॉस्पिटल से ऐसे 44 केस सामने आए। कैसे इलाज का खर्च उठाएंगे लोग?फडणवीस ने कहा, सरकार ने हॉस्पिटल के रेट फिक्स किए हैं। हर दिन आईसीयू का ही खर्चा 10 हजार रुपये हैं। नॉर्मल एडमिट होने पर भी प्रति दिन का रेट 4-5 हजार रुपये फिक्स है। सरकारी हॉस्पिटल में जगह नहीं है और प्राइवेट हॉस्पिटल हर दिन का 25-30 हजार रुपये ले रहे हैं, प्राइवेट हॉस्पिटल के आईसीयू में भी आधे बेड खाली हैं। कोरोना की चपेट में आने वाले ज्यादातर वह लोग हैं जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं, वह कैसे हॉस्पिटल का खर्चा उठाएंगे? वापस लौटने को मजबूर हुए प्रवासी मजदूरबीजेपी नेता ने कहा, प्रवासी मजदूरों को लेकर भी सरकार ने बहुत गलतियां कीं। पहले उन्हें राशन नहीं मिला। फिर ट्रेन जाने की अनाउंसमेंट हुई तो लोगों की भीड़ जमा हो गई और इसमें सरकार की भूमिका रही कि जितने लोग जा सकते हैं, उन्हें निकाल दें। जब हल्ला हुआ तो कुछ मजदूरों को बॉर्डर तक ले जाकर छोड़ा। महाराष्ट्र के भीतर भी मुंबई से लोग पैदल अपने गांव गए। आंकड़े को देख टेंशन में उद्धव सरकारदेश में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या 1 लाख के पार पहुंच चुका है। एक्टिव केस के मामले में भारत दुनिया में 5वें नंबर पर पहुंच गया है। एक्टिव केस की बात करें तो यहां भारत ने इटली को पीछे छोड़ दिया है। भारत में कोरोना के एक तिहाई मामले महाराष्ट्र से हैं। देश में हर 5 में दो मौतें महाराष्ट्र में ही हो रही हैं। बुधवार शाम साढ़े 5 बजे तक महाराष्ट्र में 37,136 केस थे और वहां 1,325 लोगों की मौत हो चुकी थी। इनमें से अकेले मुंबई से 22,746 केस सामने आए थे। मंगलवार को मुंबई में अकेले 1,411 नए केस दर्ज किए गए थे। Post Views: 185