दिल्लीदेश दुनियाब्रेकिंग न्यूज़ अंतरिक्ष में भारत की ‘तीसरी आंख’ बनेगा ‘आरआईसैट-2 बी’, बादलों के पार भी रख सकेगा नज़र 22nd May 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this श्रीहरिकोटा, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार अल सुबह हर मौसम में काम करने वाले रडार इमेजिंग निगरानी उपग्रह ‘आरआईसैट-2बी’ का पृथ्वी की निचली कक्षा में सफल प्रक्षेपण कर दिया। करीब सात साल के लंबे अंतराल के बाद भारत ने इस तरह के निगरानी सैटलाइट का प्रक्षेपण किया है। आरआईसैट-2बी के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत अब खराब मौसम में भी देश के अंदर, दुश्मन देशों और भारतीय सीमाओं की निगरानी कर सकेगा। यही नहीं भारत अब बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसे अभियानों की आसानी से तस्वीर ले सकेगा।इसरो की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, पीएसएलवी-सी46 रॉकेट के 48वें मिशन के जरिए सुबह साढ़े पांच बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आरआईसैट-2बी को प्रक्षेपित किया गया। इस उपग्रह का भार 615 किलोग्राम है और इसे प्रक्षेपण के करीब 15 मिनट बाद पृथ्वी की निचली कक्षा में छोड़ा गया। आरआईसैट-1 लॉन्च को Risat-2 के लॉन्च पर प्राथमिकता देते हुए 2008 मुंबई आतंकी हमले के बाद टाला गया था।इसरो निगरानी उपग्रहों की पूरी फौज तैयार करने जा रहा आरआईसैट-2बी के प्रक्षेपण के बाद अब इसरो निगरानी उपग्रहों की एक पूरी फौज तैयार करने जा रहा है। इसके तहत इसरो आने वाले समय में RISAT-2BR1, 2BR2, RISAT-1A, 1B, 2A समेत कई उपग्रह प्रक्षेपित करेगा। इसरो ने वर्ष 2009 और 2012 में इस श्रेणी के दो उपग्रह लॉन्च किए थे। इसके बाद अब वर्ष 2019 में ही इसरो की चार से पांच निगरानी उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना है। विशेषज्ञों के मुताबिक पृथ्वी की निचली कक्षा (लो अर्थ ऑर्बिट) में चक्कर काटते इन सैटलाइट की मदद से भारत अब पूरे देश और पड़ोसी देशों पर व्यापक निगरानी कर सकेगा। चाहे आकाश में बादल छाए हों या अंधेरा हो, आरआईसैट-2बी उपग्रह आसानी पृथ्वी की बेहद साफ तस्वीरें ले सकेगा। इसके कैमरे की नजर से कुछ भी बच नहीं सकेगा। इस सैटलाइट में में एक्टिव सेंसर लगे हैं। यह उपग्रह करीब 5 साल तक काम करेगा। बालाकोट जैसे एयर स्ट्राइक करने में आसानी होगी इसका 300 किलोग्राम वजनी इजरायल निर्मित सैटेलाइट का सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) दिन और रात दोनों में ही बेहद सटीक तरीके से काम करता है। इससे देश के सुरक्षा बलों को बालाकोट जैसे एयर स्ट्राइक करने में आसानी होगी। यही नहीं ये सैटलाइट सीमा पर बने नए बंकर और सैन्य आधारभूत ढांचे को आसानी से पहचान लेते हैं और उनकी गिनती करने में मदद करते हैं। इसके अलावा आपदा प्रबंधन में भी आरआईसैट-2बी से बड़ी मदद मिलेगी। इस तरह की निगरानी तकनीक बहुत कम देशों के पास है। जानकारों का मानना है कि रडार इमेजिंग सैटलाइट को असेंबल करना बेहद मुश्किल है और इससे मिलने वाली तस्वीरों का विश्लेषण करना और भी ज्यादा मुश्किल है। इसरो को RISAT-1 से मिलने वाले डेटा को समझने में ही काफी वक्त लग गया था। रडार इमेजिंग सैटलाइट अन्य साधारण सैटलाइट की तुलना में ज्यादा हैवी डेटा अंतरिक्ष से भेजते हैं। फसलों के उत्पादन का अनुमान लगाना होगा असान उन्होंने बताया कि आरआईसैट-2बी की मदद से फसलों के उत्पादन का अनुमान लगाना असान होगा। भारत में फसल का मुख्य मौसम खरीफ (मई से सितंबर) है। उस समय आकाश में बादल छाए रहते हैं और देश में बारिश होती रहती है। इसरो अब इस निगरानी उपग्रह की मदद से आसानी से मिट्टी, जमीन के इस्तेमाल का पता लगा सकेगा। साथ ही बाढ़ और तूफान में हुए नुकसान का अनुमान लगा सकेगा। ?? #ISROMissions ??#PSLVC46 successfully injects #RISAT2B into Low Earth Orbit.Here's the view of #RISAT2B separation captured by our onboard cameraOur updates will continue. pic.twitter.com/WUTBdNH2XJ— ISRO (@isro) May 22, 2019 Post Views: 209