ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई उपनगरमुंबई शहरशहर और राज्य कोरोना से मरे मुस्लिम शख्स का श्मशानभूमि में हुआ दाह संस्कार, कब्रिस्तान में नहीं दिया दफनाने 3rd April 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई: कोरोना वायरस के वैश्विक कहर के बीच संक्रमित मृतकों के अंतिम संस्कार में भी कई तरह की परेशानियों की खबरें लगातार आ रही हैं। इस बीच एक ऐसा ही मामला मुंबई के मलाड से आया है, जहां कोरोना पॉजिटिव शख्स की मौत के बाद उसके शव को दफनाने से मना कर दिया गया।दरअसल, मलाड के कोरोना वायरस से मरने वाले 65 वर्षीय मुस्लिम शख्स के परिवार वालों ने आरोप लगाया कि उसके शव को कब्रिस्तान के न्यासियों ने दफनाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उसका अंतिम संस्कार हिन्दू श्मशान घाट पर किया गया। यह घटना बुधवार की बताई जा रही है। मालवणी के कलेक्टर परिसर में रहने वाले 65 वर्षीय कोरोना मरीज की मौत बुधवार तड़के जोगेश्वरी स्थित नगरपालिका द्वारा संचालित अस्पताल में हो गई थी, जिसके बाद शव को दफनाने के लिए मलाड के कब्रिस्तान ले जाया गया था। कब्रिस्तान के ट्रस्टियों ने नहीं दी दफन करने की इजाजतमृतक के परिवार के सदस्यों में से एक ने आरोप लगाया कि जब उसके शव को मलाड मालवणी कब्रिस्तान के पास ले जाया गया, तो उसके ट्रस्टियों ने शव को दफनाने से इनकार कर दिया, क्योंकि मृतक कोरोना पॉजिटिव था। उसने आगे कहा कि महानगरपालिका ने बुधवार तड़के 4 बजे शव को दफनाने की अनुमति दी थी, फिर ऐसा हुआ। श्मशान घाट में हुआ दाह संस्कारपरिवार के सदस्य ने कहा कि स्थानीय पुलिस और एक राजनेता ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की और उन्होंने दफनाने के लिए ट्रस्टियों से गुहार भी लगाई, मगर तब भी वे नहीं माने। इसके बाद कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हस्तक्षेप किया और मुस्लिम परिवार से नजदीक के हिन्दू श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करने का अनुरोध किया, जिस पर परिवार वाले मान गए और तब जाकर सुबह 10 बजे शख्स का अंतिम संस्कार किया गया। मंत्री असलम शेख ने क्या कहामहाराष्ट्र के मंत्री और स्थानीय विधायक असलम शेख ने कहा कि सरकार के गाइडलाइन्स के मुताबिक, अगर किसी मुस्लिम शख्स की मौत कोरोना वायरस के संक्रमण से हो जाती है तो उसके शव को उस स्थान के नजदीक स्थित कब्रिस्तान में दफनाया जाना चाहिए, जहां मरीज का निधन हुआ हो। आगे उन्होंने कहा कि मगर इस मामले में मृतक के परिवार के लोग शव को सीधे मलाड वेस्ट के मालवणी कब्रिस्तान लेकर पहुंच गए। उन्होंने कब्रिस्तान के न्यासियों सहित किसी को भी इस बारे में सूचना नहीं दी थी और फिर शव को दफनाने की मांग करने लगे।उन्होंने कहा कि इस मामले से जुड़े निकाय कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने सरकारी गाइडलाइन्स के बावजूद शव को मलाड मालवणी कब्रिस्तान ले जाने दिया। आगे उन्होंने यह भी कहा कि एक दिन पहले ही यहां एक अन्य शख्स को दफनाया गया था, जिसकी मौत कोरोना के संक्रमण के कारण हुई थी। बेटे ने कहा, कोई मदद को आगे नहीं आयावहीं, मृतक के बेटे ने कहा कि मेरे पिता को अस्पताल में मृत घोषित किए जाने के बाद कोई भी मेरी मदद करने नहीं आया। मैं तीन घंटे से अधिक समय तक अस्पताल के बाहर शव के पास बैठा रहा। हम चाहते थे कि शव को मलाड मालवानी कब्रिस्तान में दफनाया जाए। मगर जब हम वहां पहुंचे, न्यासियों ने यह कहकर हमें शव दफनाने से मना कर दिया कि वो कोरोना से संक्रमित थे। उसने आगे कहा कि पुलिस और अन्य अधिकारियों के दखल देने के बाद शव का हिन्दू के श्मशानभूमि पर अंतिम संस्कार किया गया। Post Views: 191