दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरराजनीतिशहर और राज्य जानिए- शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का फोटोग्राफर और संपादक से सीएम तक का सफर… 28th November 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई: गुरुवार को मुंबई के शिवाजी पार्क में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। पार्टी के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के बाद पार्टी की कमान संभालने वाले उद्धव ठाकरे के लिए यह बड़ी जीत का पल है। उद्धव ठाकरे का जन्म 27 जुलाई 1960 को मुंबई में हुआ था। उन्हें 2003 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। राजनीति में कदम रखने से पहले उद्धव पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ का काम देखते थे। उद्धव ठाकरे प्रफेशनल फोटोग्राफर और लेखक हैं। उनका काम दर्जनों पत्रिकाओं और किताबों में देखा जा सकता है। बेटे आदित्य को बनाया परिवार का पहला विधायकउद्धव की शादी एक बिजनसमैन माधव पाटनकर की बेटी रश्मि से 13 दिसंबर 1989 को हुई थी। रश्मि ने 1987 में एलआईसी में काम करना शुरू किया जहां उनकी मुलाकात एमएनएस चीफ राज ठाकरे की बहन जयवंती से हुई। बाद में रश्मि उद्धव से मिलीं। शादी के बाद दोनों के दो बेटे- आदित्य और तेजस हुए। आदित्य जहां दादा बालासाहेब और पिता उद्धव ठाकरे के नक्शे कदम पर चलते हुए कम उम्र में ही राजनीति में आ गए, वहीं तेजस इससे ठीक उलट लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करते हैं। आदित्य ऐसे पहले ठाकरे भी बन गए जिन्होंने चुनावी मैदान में कदम रखा और वर्ली विधानसभा सीट से विजयी होकर विधायक बन गए। वहीँ तेजस अमेरिका में पढाई कर रहे है। पहली बार दिलाई थी सफलता2012 में बाल ठाकरे के निधन के बाद उद्धव शिवसेना के अध्यक्ष बने थे। उद्धव ठाकरे को पहली बार 2002 में बृहन मुंबई नगर निगम के चुनावों की जिम्मेदारी सौंपी गई और शिवसेना को इसमें भारी सफलता मिली। हालांकि, इस दौरान उद्धव ज्यादातर वक्त ‘सामना’ को ही दे रहे थे। इसके बाद 2004 में बाल ठाकरे ने अपने भतीजे राज ठाकरे को दरकिनार करते हुए उद्धव ठाकरे को शिवसेना का अगला मुखिया घोषित कर दिया था। उससे पहले, 2003 में उद्धव ठाकरे को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष घोषित कर दिया गया था। दिलचस्प बात यह है कि उद्धव अपनी जिंदगी के पहले 40 साल पार्टी से दूर रहे थे और उन्हें कोई नहीं जानता था। उद्धव के पार्टी का अध्यक्ष बनने से हर कोई हैरान था। तब तक माना जाता था कि उनके चचेरे भाई राज ठाकरे इस पद पर होंगे, लेकिन बालासाहेब के फैसले ने सबको हैरान कर दिया। राज ने बाद में अपनी खुद की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) बना ली। यहां तक कि पार्टी के सीनियर नेता और पूर्व सीएम नारायण राणे ने भी उद्धव से मतभेदों के चलते पार्टी छोड़ दी थी।रुख बदला तो पाई CM की कुर्सीमाना जाता है कि उद्धव ने पार्टी की कमान संभालने के बाद कट्टर हिंदुत्ववादी स्टैंड को नरम किया। शायद यही वजह रही कि कांग्रेस और एनसीपी जैसी पार्टियां विचारधारा में टकराव के बावजूद शिवसेना के साथ गठबंधन करने का फैसला कर सकीं। इस बार के विधानसभा चुनाव में पहली बार ठाकरे परिवार के किसी सदस्य (अपने बेटे आदित्य ठाकरे) को चुनाव के मैदान में उतारकर उन्होंने पहले ही दशकों पुरानी परंपरा तोड़ दी। अब सीएम पद संभालने के साथ ही पार्टी की ‘रिमोट कंट्रोल’ राजनीति से बाहर आकर सत्ता चलाने की जो रीति उद्धव ने चलाई है, उस पर पूरे महाराष्ट्र की नजरें टिकी रहेंगी। Post Views: 196