दिल्लीशहर और राज्यसामाजिक खबरें पत्नियों के गुजारा भत्ता मांगने पर पति दरिद्र हो जाते हैं : सुप्रीम कोर्ट 22nd January 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this नयी दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जब अलग हो चुकी पत्नी गुजारे भत्ते की मांग करती है तो पति कहना शुरू कर देते हैं कि वह दरिद्रता में जी रहे हैं या फिर दिवालिया हो चुके हैं। सर्वोच्च अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब हैदराबाद के एक बड़े अस्पताल में काम कर रहे डॉक्टर को हिदायत दी कि वह अपनी नौकरी इसलिए नहीं छोड़ दे कि उसकी अलग हो चुकी पत्नी गुजारा-भत्ता मांग रही है। जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता की खंडपीठ ने विगत सोमवार को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इन्कार कर दिया। हाईकोर्ट ने डॉक्टर को अपनी अलग रह रही पत्नी को 15,000 रुपये का अंतरिम गुजारा भत्ता देने को कहा था। सर्वोच्च अदालत की खंडपीठ ने तल्ख लहजे में कहा कि आप बताइये की आज के जमाने में सिर्फ 15 हजार रुपये प्रति माह में एक बच्चे का खर्च कैसे उठाया जा सकता है। आजकल के जमाने में जैसे ही पत्नियां भत्ता देने की बात करती हैं, पति कहना शुरू कर देते हैं कि वह गरीबी के दलदल में हैं या फिर दिवालिया हो चुके हैं। कोर्ट ने कहा कि चूंकि आपकी पत्नी गुजारा भत्ता मांग रही है, आप अपनी नौकरी मत छोड़ देना। इससे पूर्व, याचिकाकर्ता पति के वकील ने कहा कि अंतरिम गुजारे भत्ते की धनराशि बहुत ज्यादा है। सुप्रीम कोर्ट अब हाईकोर्ट के आदेश को रद कर दे। गौरतलब है कि पिछले साल 29 अगस्त को हैदराबाद में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के 15 हजार रुपये के मासिक गुजारा भत्ता देने के आदेश को खारिज करने से इन्कार कर दिया था। दंपति ने विगत 16 अगस्त, 2013 को शादी की थी और उनकी एक संतान है। तलाक की प्रक्रिया के दौरान गुजारा भत्ते की अर्जी पर पत्नी ने अपने और अपने बच्चे के पालन-पोषण के लिए 1.10 लाख रुपये की मांग की है। पत्नी का दावा है कि पति का मासिक वेतन 80 हजार रुपये है। जबकि दो लाख रुपये की रेंटल आय उसे अपने घर और कृषि भूमि से होती है। Post Views: 203