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प्रेरणादायक कहानी : कहीं स्त्री से भी बैल का काम लिया जाता है?

काशी के छोटे से एक गांव में गोपाल नाम का किसान रहता था | उसके पास थोड़ी-बहुत खेती-बाड़ी थी | उससे उसे जो कुछ मिलता था वह उसी से गुजारा कर लेता| वह कभी भी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाता था |

संयोग की बात है | एक दिन गोपाल का एक बैल मर गया | बेचारा किसान काफी परेशांन हो गया | जुताई का समय था खेत को जोतना जरुरी था | समय निकल जाने के पश्चात खेत जोतने से कोई लाभ नहीं होता | एक बैल के मर जाने से उसके पास ही एक ही बैल बचा | वह बड़ी परेशानी में बैठा हुआ था, उसे इस प्रकार बैठा देख उसकी पत्नी ने उससे पूछा– क्या बात है! इस प्रकार मुंह लटकाए बैठे हो |

गोपाल ने कहा- अरे क्या बताऊं ! जुताई का समय है | एक बैल के मर जाने से एक बैल से खेत जोतना असंभव है | इसी चिंता में बैठा हूं…|

पत्नी ने कुछ सोचकर कहा– देखो जी! हमारे पास एक बैल तो है ही, जुताई में दूसरे बैल के स्थान पर मैं लग जाती हूं | इस प्रकार हमारा काम भी हो जाएगा | गोपाल ने काफी सोचा इसके अलावा उसे कोई चारा नजर नहीं आया | वह पत्नी को लेकर खेतों पर आया और हल के जुए में एक ओर बैल जोता और दूसरी और अपनी स्त्री को और काम करने लगा |
अचानक उसी समय उस राज्य का राजा अपने रथ में उधर से गुजर रहा था | उसकी निगाह खेत पर काम कर रहे गोपाल पर पड़ी | जिसने हल के जुए में एक तरफ बैल और दूसरी तरफ स्त्री को जोत रखा था | राजा को यह देखकर बड़ा आश्चर्य, साथ ही दु:ख भी हुआ | वह अपने रथ को रोककर गोपाल के पास जाकर बोला- यह तुम क्या कर रहे हो?

गोपाल ने निगाह उठाकर उसकी ओर देखा और बोला– मेरा बैल मर गया है | और मुझे खेत जोतना जरूरी है | राजा ने कहा- भले मानस ! कहीं स्त्री से भी बैल का काम लिया जाता है |

गोपाल बोला – क्या करूं ! इसके अलावा मेरे पास कोई अन्य उपाय भी तो नहीं है |
राजा कहने लगा – तुम ऐसा करो | मेरा एक बैल ले आओ |
गोपाल बोला – किंतु; मेरे पास इतना समय नहीं है |

राजा बोला- सुनो भाई ! तुम इस स्त्री को बैल लाने भेज दो | जब तक यह आएगी | तब तक मैं उसकी जगह काम करूंगा |

गोपाल की स्त्री ने कहा – तुम तो बैल देने को तैयार हो, पर तुम्हारी पत्नी ने इनकार कर दिया तो |
राजा बोला- तुम चिंता मत करो ऐसा नहीं होगा |
गोपाल राजी हो गया | उसकी स्त्री बैल लेने चली गई और राजा ने हल का जुआ अपने कंधे पर रख लिया |

किसान की स्त्री राजा के महल में पहुंची और उसने रानी के पास जाकर राजा की बात कही | तो वह बोली- अरी बहन ! एक बैल से कैसे काम चलेगा तुम्हारा | तुम्हारा बैल तो कमजोर होगा | हमारा बैल मजबूत है | दोनों साथ काम नहीं कर पाएंगे | तुम हमारे दोनों बैल ले जाओ |

स्त्री को बड़ा आश्चर्य हुआ | उसे तो डर था कि वह कहीं एक बैल देने से इंकार न कर दे यहां तो एक छोड़ रानी…दोनों बैलों को देने को राजी हो गई |

स्त्री दोनों बैलों को साथ लेकर आई और पूरे खेत की बुवाई हो गई | कुछ समय पश्चात फसल हुई | गोपाल ने देखा तो वह आश्चर्य में पड़ गया | सारे खेत में अनाज पैदा हुआ है; किंतु जितनी जमीन पर राजा ने हल चलाया था और उसका पसीना बहा था | इतनी जमीन पर मोतियाँ उगी थी |

यह सच्ची मेहनत का फल था | जहां राजा अपनी प्रजा की भलाई के लिए अपना पसीना बहाता है | वहां ऐसा ही फल प्राप्त होता है|