चुनावी हलचलदिल्लीब्रेकिंग न्यूज़राजनीतिशहर और राज्य बिहार विधानसभा चुनाव: नीतीश कुमार ने क्यों छोड़ा ‘राजनीति से संन्यास’ का ‘ब्रह्मास्त्र’? 5th November 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार के अंतिम दिन अपने अंतिम सभा में सीएम नीतीश कुमार ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि यह उनका आखिरी चुनाव है। आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? क्योंकि कुछ दिन पहले ही नीतीश कुमार ने राजनीति के संन्यास लेने की सवाल पर कहा था कि जब तक जनता चाहेगी तब तक वो राजनीति में रहेंगे। तो क्या इसका अर्थ यह निकाला जाए कि मुख्यमंत्री नीतीश को यह आभास हो चुका है कि वह चुनाव हार रहे हैं। या, फिर सीमांचल के क्षेत्र में नीतीश कुमार ने इमोशनल कार्ड खेला है।दरअसल, पूर्णिया के धमदाहा में चुनावी सभा को संबोधित कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए के पक्ष में वोट मांगते हुए यह कहा कि यह उनका अंतिम चुनाव है इसलिए अंत भला तो सब भला। उन्होंने जनता से अपील की कि वह NDA के पक्ष में मतदान करें और उन्हें फिर से काम करने का मौका दें।मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद बिहार के राजनीतिक गलियारों के साथ-साथ देश में भी नीतीश के संन्यास लेने की बात पर चर्चा शुरू हो चुकी है। नीतीश की इस भावुक अपील के बाद बिहार में पूछा जाने लगा कि क्या नीतीश को एक आखिरी मौका मिलेगा। इसके अलावा नीतीश की इस अपील को तीसरे चरण के लिए ब्रह्मास्त्र के तौर पर देखा जा रहा है। नीतीश के ब्रह्मास्त्र का क्या है मतलब, क्या है आम लोगों में चर्चाबिहार चुनाव प्रचार का आज आखिरी दिन रैलियों-भाषण बाजी और जनसभाओं का दौर थम गया है। लेकिन चुनाव प्रचार के अंतिम दिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जो संन्यास का ब्रह्मास्त्र छोड़ा है, उसका शोर अब पूरे देश में सुनाई देने लगा है। नीतीश कुमार ने कहा कि, यह मेरा आखिरी चुनाव है। नीतीश कुमार के इस बयान के बाद विपक्ष ने कई तरह की बातें बोलना भी शुरू कर दिया है। विपक्ष ने नीतीश कुमार के इस बयान को चुनाव में हार को देखते हुए घुटने टेकने वाला बताया है तो, आम लोगो में यह चर्चा है कि नीतीश के बाद जदयू की कमान कौन संभालेगा। आम लोगों के बीच चर्चा यह भी है कि नीतीश कुमार के बाद उनकी पार्टी जेडीयू का बीजेपी में विलय हो जाएगा। हालांकि सत्ता पक्ष की ओर से नीतीश के इस बयान पर यह कहा जा रहा है कि यह नीतीश कुमार ही हैं जो सार्वजनिक मंच से अपने रिटायरमेंट की बात कह सकते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज अपने रिटायरमेंट की घोषणा करते हुए सत्ता के साथ-साथ विपक्षी दलों को भी चौंका दिया है। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार को विधानसभा में हार का आभास हो चुका इसलिए उन्होंने अपने रिटायरमेंट की बात कही है। इसके अलावा चर्चा यह भी हो रही है कि अपने ऊपर लगातार हो रहे हमले से नीतीश कुमार बेहद दुखी हैं और अब वह बिहार की राजनीति नहीं करना चाहते। इसलिए वह विधानसभा चुनाव के बाद केंद्र सरकार में मंत्री का पद संभाल सकते हैं और उसके बाद नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते ही वह उपराष्ट्रपति भी बन सकते हैं। राजनीतिक सूत्र यह भी बताते हैं कि अगर बिहार में एनडीए की सरकार बनती भी है तो नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की शपथ जरूर लेंगे लेकिन, 6 महीने बाद वह खुद ही बीजेपी के हाथ सत्ता सौंपकर दिल्ली कूच कर जाएंगे। सूत्र ने यह भी बताया कि नीतीश कुमार के बाद बीजेपी की ओर से केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय बिहार के नए मुख्यमंत्री बन सकते हैं। तीसरे चरण के चुनाव में एनडीए की साख दांव पर7 नवंबर को होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव का तीसरा चरण एनडीए के लिए काफी महत्वपूर्ण है। दरअसल तीसरे चरण की 78 सीटों में से 45 पर वर्तमान एनडीए का कब्जा है, जिनमें से जेडीयू के पास सबसे ज्यादा 25 सीटें हैं और बीजेपी के पास 20 सीटें हैं। वहीं, दूसरी ओर अभी के महागठबंधन में शामिल आरजेडी के पास 18 और कांग्रेस के पास 10 सीटें है। इसके अलावा 2015 में पांच सीटें अन्य को मिली थी। इस चरण में नीतीश की एनडीए सरकार के 12 मंत्रियों की साख भी दांव पर लगी है। यही वजह है कि बिहार चुनाव के आखिरी चरण के चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए की साख दांव पर लगी है। बता दें कि 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के महागठबंधन ने इस इलाके में जबरदस्त जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार समीकरण बदल चुकें हैं। ऐसे में चुनौती एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए इसलिए भी है कि इसी इलाके में पप्पू यादव और असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपने गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे है। 7 नवंबर को यहां होंगे तीसरे चरण के चुनावराज्य के 15 जिलों में होने वाले तीसरे चरण के आम चुनाव में पश्चिम चंपारण, पूर्वी चम्पारण,सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, सहरसा, दरभंगा, वैशाली, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर शामिल है। इन 78 विधानसभा सीटों पर होगा मतदानवाल्मीकिनगर, रामनगर (सुरक्षित), नरकटियागंज, बगहा, लौरिया, सिकटा, रक्सौल, सुगौली, नरकटिया, मोतिहारी, चिरैया, ढाका, रीगा, बथनाहा (सुरक्षित), परिहार, सुरसंड, बाजपट्टी, हरलाखी, बेनीपट्टी, खजौली, बाबूबरही, बिस्फी, लौकहा, निर्मली, पीपरा, सुपौल, त्रिवेणीगंज, छातापुर, नरपतगंज, रानीगंज (सुरक्षित), फारबिसगंज, अररिया, जोकिहाट, सिकटी, बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज, कोचाधामन, अमौर, बायसी, कस्बा, बनमनखी(सुरक्षित), रूपौली, धमदाहा, पूर्णिया, कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी (एसटी), बरारी, कोढ़ा, आलमनगर, बिहारीगंज, सिंघेश्वर (सुरक्षित), मधेपुरा, सोनबरसा (सुरक्षित), सहरसा, सिमरी बख्तियारपुर, महिषी, दरभंगा, हायाघाट, बहादुरपुर, केवटी, जाले, गायघाट, औराई, बोचहां (सुरक्षित), सकरा (सुरक्षित), कुढ़नी, मुजफ्फरपुर, महुआ, पातेपुर (सुरक्षित), कल्याणपुर (सुरक्षित), वारिसनगर, समस्तीपुर, मोरवा व सरायरंजन शामिल हैं। Post Views: 187