दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़राजनीतिशहर और राज्य बेंगलुरु: तीन हजार से ज्यादा कोविड मरीज लापता, फोन स्विच ऑफ, मंत्री ने कहा- हम नहीं जानते वे कहां गए…! 29th April 2021 networkmahanagar 🔊 Listen to this बेंगलुरु: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच बेंगलुरु से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। यहां 3,000 से अधिक कोविड संक्रमित मरीज लापता हैं। उनमें से कई लोगों ने अपने फोन तक बंद कर लिए हैं जिससे उनका पता लगाना मुश्किल हो रहा है।कर्नाटक के राजस्व मंत्री आर अशोक ने कहा कि सरकार ने पुलिस को जल्द से जल्द उनका पता लगाने को कहा है। उन्होंने दावा किया कि लापता लोग बीमारी फैला रहे हैं। हालांकि, ‘लापता’ व्यक्तियों पर नजर रखने के लिए पुलिस अपनी रणनीति अपना रही है। बता दें कि दक्षिणी राज्य में बुधवार को सबसे अधिक 39,047 सक्रिय मामले सामने आए थे और 229 लोगों की मौंते हुई थी। वहीं बेंगलुरु में 22,596 मामले दर्ज किए गए थे।स्वास्थ्य मंत्री डॉ. के सुधाकर ने कहा कि पिछले एक साल से यहां संक्रमितों के लापता होने की खबरे सामने आ रही हैं। इसके लिए हम लोगों को मुफ्त में दवाएं दे रहे हैं। जिससे 90 प्रतिशत संक्रमितों के मामले नियंत्रित किए जा सकते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमित मरीज अपने मोबाइल बंद कर दे रहे हैं।अशोक ने संवाददाताओं से कहा कि मरीज गंभीर स्थिति होने पर आईसीयू बेड की तलाश में अस्पतालों में पहुंच रह हैं। अभी यही हो रहा है। मरीजों की ऐसी हरकतों से चीजें मुश्किल हो रही हैं।उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि बेंगलुरु में कम से कम 2,000 से 3,000 लोगों ने अपने फोन बंद कर लिए और अपने घर छोड़ दिए। हम नहीं जानते कि वे कहां गए। हमने संक्रमित लोगों से अपने फोन चालू रखने की अपील की है और पुलिस को उन्हें ट्रैक करने के लिए कहा है।स्वास्थ्य मंत्री डॉ. के सुधाकर ने हाथ जोड़कर प्रार्थना कि की लोगों के ऐसे व्यवहार के कारण कोविड संक्रमण तेजी से फैल रहा है। लोग अंतिम क्षण में आईसीयू बेड की तलाश में अस्पताल पहुंच रहे हैं यह गलत है। कम से कम 20 फीसदी मरीज हमारे फोन कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं। कुछ राज्य छोड़ कर चले गए और कुछ ने अपने फोन ही बंद कर दिए, पुलिस उन्हें ट्रैक कर रही है। उन्होने बताया कि यह छूत की बीमारी बहुत तेजी से रफ्तार पकड़ रही है। राज्य सरकार ने लोगों की अनावश्यक आवाजाही पर रोक लगाते हुए मंगलवार से 14 दिनों का लॉकडाउन लगा दिया है। Post Views: 389