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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: ये 6 फैक्टर तय कर सकते हैं चुनावी परिणाम

मुंबई, महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग जारी है। एक तरफ बीजेपी और शिवसेना दोबारा सत्ता में लौटने की कोशिश में हैं तो विपक्षी कांग्रेस और एनसीपी को वनवास खत्म होने की उम्मीद है।

सीएम देवेंद्र फडणवीस की लीडरशिप में लड़ रही बीजेपी ने 164 सीटों पर अपने कैंडिडेट्स उतारे हैं। इनमें से कुछ प्रत्याशी गठबंधन के छोटे दलों के भी हैं, जिन्हें बीजेपी ने अपने सिंबल पर टिकट दिया है। शिवसेना को 124 सीटें मिली हैं। इसके अलावा विपक्षी गठबंधन की बात करें तो कांग्रेस 147 और एनसीपी 121 सीटों पर लड़ रही है। खास बात यह है कि यह इलेक्शन बताएगा कि आखिर आम चुनाव के बाद महाराष्ट्र के मतदाताओं का मूड कुछ बदला है या नहीं।
बीजेपी-शिवसेना सरकार की ओर से मराठा समुदाय को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन दिए जाने का असर दिख सकता है। सामान्य वर्ग के आर्थिक पिछड़ों को रिजर्वेशन के बाद बीजेपी का यह बड़ा फैसला था। इससे पार्टी को ओबीसी और ब्राह्मण समुदाय के अलावा समूहों में भी पैठ बनाने में मदद मिल सकती है।

आर्टिकल-370
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटाए जाने के मुद्दे को बीजेपी ने लगभग हर रैली में उठाया है। हालांकि विपक्षी दलों ने इसे मुद्दों से भटकाने की बीजेपी की कोशिश करार दिया है। ऐसे इलाकों में जहां स्थानीय मुद्दे ज्यादा हावी नहीं हैं, वहां बीजेपी इसका लाभ उठा सकती है।

भ्रष्टाचार भी है मुद्दा
महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक और सिंचाई घोटाले के मामले में एनसीपी नेताओं पर आरोप लगे हैं। इस मुद्दे को पीएम मोदी भी जोर-शोर से उठाते रहे हैं। भले ही अदालतों के फैसले अभी नहीं आ सके हैं, लेकिन यह चुनाव का अहम मुद्दा जरूर बना हुआ है।

किसानों का कर्ज संकट
महाराष्ट्र में अब भी किसानों की आत्महत्या एक बड़ा मुद्दा है। 2015 से 2019 के बीच बीते 4 सालों में 12,000 किसानों ने जान दी है। मराठवाड़ा, विदर्भ और पश्चिमी महाराष्ट्र में कृषि संकट बड़ा मुद्दा है। ऐसे में यह बीजेपी-शिवसेना के खिलाफ भी जा सकता है।

केंद्र और राज्य सरकार की स्कीमें
पीएम किसान सम्मान निधि के तहत केंद्र सरकार ने हर साल किसानों को 6000 रुपये दिए जाने की योजना शुरू की है। इसके अलावा शौचालय और आवास योजना ने भी गांवों में कुछ हद तक अपना असर दिखाया है। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में इन स्कीमों के आधार पर भी वोटिंग हो सकती है।

चुनाव में फडणवीस फैक्टर भी कर सकता है काम
भले ही पूरे कार्यकाल में सीएम देवेंद्र फडणवीस गठबंधन सहयोगी शिवसेना के सवालों से जूझते रहे, लेकिन जटिल से जटिल मुद्दों पर सरलता से निपटने में उन्होंने सफलता पाई है। मुंबई-नागपुर सुपर हाईवे और मेट्रो के विस्तार जैसी योजनाएं उनके पक्ष में जा सकती हैं। हालांकि नौकरियों के अवसर पैदा न कर पाने जैसे मुद्दे उनके खिलाफ भी जा सकते हैं।