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कब होगा बीएमसी चुनाव? सीएम शिंदे बोले- जनवरी में…फडणवीस ने कहा, राम जानें या कोर्ट जाने!

मुंबई: मुंबई महानगरपालिका का चुनाव कब होगा? इस सवाल को लेकर लोगों में काफी असमंजस की स्थिति बनी है. इस सवाल का जवाब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अलग-अलग अंदाज में दिया है.
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा है कि जनवरी महीने में बीएमसी इलेक्शन होगा. लेकिन इसी सवाल के जवाब में उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का जवाब है कि यह या तो राम जानें या अदालत जाने. सीएम शिंदे अपने वर्षा बंगले में पत्रकारों को जवाब दे रहे थे.
उप मुख्यमंत्री फडणवीस से जब पत्रकारों ने यह सवाल किया गया कि आखिर बीएमसी इलेक्शन होने में इतनी देरी क्यों हो रही है? इसके जवाब में फडणवीस ने कहा कि वे इस बारे में वे बयान नहीं दे सकते. यह पूरी तरह से चुनाव आयोग और अदालत के हाथ में है. मुंबई महानगरपालिका में इतने लंबे समय तक एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति सही है क्या?
इसके जवाब में फडणवीस ने यह जरूर माना कि लोकतंत्र में इतने लंबे समय तक प्रशासक के हाथों कारभार चलाना वाकई में सही नहीं है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दिया हुआ है. चुनाव न करवाने में कोई राज्य सरकार की भूमिका नहीं है. चुनाव करवाने का फैसला चुनाव आयोग को करना है और वह एक स्वायत्त संस्था है. फडणवीस ने यह याद दिलाया कि कि शिवसेना पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह को लेकर चुनाव आयोग के सामने नवंबर महीने से ही सुनवाई शुरू है.
बता दें कि बृहन्मुम्बई महानगरपालिका (बीएमसी) का कार्यकाल इसी साल मार्च महीने में खत्म हो चुका है. जिसके बाद चुनाव स्थगित किए गए थे. इसके बाद महापालिका आयुक्त को बीएमसी प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया गया. लेकिन इस बात को भी छह महीने से ज्यादा समय बीत चुके हैं. अब तक चुनाव के कोई पक्का संकेत नहीं दिखाई दे रहा हैं.

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गौरतलब है कि मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी हालत में स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव करवाने के निर्देश दिए थे. लेकिन इसके बाद राज्य में सरकार बदली और शिंदे-फडणवीस ने बीएमसी वॉर्ड के स्ट्रक्चर को फिर से बदलने का फैसला किया. महाविकास आघाड़ी सरकार ने मुंबई महानगरपालिका में एक सदस्यीय प्रभाग और अन्य महापालिकाओं में तीन सदस्यों के प्रभाग तैयार किए थे. इसके बाद शिंदे सरकार ने 2017 की तरह चार सदस्यों के प्रभाग तैयार करने का फैसला किया. इस फैसले का आघाड़ी ने जोरदार विरोध भी किया था. इन सब वजहों से चुनाव की तारीखें खिंचती चली गई हैं. जो कि सात महीने बीतने के बाद भी स्पष्ट नहीं हो सका है!