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मुंबई: पवार की चिट्ठी पर रविशंकर का हमला- जो हम आज कर रहे हैं, वह मनमोहन सरकार 9 साल पहले कर रही थी!

मुंबई: किसानों के ‘भारत बंद’ को समर्थन देने के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार की वायरल चिट्ठी पर राजनीतिक रूप से घमासान मचा हुआ है। एक तरफ एनसीपी ने सफाई देकर कहा है कि मॉडल APMC ऐक्ट 2003 में वाजपेयी सरकार लेकर आई थी। वहीं अब केंद्रीय मंत्री रविशंकर कांग्रेस, एनसीपी समेत विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए कहा है कि ये लोग अपनी वजूद बचाने के लिए किसी भी आंदोलन में शामिल हो जाते हैं।

पवार की चिट्ठी पर रविशंकर का हल्लाबोल
रविशंकर ने शरद पवार पर हमला बोलते हुए कहा, जब शरद पवार कृषि मंत्री थे तो उन्होंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर में निजी क्षेत्र की भागीदारी को लेकर पत्र लिखा था। रविशंकर ने आगे कहा, शरद पवार जब देश के कृषि और उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे तो उन्होंने देश के सारे मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी। जिसमें उन्होंने लिखा था कि मंडी एक्ट में बदलाव जरूरी है, प्राइवेट सेक्टर का आना जरूरी है, किसानों को कहीं भी अपनी फसल बेचने का अवसर मिलना चाहिए।

रविशंकर ने आगे कहा, आज जो हमने काम किया है, 8-9 साल पहले मनमोहन सिंह जी की सरकार ये कर रही थी, 2005 में शरद पवार ये बोल रहे थे। जिस समय शरद पवार ये बोल रहे थे कि अगर आप सुधार नहीं करोगे तो हम वित्तीय समर्थन देना बंद कर देंगे। उस समय मनमोहन सिंह जी की सरकार का समर्थन सपा, RJD, CPI और अन्य दल कर रहे थे।

क्या है पूरा मामला?
बता दें कि सरकारी सूत्रों ने बताया था कि यूपीए सरकार में बतौर कृषि मंत्री शरद पवार ने एपीएमसी ऐक्ट में बदलाव की मांग की थी ताकि निजी क्षेत्र को बढ़ावा मिल सके। सूत्रों का कहना था कि अब जब यही मोदी सरकार कर रही है तो पवार इसका विरोध कर रहे हैं। अब इस पर एनसीपी का कहना है कि जिसमें संशोधन के लिए कहा था वह 2003 में वाजपेयी सरकार का ही लाया गया कानून था।

शरद पवार की चिट्ठी पर एनसीपी सफाई
एनसीपी के अनुसार, तब उसे लागू करने से राज्य सरकारें कतरा रही थीं इसलिए जब पवार कृषि मंत्री बने तो इन्होंने कृषि बोर्डों से कानून पर आम सहमति बनाने के लिए सुझाव मांगे थे और फिर उसे राज्य सरकारों के समक्ष रखा था। इसके बाद कई राज्य कानून को लागू करने के लिए आगे आए थे।

एनसीपी प्रवक्ता ने कहा कि आदर्श APMC कानून 2003 को वाजपेयी सरकार लेकर आई थी। हालांकि कई राज्य उस वक्त इसे लागू करने के मूड में नहीं थे। एनसीपी ने आगे कहा, यूपीए सरकार में कृषि मंत्री के रूप में पवार ने ऐक्ट के कार्यान्वयन के लिए सुझाव आमंत्रित करके राज्य कृषि विपणन बोर्डों के बीच सहमति बनाने की कोशिश की थी।

वाजपेयी सरकार के ऐक्ट पर पवार ने बनाई थी आम सहमति
महेश तापसे ने आगे कहा, मॉडल एपीएमसी ऐक्ट के तहत किसानों को मिलने वाले लाभों के बारे में राज्य सरकारों को समझाया गया। इसके बाद कई राज्य सरकारें इसे लागू करने के लिए आगे आईं।एनसीपी प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा, देश भर के किसानों को ऐक्ट से लाभ भी मिल रहा है जिसमें पवार ने किसान हितों के अनुसार सुधार किया था।

मोदी सरकार के कानून ने किसानों के मन में डर पैदा किया
तापसे ने यह भी कहा कि मोदी सरकार जो नए कानून लेकर आई है उसने किसानों के मन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर संदेह पैदा किया है। तापसे ने यह भी कहा कि मोदी सरकार नए कानूनों में कई मुद्दों के बारे में संबोधित करने में विफल रही है। मोदी सरकार व्यापक आम सहमति नहीं बना सकी है। सरकार किसानों और विपक्ष की आशंकाओं को खत्म करने में विफल रही है।

पवार की चिट्ठी पर रविशंकर का हल्ला बोल
रविशंकर ने शरद पवार पर हमला बोलते हुए कहा, जब शरद पवार कृषि मंत्री थे तो उन्होंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर में निजी क्षेत्र की भागीदारी को लेकर पत्र लिखा था। रविशंकर ने आगे कहा, शरद पवार जब देश के कृषि और उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे तो उन्होंने देश के सारे मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी। जिसमें उन्होंने लिखा था कि मंडी एक्ट में बदलाव जरूरी है, प्राइवेट सेक्टर का आना जरूरी है, किसानों को कहीं भी अपनी फसल बेचने का अवसर मिलना चाहिए।

जो हम आज कर रहे हैं, वह मनमोहन सरकार 9 साल पहले कर रही थी
रविशंकर ने आगे कहा, आज जो हमने काम किया है,8-9 साल पहले मनमोहन सिंह जी की सरकार ये कर रही थी, 2005 में शरद पवार ये बोल रहे थे। जिस समय शरद पवार ये बोल रहे थे कि अगर आप सुधार नहीं करोगे तो हम वित्तीय समर्थन देना बंद कर देंगे। उस समय मनमोहन सिंह जी की सरकार का समर्थन सपा, RJD, CPI और अन्य दल कर रहे थे।

पवार ने की थी कृषि कानून में बदलाव की मांग
बता दें कि शरद पवार समेत कई विपक्षी दलों ने कृषि कानून के विरोध में किसानों के 8 दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद को समर्थन दिया है। इसके बाद सरकारी सूत्रों ने बताया था जब पवार यूपीए सरकार में मंत्री थे तो उन्होंने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से APMC कानून में संशोधन करने को कहा था जिससे निजी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। इस संबंध में पवार की तत्कालीन दिल्ली सीएम शीला दीक्षित और शिवराज सिंह चौहान को लिखी चिट्ठी वायरल हुई थी।