उत्तर प्रदेशदिल्लीब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरराजनीतिशहर और राज्य यूपी में राजभर-ओवैसी साथ लड़ेंगे पंचायत चुनाव! 14th January 2021 networkmahanagar 🔊 Listen to this लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी आगामी पंचायत चुनाव मिलकर लड़ सकती है. ओमप्रकाश राजभर ने बुधवार को कहा कि ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार की पंचायत चुनाव में उनके भागीदारी संकल्प मोर्चा के तहत चुनावी मैदान में उतरने की संभावना है.हालांकि, ओवैसी ने यूपी में पंचायत चुनाव के जरिए ही 2015 में उत्तर प्रदेश में एंट्री की थी, लेकिन पांच साल में सूबे का सियासी मिजाज काफी बदल चुका है. सत्ता पर भाजपा के योगी आदित्यनाथ विराजमान हैं तो वहीं इस बार ओवैसी को राजभर के रूप में एक नय साथी मिल गया है. ओमप्रकाश राजभर की अगुवाई में छोटे और क्षेत्रीय दलों का भागदारी संकल्प मोर्चा का गठन किया गया है, जिसमें ओवैसी की पार्टी भी शामिल है.ऐसे में यूपी के पंचायत चुनाव को भागेदारी संकल्प मोर्चा का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है, इसी के आधार पर 2022 के विधानसभा चुनाव की ओवैसी और राजभर बुनियाद रखेंगे.बता दें कि उत्तर प्रदेश के कुल 58,758 ग्राम पंचायत, जिनके कार्यकाल पूरे हो गए हैं. इसके अलावा ग्राम पंचायत सदस्य के कार्यकाल खत्म हो गए हैं. इसके अलावा सूबे के 823 ब्लॉक के क्षेत्र पंचायत सदस्य सीटों और 75 जिले की जिला पंचायत के सदस्यों की 3200 सीटों पर एक साथ मार्च में चुनाव कराए जाने की संभावना है.साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सूबे में हो रहे पंचायत चुनाव राजनीतिक दलों के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं. इसीलिए सत्ताधारी बीजेपी से लेकर कांग्रेस, सपा, बसपा, अपना दल, आम आदमी पार्टी और AIMIM सहित तमाम विपक्षी पार्टियों ने पंचायत चुनाव में उतरने की पूरी तैयारी कर रखी है. सपा के लिए ओवैसी बनेंगे सिरदर्दओवैसी की यूपी दस्तक से सबसे बड़ी चिंता सपा जैसी पार्टी के लिए बढ़ गई है, जो पिछले दो दशकों से ज्यादा समय से मुस्लिम मतों के बल पर सत्ता में आती रही है. बिहार में ओवैसी की पार्टी ने जिस तरह से मुस्लिम बहुल इलाके में पांच सीटें जीती हैं, उसे देखते हुए और यूपी में AIMIM की बढ़ती सक्रियता से खुद को सेकुलर कहने वाली पार्टियों को अब यह डर सताने लगा है कि सूबे के मुस्लिम समुदाय का झुकाव कहीं ओवैसी की एआईएमआईएम की तरफ हुआ तो उनकी सियासत खतरे में आ सकती है. ऐसा होने पर सबसे अधिक नुकसान सपा को हो सकता है, क्योंकि सूबे में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 20 फीसदी है, जो अभी तक मुख्य रूप से सपा के साथ है, लेकिन ओवैसी जिस तरह से अखिलेश यादव के गढ़ से बिगुल फूंकने जा रहे हैं, उसके चलते आगे भी जबरदस्त सियासी घमासान देखने को मिलेगा. Post Views: 170