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राष्ट्रपति चुनाव में महाराष्ट्र में विपक्ष के प्रत्याशी को समर्थन देगी महाविकास अघाड़ी

नयी दिल्ली: जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी गलियारे में हलचल तेज होने लगी है, लेकिन अभी तक किसी भी पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
महाराष्ट्र में भी यही हाल है और यहां महाविकास अघाड़ी में शामिल शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ ही भाजपा ने भी राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति के बारे में सार्वजनिक रूप से बयान नहीं दिया है।
हालांकि, जिस तरह से महाराष्ट्र की सत्तारुढ़ पार्टी केंद्रीय जांच एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल का आरोप लगा रही है उससे यह अंदाजा लगाना आसान है कि राष्ट्रपति चुनाव में वह किसके पक्ष में वोट देगी।
माना जा रहा है कि असली राजनीतिक खेमेबाजी का खुलासा तब होगा जब कांग्रेस सहित राष्ट्रीय विपक्षी पार्टियां अपनी रणनीति सार्वजनिक करेंगी। क्षेत्रीय विपक्षी पार्टियां भाजपा के राष्ट्रपति प्रत्याशी के विरोध में अपना संयुक्त प्रत्याशी उतारना चाहती हैं।
इसी कोशिश के तहत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गत दिसंबर में और फरवरी में तेलंगाना राष्ट्र समिति के संस्थापक एवं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव अघाड़ी के नेताओं से मुलाकात करने के लिए मुंबई आये थे।
ममता बनर्जी और राव दोनों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से अपनी बातचीत में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बातचीत की थी।
राकांपा के एक नेता ने बताया कि सभी नेता इस बात से सहमत थे कि उन्हें भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर अपना प्रत्याशी खड़ा करना होगा। इससे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
शिवसेना के एक नेता ने कहा कि शिवसेना अघाड़ी और राष्ट्रीय विपक्षी पार्टियों के निर्णय के साथ जायेगी। अभी बातें शुरूआती चरण में है और जून तक बातों को दिशा मिलेगी।
कांग्रेस भी अपने आलाकमान के निर्देश पर फैसला करेगी और इसी तरह महाराष्ट्र में भाजपा भी केंद्रीय नेतृत्व के अनुसार काम करेगी।
एनसीपी मुखिया शरद पवार (81) ने कई बार राष्ट्रपति पद की दावेदारी से इनकार किया है लेकिन राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है।
अभी हाल में भी यह अटकलें जोर पकड़ी थीं कि भाजपा ने राकांपा प्रमुख की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है और उन्हें राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के रूप में पेश करने पर सहमति भी जताई है लेकिन पवार ने इन्हें कोरा अफवाह करार दिया है।
पिछले साल दिसंबर में शरद पवार ने बताया था कि नरेंद्र मोदी 2019 में चुनाव जीतने के बाद महाराष्ट्र में राकांपा का समर्थन चाहते थे लेकिन उन्होंने यह ऑफर स्वीकार नहीं किया।

महाराष्ट्र में शरद पवार के अलावा कांग्रेस के दो और शिवसेना के एक ऐसे बुजुर्ग नेता हैं, जो राष्ट्रपति पद के योग्य उम्मीदवार हो सकते हैं लेकिन अभी किसी दल को नाम चुनने में दिलचस्पी नहीं है।
राष्ट्रपति चुनाव में महाराष्ट्र का निर्वाचन मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज देश में दूसरे स्थान पर है। यहां 48 लोकसभा सदस्य, 19 राज्यसभा सदस्य और 288 विधायक हैं।
इनमें से भाजपा के 23 लोकसभा सदस्य, आठ राज्यसभा सदस्य हैं जबकि महाविकास अघाड़ी में शामिल शिव सेना के 18 लोकसभा सदस्य, तीन राज्यसभा सदस्य, राकांपा के लोकसभा तथा राज्यसभा में चार-चार सदस्य, कांग्रेस के लोकसभा में एक और राज्य सभा में तीन, एआईएमआईएम के लोकसभा में एक, एक निर्दलीय लोकसभा सांसद और आरपीआई के राज्यसभा में एक सदस्य हैं।
राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में महाविकास अघाड़ी में शामिल शिवसेना के 57, राकांपा के 53, कांग्रेस के 44, अन्य और निर्दलीय के 16 तथा विपक्षी भाजपा के 106, गठबंधन सहयोगी के सात और अन्य तथा निर्दलीय पांच विधायक हैं।
गौरतलब है कि शिवसेना जब राजग का हिस्सा थी तब भी उसने 2007 में राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा पाटिल का और दूसरी बार कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था। प्रणब मुखर्जी के शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से अच्छे संबंध थे। महाविकास अघाड़ी का कहना है कि अब 2022 में ऐसी संभावना कम है।