दिल्लीमहाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्य

साल की आखिरी सोमवती अमावस्या, 14 दिसंबर को लगेगा साल का अंतिम सूर्यग्रहण, राजनीति और अर्थव्यवस्था पर होगा असर

इस बार सोमवती अमावस्या 14 दिसम्बर को पड़ रही है और इसको लेकर प्रशासन ने गाइडलाइन जारी की है। सोमवती अमावस्या पर स्थानीय लोग गंगा स्नान कर सकेंगे लेकिन बाहरी श्रद्धालुओं थोड़ा निराश हो सकता है। हरिद्वार जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने बताया कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए बाहरी श्रद्धालुओं को बॉर्डर से ही लौटाया जाएगा। स्नान पर्व पर हरिद्वार में भीड़ न जुटे, इसके लिए जिला प्रशासन बाहरी श्रद्धालुओं से हरिद्वार न आने की अपील भी कर रहा है। बता दें कि कोरोना के चलते इस बार लगभग सभी स्नान पर्वों पर हरिद्वार के गंगा घाट सूने ही रहे। स्थानीय लोगों को स्नान करने की अनुमति है लेकिन बाहरी श्रद्धालुओं को नहीं।

14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या पर स्थानीय लोग कोरोना प्रोटोकोल के पालन के साथ सभी घाटों पर गंगा स्नान कर सकेेंगे। हालांकि बाहरी श्रद्धालुओं के हरिद्वार आने पर मनाही नहीं है लेकिन पुलिस और प्रशासन की पूरी नजर है कि कितनी संख्या में दूसरे राज्यों से श्रद्धालु आ रहे हैं। अगर हरिद्वार में भीड़ बढ़ी तो बॉर्डर से ही श्रद्धालुओं को लौटाया जाएगा। बता दें कि इससे पहले भी कार्तिक पूर्णिमा पर दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को गंगा घाट पर स्नान की अनुमति नहीं दी गई थी।

यह पूर्ण सूर्यग्रहण होगा हालांकि भारत में यह दिखाई नहीं देगा। इससे पहले साल का अंतिम चंद्रग्रहण 30 नवम्बर को लगा था। इससे पहले सूर्यग्रहण 21 जून को लगा था। मार्गशीर्ष अमावस्या पर लगनेवाला सूर्यग्रहण साल 2020 का दूसरा और अंतिम सूर्यग्रहण होगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि सूर्यग्रहण 14 दिसंबर 2020 की शाम को 07:03 बजे शुरू होगा और मध्यरात्रि यानि 15 दिसंबर 2020 की देर रात 12:23 बजे इसका समापन होगा। इस प्रकार सूर्यग्रहण करीब पांच घंटे का होगा।

ये ग्रहण साउथ अमेरिका साउथ अफ्रीका के साथ ही प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में भी दिखाई देगा। भारत में दिखाई न देने के कारण इस सूर्यग्रहण का सूतक नहीं लगेगा। सूर्यग्रहण के दौरान धर्म-कर्म पूजा-पाठ यथावत होते रहेगी। ग्रहण के समय भी मंदिर पूजास्थल पूरी तरह खुले रहेंगे। गौरतलब है कि शास्त्रों में सूर्यग्रहण के दौरान कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि सूतक से पहले ही खाने और सोने की भी मनाही होती है मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण समाप्ति के बाद गंगा या अन्य पावन नदियों के जल से मंदिरों मूर्तियों का शुद्धिकरण किया जाता है। चूंकि इस ग्रहण का सूतक ही नहीं लगेगा इसलिए मंदिरों में पूजा पाठ सहित धार्मिक कामकाज होंगे।