दिल्लीदेश दुनियाब्रेकिंग न्यूज़ सोशल मीडिया को लेकर IT कानून में बदलाव करना चाहती है सरकार..! 25th December 2018 networkmahanagar 🔊 Listen to this नई दिल्ली , इंटेलिजेंस और सिक्यॉरिटी एजेंसियों को कंप्यूटर, मोबाइल डिवाइस और सर्वर पर डेटा इंटरसेप्ट करने की अनुमति को लेकर उठे विवाद के बीच सरकार इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी ऐक्ट के सेक्शन 79 के तहत इंटरमीडियरीज के लिए रूल्स में संशोधन करना चाहती है। नए ड्राफ्ट रूल्स में फेसबुक, गूगल, ट्विटर, याहू, वॉट्सऐप जैसी इंटरमीडियरी पर उनके प्लेटफॉर्म पर यूजर्स की ओर से पोस्ट किए जाने वाले कंटेंट को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी डाली गई है। प्रस्ताव के मुताबिक, देश में 50 लाख से अधिक यूजर्स वाले सभी प्लैटफॉर्म्स को कंपनीज ऐक्ट के तहत भारत में एक रजिस्टर्ड एंटिटी रखनी होगी और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय के लिए एक नोडल ऑफिसर नियुक्त करना होगा।बता दें कि IT एक्ट के सेक्शन 79 के तहत इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरीज गाइडलाइंस) रूल्स में संशोधनों के ड्राफ्ट में कंपनियों के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों से शिकायत मिलने के 72 घंटे के अंदर मेसेज की जांच कर उसकी शुरुआत के स्थान की रिपोर्ट देना अनिवार्य बनाया गया है। देश की सुरक्षा, साइबर सिक्यॉरिटी या किसी अपराध की जांच, नियंत्रण या रोकथाम से जुड़े केसों में ऐसा करना होगा। इसके साथ ही सोशल मीडिया कंपनियों और मेसेजिंग ऐप्स को मानहानि वाले या राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ माने गए कंटेंट तक पहुंच को 24 घंटे के अंदर बंद करना पड़ सकता है। इन प्लेटफॉर्म्स को अपनी प्राइवेसी पॉलिसी की यूजर्स को महीने में एक बार जानकारी भी देनी होगी ! सरकार ने ड्राफ्ट पर जनता से 15 जनवरी तक राय मांगी है। इन रूल्स का मकसद फेक न्यूज और अफवाहों पर रोक लगाने के लिए फेसबुक और वॉट्सऐप जैसी सोशल मीडिया कंपनियों और मेसेजिंग ऐप्स का रेगुलेशन कड़ा करना है। लेकिन सोशल एक्टिविस्ट्स और विपक्षी दलों ने इस कदम का विरोध करते हुए इसे नागरिकों की जासूसी करने की एक और कोशिश बताया है। Post Views: 182