पुणेब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्य केंद्र सरकार ने भीमा कोरेगांव मामले की जांच NIA को सौंपी, महाराष्ट्र सरकार ने जताई नाराजगी 24th January 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई: भीमा कोरेगांव मामले और यलगार परिषद के मामले की जांच को केंद्र सरकार ने एनआइए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को सौंप दिया है। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार भीमा कोरेगांव मामले और यलगार परिषद का मुकदमा खत्म करने की तैयारी कर रही थी। इस बीच केंद्र सरकार ने मामले को एनआइए को सौंप दिया। इससे महाराष्ट्र सरकार का गुस्सा भड़क उठा। इस बारे में राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा, भीमा कोरेगांव मामले की जांच महाराष्ट्र सरकार की सहमति के बिना एनआइए को सौंपी गई। भीमा कोरेगांव मामले की जांच एनआईए को सौंपना संविधान के खिलाफ है। मैं इसकी निंदा करता हूं। क्या है यलगार परिषद?यलगार परिषद 1 जनवरी, 2018 को आयोजित एक रैली थी। यलगार परिषद के पहले यह समझना जरूरी है कि भीमा कोरेगांव का इससे क्या कनेक्शन है। दरअसल, भीमा कोरेगांव का लिंक ब्रिटिश हुकूमत से है। यह पेशवाओं के नेतृत्व वाले मराठा साम्राज्य और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुए युद्ध के लिए जाना जाता है। इस रण में मराठा सेना बुरी तरह से पराजित हुई थी।इस युद्ध में मराठा सेना का सामना ईस्ट इंडिया कंपनी के महार (दलित) रेजीमेंट से था। इसलिए इस जीत का श्रेय महार रेजीमेंट के सैनिकों को जाता है, तब से भीमा कोरेगांव को पेशवाओं पर महारों यानी दलितों की जीत का रण माना जाने लगा। इसे एक स्मारक के तौर पर स्थापित किया गया और हर वर्ष इस जीत का उत्सव मनाया जाने लगा। भीमराव आंबेडकर इस जीत के जश्न में यहां हर साल आते रहे।31 दिसंबर 2017 को इस युद्ध की 200वीं सालगिरह थी। ‘भीमा कोरेगांव शौर्य दिन प्रेरणा अभियान’ के बैनर तले कई संगठनों ने मिलकर एक रैली का अयोजन किया था। इसका नाम ‘यलगार परिषद’ रखा गया। वाड़ा के मैदान पर हुई इस रैली में ‘लोकतंत्र, संविधान और देश बचाने’ की बात कही गई। दिवंगत छात्र रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला ने इस रैली का उद्घाटन किया था। इस रैली में प्रकाश आंबेडकर, पूर्व चीफ जस्टिस बीजी कोलसे पाटिल, गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवानी, जेएनयू छात्र उमर खालिद, आदिवासी कार्यकर्ता सोनी सोरी आदि मौजूद रहे। भीमा-कोरेगांव में भड़की थी हिंसाएक जनवरी 2018 को पुणे के पास स्थित भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़की थी। इससे एक दिन पहले वहां यलगार परिषद नाम से एक रैली हुई थी और इसी रैली में हिंसा भड़काने की भूमिका बनाई गई। इसके बाद संसावाड़ी में हिंसा भड़क उठी थी। कुछ क्षेत्रों में पत्थरबाज़ी की घटना हुई। उपद्रव के दौरान एक नौजवान की जान भी गई। पुलिस का दावा है कि यलगार परिषद सिर्फ़ एक मुखौटा था और माओवादी इसे अपनी विचारधारा के प्रसार के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। Post Views: 322