ब्रेकिंग न्यूज़मुंबई शहरशहर और राज्य आश्रम में दुष्कर्म मामला: सात साल बाद जेल से बाहर आया नारायण साईं, मां की तबीयत खराब होने के चलते 14 दिन की फरलो 5th December 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this सूरत: यौन शोषण मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा आसाराम का बेटा नारायण साईं शनिवार को करीब 7 साल बाद जेल से बाहर आया। सूरत की लाजपोर जेल से बाहर आते ही पुलिस उसे लेकर अहमदाबाद के लिए रवाना हो गई। गुजरात हाईकोर्ट ने मां की तबीयत ठीक न होने की वजह से नारायण साईं की 14 दिन की फरलो मंजूर की है। 14 दिन की जमानत की गुहार लगाई थीनारायण साईं ने भी अपने माता-पिता से मिलने के लिए 14 दिन की जमानत की गुहार लगाई थी। इन दिनों नारायण की मां की तबीयत खराब है और हार्टअटैक के चलते उनका दिल भी मात्र 40 फीसदी ही काम कर रहा है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने साईं की याचिका मंजूर की है। क्या है पूरा मामला?2013 में सूरत के आश्रम की दो साधिकाओं ने साईं के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज करवाई थी। साधिकाओं का आरोप था कि 2002 से 2004 के बीच नारायण साईं ने परिवार को मारने की धमकी देकर उनका शोषण किया था। इसके बाद वो फरार हो गया था, जिसे करीब एक महीने बाद पंजाब-दिल्ली बॉर्डर से अरेस्ट किया गया था। इसी मामले में नारायण साईं को आजीवन कैद की सजा सुनाई गई है। पैरोल और फरलो में अंतरपैरोल में कैदी को जेल से बाहर जाने के लिए एक संतोषजनक कारण बताना होता है। प्रशासन, कैदी की अर्जी को मानने के लिए बाध्य नहीं है। प्रशासन कैदी को एक समय विशेष के लिए जेल से रिहा करने से पहले समाज पर इसके असर को भी ध्यान में रखता है। पैरोल एक तरह की अनुमति लेने जैसी है। इसे खारिज भी किया जा सकता है।फरलो एक डच शब्द है। इसके तहत कैदी को अपनी सामाजिक या व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए कुछ समय के लिए रिहा किया जाता है। इसे कैदी के सुधार से जोड़कर भी देखा जाता है। तकनीकी तौर पर फरलो कैदी का मूलभूत अधिकार माना जाता है। Post Views: 164