मुंबई उपनगरमुंबई शहरशहर और राज्यसामाजिक खबरें बीएमसी के बालासाहेब ठाकरे ट्रॉमा केयर सेंटर में सुविधाओं का अकाल : निरुपम 30th January 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई के जोगेश्वरी (पूर्व) स्थित मुंबई मनपा का बालासाहेब ठाकरे ट्रॉमा केयर सेंटर समस्याओं का मायका बन गया है। बीएमसी के स्वास्थ्य विभाग का सालाना बजट करोड़ों रुपये का है, लेकिन अस्पतालों में मरीजों के लिए सुविधाओं का अकाल है। यह बात मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने ट्रॉमा केयर सेंटर का दौरा करने के बाद कही। उन्होंने बीएमसी में विरोधी पक्ष नेता रवि राजा के साथ सोमवार को ट्रॉमा केयर सेंटर का दौरा किया। निरुपम ने कहा कि यहां डॉक्टरों और कर्मचारियों की कमी है। एक ही कर्मचारी सफाई का, वॉर्ड बॉय का, असिस्टेंट का और ड्रेसिंग मेन का काम करता है। कई पद खाली पड़े हैं, उन्हें भरा ही नहीं जा रहा। रवि राजा ने कहा कि ट्रॉमा केयर सेंटर कर्मचारी ठेके पर रखे गए हैं। रवि राजा ने मांग कि है जिन चार लोगों की आँखे गई हैं उन्हें २०-२० लाख रुपया महानगरपालिका को देना चाहिए। बता दें कि बाला साहेब ठाकरे ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण 5 मरीजों के आंखों की रोशनी जाने के बाद इस मामले में कार्रवाई शुरू हो गई है। प्रारंभिक जांच के अनुसार, मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए इस्तेमाल होने वाले ‘स्कोप’ को बिना साफ किए इस्तेमाल करने और ऑपरेशन थिअटर की सफाई के अभाव से आंखों में संक्रमण फैल गया। मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने अस्पताल के सुपरिटेंडेंट को डिमोट करने के साथ ही, सर्जरी करने वाले डॉक्टर की छुट्टी कर दी गई है।बीएमसी से मिली जानकारी के अनुसार, सोमवार को रिपोर्ट आने के बाद शुरुआती स्तर पर डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण मरीजों के साथ ऐसी घटना घटी। बीएमसी की अडिशनल म्यूनिसिपल कमिश्नर आई.ए. कुंदन ने कहा, अस्पताल के लापरवाह रवैये को देखते हुए अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ. हरभान सिंह बावा का डिमोशन कर उन्हें दूसरे अस्पताल भेज दिया गया है। वहीं, ऑपरेशन करने वालों में शामिल मानद डॉक्टर को अस्पताल से हटा दिया गया है। इसके साथ ही मामले के लिए जिम्मेदारी 3 और लोगों को नोटिस दिया गया है।क्या है पूरा मामला : 4 जनवरी को अस्पताल में कई मरीजों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया। अगले दिन जब मरीजों की आंखों से पट्टी हटाई गई, तो 7 मरीजों की आंखों में अजीब सी लालिमा दिखी। आनन-फानन में मरीजों को बीएमसी के केईएम अस्पताल भेज दिया गया। जहां तमाम कोशिशों के बावजूद 5 मरीजों की आंखों की रोशनी नहीं बचाई जा सकी। हालांकि इस दौरान दो मरीजों की आंखें बचाने में डॉक्टर सफल रहे। कुंदन ने कहा, बीएमसी हादसे से प्रभावित होने वाले मरीजों के साथ है और उन्हें हम हर संभव मदद करेंगे। जिन मरीजों को नेत्रदान के जरिए नई रोशनी मिल सकती है, उनका प्राथमिकता के आधार पर ट्रांसप्लांट किया जाएगा। Post Views: 209