दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़शहर और राज्य सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला- कहा, राज्यों में होंगे स्वंतत्र निर्वाचन आयुक्त 13th March 2021 networkmahanagar 🔊 Listen to this नयी दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है कि ‘स्वतंत्र व्यक्ति’ राज्य निर्वाचन आयुक्त होंगे न कि केंद्र या राज्य सरकार की नौकरी करने वाला या उससे जुड़ा कोई व्यक्ति। इसके साथ ही न्यायालय ने गोवा के विधि सचिव को चुनाव आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार दिए जाने को संवैधानिक प्रावधानों का ‘मजाक’ करार दिया। एक महत्वपूर्ण फैसले में शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि अगर कोई व्यक्ति किसी भी राज्य में एसईसी के पद पर तैनात हैं तो ऐसे व्यक्ति को पद से तुरंत हट जाने के लिए कहा जाना चाहिए और संबंधित राज्य सरकार इस उच्च संवैधानिक पद पर केवल स्वतंत्र व्यक्ति को नियुक्त कर संविधान के अनुच्छेद 243 (के) को मानने के लिए बाध्य है।न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किया। इस अनुच्छेद के तहत शीर्ष अदालत को न्याय के हित में कोई भी आदेश पारित करने का अधिकार है। पीठ में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति हृषिकेश राय भी शामिल थे जिन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं कि संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक चुनाव कराने के लिए स्वतंत्र राज्य चुनाव आयुक्त को नियुक्त किया जाना जरूरी है। ये टिप्पणियां और निर्देश 96 पन्नों के फैसले में दिए गए जिसे न्यायमूर्ति नरीमन ने गोवा में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने से जुड़ी कई याचिकाओं पर दिए। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर शनिवार को अपलोड किए गए फैसले में बंबई हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा गया है जिसने चार फरवरी को निगम प्रशासक के एक आदेश को दरकिनार कर दिया जिसमें गोवा में पांच नगर परिषद् में स्थानीय शहरी निकाय चुनावों में महिलाओं और ओबीसी को आरक्षण देने को मंजूरी दी थी। पीठ ने गोवा राज्य निर्वाचन आयोग को यह निर्देश भी दिया कि शुक्रवार से दस दिनों के भीतर वह पंचायत चुनावों के लिए अधिसूचना जारी करे और चुनाव प्रक्रिया 30 अप्रैल तक पूरी करे। न्यायमूर्ति नरीमन मुख्यत: चुनावों और एसईसी से जुड़े संवैधानिक प्रावधान देखते हैं। न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा, ‘‘राज्य निर्वाचन आयुक्त राज्य सरकार से इतर स्वतंत्र व्यक्ति होना चाहिए क्योंकि वह महत्वपूर्ण संवैधानिक अधिकारी होता है जो राज्य में पूरे चुनावी प्रक्रिया के साथ ही पंचायतों एवं नगर निगमों के चुनाव को भी देखता है। Post Views: 166