दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रराजनीतिशहर और राज्य ओबीसी आरक्षण बिल लोकसभा में ध्वनिमत से हुआ पास 10th August 2021 networkmahanagar 🔊 Listen to this नयी दिल्ली: राज्यों को ओबीसी आरक्षण की सूची तैयार करने का अधिकार देने वाला बिल लोकसभा में मंगलवार को ध्वनिमत से पारित हो गया। ओबीसी आरक्षण से जुड़े संशोधन बिल को लोकसभा में चर्चा के बाद हरी झंडी दी गई। इस दौरान एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि ओबीसी आरक्षण बिल को मोदी सरकार शाहबानो की तर्ज पर लाई है। मुसलमानों को आरक्षण नहीं सिर्फ खजूर मिलेगा। चर्चा के दौरान उन्होंने पूछा कि ओबीसी का उप वर्गीकरण किस प्रकार से किया जाएगा? ओवैसी ने आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को हटाने की सरकार से मांग की। विपक्ष के तमाम नेताओं ने इस दौरान चर्चा में हिस्सा लिया। सभी ने बिल को समर्थन देने के साथ सरकार पर निशाना साधा। ओवैसी ने कहा कि भाजपा सरकार OBC समाज के हित में नहीं है, बल्कि सिर्फ उनके वोट के लिए है। आज ही के दिन 1950 में मुसलमान और ईसाई दलितों को SC की लिस्ट से महरूम कर दिया गया था। सरकार जल्द से जल्द मजहब के बुनियाद पर आरक्षण को खत्म करे। केंद्र सरकार की गलती के कारण ही यह विधेयक लाना पड़ा कांग्रेस नेता और सदन में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की गलती के कारण ही यह विधेयक लाना पड़ा है। वह उत्तर प्रदेश और कुछ राज्यों के चुनाव को ध्यान में रखकर ही इसे लाई है। पार्टी ने ओबीसी से संबंधित संशोधन विधेयक का समर्थन किया। कहा कि केंद्र सरकार आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को हटाने पर विचार करे ताकि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय और दूसरे कई राज्यों में लोगों को इसका लाभ मिल सके। चौधरी ने कहा, हम इस विधेयक पर चर्चा में भाग ले रहे हैं क्योंकि यह संविधान संशोधन विधेयक है। इसमें दो तिहाई बहुमत के समर्थन की जरूरत है। हम एक जिम्मेदार दल हैं, इसलिए हम इसमें भाग ले रहे हैं। अखिलेश ने लगाया गुमराह करने का आरोप समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष व यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भाजपा पर ओबीसी वर्गों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को बढ़ाया जाए व जातिगत जनगणना के आंकड़ों को जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार बनती है तो वह जातिगत जनगणना कराएंगे। अखिलेश बोले, अगर इतना महत्वपूर्ण विधेयक पारित हो रहा है तो उसी के साथ आरक्षण की सीमा को बढ़ाया जाए। जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए जाएं। बसपा ने कांग्रेस पर भी किया हमला चर्चा में हिस्सा लेते हुए तेलुगु देशम पार्टी के राम मोहन नायडू ने जाति आधारित जनगणना कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब 2021 में जनगणना हो रही है तब जाति आधारित गणना कराई जानी चाहिए। ऐसा होने पर ही कल्याण योजनाओं से संबंधित बेहतर नीति और योजनाएं बनाई जा सकेंगी। बसपा के मलूक नागर ने कहा कि कांग्रेस को यह आरोप नहीं लगाना चाहिए कि भाजपा उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए यह विधेयक लाई है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो कांग्रेस इस विधेयक को क्यों नहीं लाई। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस हमेशा पिछड़ों का वोट लेती रही, लेकिन उन्हें दिया कुछ नहीं। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने कहा कि कृषि कानूनों पर भी सरकार को चर्चा करानी चाहिए। देश की जनता सच जान चुकी है द्रमुक के दयानिधि मारन ने कहा कि ओबीसी को आरक्षण देने की पहल सबसे पहले तमिलनाडु राज्य ने की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नीत राजग सरकार ने राज्यों के सारे अधिकार अपने पास रखने का प्रयास किया। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अब केंद्र को यह विधेयक लाना पड़ा है। उन्होंने कहा, यह सरकार आज मगरमच्छी आंसू बहा रही है, लेकिन देश की जनता सच जान चुकी है कि जब चुनाव आते हैं तो यह सरकार ऐसे कुछ कदम उठाती है। आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि जब 102वां संशोधन आया था तो उस समय सरकार को राज्यों के अधिकारों के बारे में चेताया गया था, लेकिन उसने नहीं माना। राज्यों के अधिकार को छीन लिया गया। झारखंड मुक्ति मोर्चा के विजय कुमार हंसदक ने कहा कि आदिवासियों के लिए अलग धर्म संहिता की मांग को स्वीकार किया जाए। वहीं, आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेने से ही ओबीसी वर्ग को खुशी मिलेगी। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि इस विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि इसे देश में संघीय ढांचे को मजबूत बनाने के उद्देश्य से लाया गया है। लेकिन, ‘मैं कहना चाहूंगा कि आज देश में संघीय ढांचा पूरी तरह से खतरे में है।’ उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे को मजबूत बनाने की जरूरत है। इसके लिए असहमति की आवाज को नहीं दबाया जाना चाहिए। राज्यों के अधिकारों की सुरक्षा की जानी चाहिए। Post Views: 225