ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरराजनीतिशहर और राज्य महाराष्ट्र बीजेपी के 12 विधायकों का निलंबन असंवैधानिक: SC 28th January 2022 networkmahanagar 🔊 Listen to this नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा के 12 बीजेपी विधायकों को जुलाई 2021 में हुए सत्र की शेष अवधि के बाद तक के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव ‘असंवैधानिक और तर्कहीन’ है। शीर्ष अदालत ने पीठासीन अधिकारी के साथ कथित दुर्व्यवहार करने पर महाराष्ट्र विधानसभा से एक साल के लिए निलंबित किए गए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 12 विधायकों की याचिकाओं पर यह बात कही। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा, हमें इन रिट याचिकाओं को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है और जुलाई 2021 में हुए संबंधित मानसून सत्र की शेष अवधि के बाद तक के लिए इन सदस्यों को निलंबित करने वाला प्रस्ताव कानून की नज़र में असंवैधानिक, काफी हद तक अवैध और तर्कहीन है। पीठ ने कहा कि इस प्रस्ताव को कानून में निष्प्रभावी घोषित किया जाता है, क्योंकि यह उस सत्र की अवधि के बाद तक के लिए था, जिसमें यह प्रस्ताव पारित हुआ था। शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता जुलाई 2021 में शेष सत्र की अवधि समाप्त होने पर और उसके बाद विधानसभा के सदस्य होने के सभी लाभों को पाने के हकदार हैं। निलंबित किए गए 12 सदस्य संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भातखलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, योगेश सागर, जय कुमार रावत, नारायण कुचे, राम सतपुते और बंटी भांगड़िया हैं। इन विधायकों ने इस प्रस्ताव को अदालत ने चुनौती दी है। पीठासीन अधिकारी से बेअदबी का था आरोप राज्य सरकार ने आरोप लगाया था कि विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में पांच जुलाई, 2021 को पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ इन 12 विधायकों ने कथित रूप से दुर्व्यवहार किया था। इन विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव राज्य के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने पेश किया था और ध्वनि मत से इसे पारित कर दिया गया था। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के दौरान, शीर्ष अदालत ने कहा कि एक साल के लिए विधानसभा से निलंबन निष्कासन से बदतर है, क्योंकि इसके परिणाम भयानक हैं और इससे सदन में एक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार प्रभावित होता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि छह महीने के भीतर एक सीट भरना वैधानिक बाध्यता है। Post Views: 217