शहर और राज्यसामाजिक खबरें होलिका दहन और होली पर करें इस मन्त्र का जाप, रोगों से मिलेगी मुक्ति, जानें- शुभ मुहूर्त और विशेष मंत्र 17th March 2022 networkmahanagar 🔊 Listen to this होली को खुशियों और रंगों का त्योहार कहा जाता है। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाए जाने वाला यह पर्व बेहद ही खास और जीवन में उत्साह लाने वाला है। होली से 1 दिन पहले होलिका दहन के दिन हनुमानजी की खास पूजा की जाती है। वहीं माता महालक्ष्मी और भगवान विष्णु भी अपनी कृपा बरसाते हैं। ऐसे में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और मंत्रों के बारे में जानना जरूरी है। आज हम अपने इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि होलिका दहन की पूजा किस समय की जा सकती है और किन मंत्रों का उच्चारण करके अपने जीवन में सुख-समृद्धि लाई जा सकती है। होलिका दहन का धार्मिक महत्व अधिक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन कई उपाय किए जाते हैं, कई परंपराओं का निर्वहन किया जाता है, ताकि जीवन खुशहाल और सुख-शांति से भरा रहे। होलिका हदन में शुभ मुहूर्त के साथ ही पूजन सामग्री, पूजा विधि का विशेष महत्व होता है। होलिका दहन पर बन रहा है मंगल, शुक्र और शनि का दुर्लभ योग इस बार का होलिका दहन 2022 बहुत खास है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 267 साल बाद मंगल, शुक्र और शनि की दुर्लभ युति में होली मनाई जाएगी। अभी मंगल, शुक्र और शनि का योग मकर राशि में बना हुआ है। ऐसा योग 267 साल पहले 26 फरवरी 1755 को बना था। हालांकि आशंका जताई जा रही है कि मंगल, शुक्र और शनि की मकर राशि में युति युद्ध और प्राकृतिक आपदा का कारण बन सकती है। बहुत खास होती है होली की रात ज्योतिष और तंत्र में होली की रात का विशेष महत्व बताया गया है। इस रात्रि में की गई तंत्र साधना शीघ्र ही सफल हो सकती है। मंगल, शुक्र, शनि की युति मकर राशि में है और मंगल सूर्य की ओर देख रहा है, जिससे तंत्र के लिए यह रात बेहद खास होगी। जो लोग मंत्र साधना करना चाहते हैं वे रात के समय एकांत शिव मंदिर में मंत्र जाप और साधना कर सकते हैं। सही समय पर ही करें होलिका दहन, जानिए- शुभ मुहूर्त फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दोपहर 01 बजकर 29 मिनट से प्रारंभ होगी और समापन 18 मार्च को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर होगा। भद्रा प्रारंभ 17 मार्च को दोपहर 01 बजकर 02 मिनट से और समापन 17 मार्च को देर रात 12 बजकर 57 मिनट पर होगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 17 मार्च को रात 12 बजकर 57 मिनट के बाद से है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सबसे पहले होलिका की 7 परिक्रमा करें। मंत्र के साथ होलिका पर जल चढ़ाएं। होलिका दहन के बाद एक-एक कर पूजन सामग्री चढ़ाएं। कच्चा आम, नारियल, मक्का या सप्तधान्य, चीनी से बने खिलौने, नई फसल का कुछ हिस्सा – गेहूं, चना, जौ चढ़ाएं और होलिका में पूरे परिवार के साथ प्रसाद लें। घर की सुख-समृद्धि के लिए होली की पवित्र राख को घर में रखें। होलिका दहन के दौरान करें इस मंत्र का जाप अहकूटा भयत्रस्तै:कृता त्वं होलि बालिशै:। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम:।। होलिका दहन की पूजन सामग्री गाय के गोबर से बने कंडे बताशे कुमकुम खड़े मूंग गेंहू की बालियां खड़ी हल्दी फूल कच्चा सूत शुद्ध जल का पात्र गुलाल मिठाई फल नारियल कच्चा आम चीनी से बने खिलौने होलिका दहन के दिन क्या नहीं करना चाहिए? 1. होलिका दहन के दिन सफेद खाद्य पदार्थ ग्रहण नहीं करना चाहिए। 2. होलिका दहन के समय सिर ढंककर ही पूजा करनी चाहिए। 3. नवविवाहित महिलाओं को होलिका दहन नहीं देखना चाहिए। 4. सास-बहू को एक साथ मिलकर होलिका दहन नहीं देखना चाहिए। 5. इस दिन को भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। होलिका दहन की पौराणिक कथाएं एक पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान के अनन्य भक्त थे। उनकी इस भक्ति से पिता हिरण्यकश्यप नाखुश थे। इसी बात को लेकर उन्होंने अपने पुत्र को भगवान की भक्ति से हटाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन भक्त प्रह्लाद प्रभु की भक्ति को नहीं छोड़ पाए। अंत में हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने के लिए योजना बनाई। अपनी बहन होलिका की गोद में प्रह्लाद को बैठाकर अग्नि के हवाले कर दिया। लेकिन भगवान की ऐसी कृपा हुई कि होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद आग से सुरक्षित बाहर निकल आए, तभी से होली पर्व को मनाने की प्रथा शुरू हुई। एक अन्य कथा के अनुसार, हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो जाये पर शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे। कामदेव पार्वती की सहायता को आये। उन्होंने प्रेम बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गयी। शिवजी को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी। उनके क्रोध की ज्वाला में कामदेव का शरीर भस्म हो गया। फिर शिवजी ने पार्वती को देखा। पार्वती की आराधना सफल हुई और शिवजी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकत्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है। Post Views: 295