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मुंबई: पश्चिम रेलवे RPF की टीम ने जाली टिकट दलालों का किया पर्दाफाश; जानिए- पूरा मामला?

मुंबई, (राजेश जायसवाल): गर्मी के मौसम में टिकट के लिए मारामारी मची हुई है। कारण हर साल गर्मियों के मौसम में रेलवे पर सवारियों का बोझ कई गुना बढ़ जाता है। इस सीजन में घर जाने वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ट्रेनों में कंफर्म सीट का टिकट मिलना मुश्किल हो जाता है। आरक्षित टिकटों के भयंकर संकट के बीच दलालों की भी चांदी कटती है। यात्रियों की मजबूरी का फ़ायदा उठाते हुए दलाल जाली टिकट का धंधा शुरू कर देते हैं।
पश्चिम रेलवे आरपीएफ़ ने एक ऐसे ही एक दलाल गिरोह का पर्दाफ़ाश किया है, जो फर्जी कागज़ पर टिकट प्रिंट कर धड़ल्ले से बेच रहे थे। यह टिकट बुकिंग का अपने आप में एक अनोखा केस है। पश्चिम रेलवे ने लंबी दूरी की ट्रेनों में टिकट चेकिंग के दौरान शक के आधार पर इस गिरोह का पर्दाफ़ाश किया। एक अधिकारी ने बताया कि टिकट चेकिंग के दौरान यात्री ने जो काउंटर का टिकट दिखाया, वो कुछ अलग-सा लग रहा था। यात्री से टिकट बुकिंग की पूरी डिटेल ली गई। ये तत्काल टिकट थे, जिससे यात्रा हो रही थी। यात्री ने बताया कि मुंबई के किसी दलाल के ज़रिए ये टिकट बुक की गई थी।

विजिलेंस ने बिछाया जाल
कुशीनगर एक्सप्रेस के यात्री से जानकारी मिली थी कि अंधेरी के साकीनाका में अलीम नाम के दलाल ने यह टिकट बुक की थी। इस जानकारी के बाद विजिलेंस विभाग के मनोज यादव, संजय शर्मा, संजीव गोलटकर, नेहा माथुर और रवि साठे ने पूरा जाल बुना और यात्री बनकर गिरोह का पर्दाफ़ाश किया।

रिमोट लोकेशन में टिकट बुकिंग
सूत्रों ने बताया कि उत्तर-पूर्वी राज्यों की ऐसे लोकेशन से टिकट बुकिंग हो रही थी, जहां के कोड भी सिस्टम में मौजूद नहीं है। दलाल की डिमांड पर देशभर में ऐसी लोकेशन पर वास्तव में टिकट बुक हो रही थी। इस टिकट की डिटेल दलाल को भेजी जाती थी, जो वास्तविक दिखने वाले कागज़ पर टिकट प्रिंट करता था।

आउटसोर्सिंग ने बढ़ाई मुसीबत
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि पहले टिकट के कागज़ की इन हाउस प्रिंटिंग होती थी लेकिन आउटसोर्स होने के कारण ऐसी परेशानी पैदा हुए है। अधिकारी ने बताया कि इस गिरोह का सरग़ना अफ़ज़ल अभी फ़रार है। रेलवे पुलिस तलाश में जुटी है कि टिकट के कागज़ की ये स्टेशनरी दलालों को कैसे उपलब्ध हो पाई?

नागपुर RPF ने किया अवैध सॉफ्टवेयर से रेलवे टिकट बुक करने के रैकेट का भंडाफोड़!
इसी क्रम में महाराष्ट्र के नागपुर आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल) ने भी मंगलवार को एक फर्जी रेलवे टिकट रैकेट का भंडाफोड़ किया। रैकेट के सदस्य डुप्लीकेट टिकट को सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर ब्लैक मार्केट में बेच देते थे। आरपीएफ ने नागपुर में छापेमारी कर एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। वह कथित तौर पर nexus नामक फर्जी सॉफ्टवेयर के जरिए टिकटों की कालाबाजारी का एक बड़ा गठजोड़ चला रहा था।
आरपीएफ को अपने गोपनीय सूत्रों से जानकारी मिली थी कि नागपुर के हनुमान नगर इलाके में एक व्यक्ति अवैध रूप से टिकट बुक कर टिकटों की कालाबाजारी कर रहा है। सूचना पर कार्रवाई करते हुए आरपीएफ की टीम ने एक घर में छापा मारा और वहां से दो लाख रुपये और दो लैपटॉप समेत करीब 55 बुक टिकट बरामद किए। आरपीएफ ने सिस्टम चेक किया तो करीब 83 लाख की ठगी का पता चला। इसके बाद आरपीएफ ने आरोपी दलाल को गिरफ्तार कर लिया।

आरपीएफ के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपी अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए टिकट बुक करता था और फिर उसे 2-3 गुना ज्यादा कीमत पर बेच देता था। आरोपी 2016 से फर्जी टिकट का यह धंधा चला रहा था। आरोपी नेक्सस सॉफ्टवेयर के जरिए एक बार में 15-20 टिकट बुक कर लेता था। आरपीएफ के मुताबिक नेक्सस सॉफ्टवेयर रेड मिर्ची और कोविड-19 सॉफ्टवेयर की तरह ही काम करता है।