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सरकार एक काम करे तो कांग्रेस के नेता भी एयरपोर्ट पर पीएम मोदी की अगवानी करेंगे: पवन खेड़ा

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन देशों की यात्रा से लौटने पर भव्य स्वागत किया गया। कुछ देर बाद कांग्रेस ने तंज कसा। मुख्य विपक्षी दल ने कहा कि अगर सरकार भगोड़े अपराधियों नीरव मोदी और ललित मोदी को वापस लाती है तो कांग्रेस के नेता भी प्रधानमंत्री की अगवानी के लिए हवाई अड्डे पर खड़े रहेंगे।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, हम भी भव्य स्वागत (प्रधानमंत्री का) करेंगे, लेकिन केवल इस शर्त पर कि अन्य मोदी को वापस लाया जाए। अगर ललित मोदी या नीरव मोदी को सरकार वापस लाती है तो हम भी दिल्ली हवाई अड्डे पर खड़े रहेंगे और भव्य स्वागत करेंगे। जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा से लौटने पर हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री के भव्य स्वागत के बारे में खेड़ा से सवाल किया गया था।


खेड़ा ने कुछ खबरों का हवाला देते हुए दावा किया कि मोदी के वापस आते ही ऑस्ट्रेलिया के एक विश्वविद्यालय ने पांच राज्यों के भारतीय छात्रों को प्रवेश देने पर रोक लगाने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा, क्या यह प्रधानमंत्री की उपलब्धि है? वह हवाई अड्डे से घर भी नहीं पहुंचे होंगे कि यह खबर आ गई। जब भी भारतीय प्रधानमंत्री बाहर जाते हैं तो वह भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी पहली जिम्मेदारी भारत के हितों की रक्षा करना है, भले ही उन्हें सम्मान मिले और उनके लिए बड़े कार्यक्रम आयोजित हों।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, ऑस्ट्रेलिया द्वारा पांच राज्यों के छात्रों पर रोक लगाने के फैसले पर आपने क्या कदम उठाए और जब भारतीय छात्रों का भविष्य खतरे में है तो कब इस पर चर्चा होगी। उन्होंने यह भी कहा कि सही सोच रखने वाला हर भारतीय यहां जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों का समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी प्रदर्शन स्थल पर गईं और पहलवानों के साथ उन्होंने कुछ वक्त बिताया।
खेड़ा ने कहा, हमारे दूसरे नेता और अन्य चिंतित नागरिक भी पहलवानों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री चार किलोमीटर से भी कम दूरी पर हैं। स्मृति ईरानी और ये सारे मंत्री जंतर मंतर से करीब तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं। दुर्भाग्य की बात है कि वहां किसी भी मंत्री को नहीं देखा गया। जब हम सत्ता में थे तो सरकारों में एक संवेदनशीलता होती थी। इस सरकार में या इस सरकार के किसी भी व्यक्ति में रत्ती भर भी संवेदना नहीं दिखती। खेल मंत्री में भी नहीं।