ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे के इस दांव-पेच से ख़त्म हुआ मनोज जारांगे का आमरण अनशन? 2nd November 2023 Network Mahanagar 🔊 Listen to this मनोज जारांगे पाटिल ने मांग की है कि जो लोग कुनबी के रूप में पंजीकृत हैं, उन्हें जाति प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए। एकमुश्त आरक्षण की मांग नहीं है, केवल जिनके पास रिकार्ड है, उन्हें प्रमाण पत्र देने की मांग है। सरकार इसमें देरी नहीं करेगी। हड़ताल खत्म करने के लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। स्थायी आरक्षण को लेकर तीन आयोग स्थापित किए गए हैं। वे काम करते रहेंगे। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मुंबई: मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष के हमले झेल रहे सीएम एकनाथ शिंदे…अपनी कूटनीति से मनोज जरांगे पाटिल की हड़ताल खत्म कराने में सफल रहे। राज्य में ऐसा पहली बार हुआ जब कानून के विशेषज्ञ खुद भूख हड़ताल तुड़वाने के लिए पहुंचे। यह सीएम एकनाथ शिंदे का ऐसा दांव था जो सफल रहा। अंतरवाली में जब तीन पूर्व जस्टिस की जरांगे से मुलाकात सकारात्मक रही तो इसके बाद चार मंत्रियों की टीम ने जरांगे से मुलाकात की। मराठा आरक्षण के मुद्दे पर संवेदनशीलता और सूझबूझ से काम लेकर सीएम शिंदे अपनी रणनीति में कामयाब हो गए। मराठा आरक्षण के दौरान जिस तरह की हिंसा सामने आने लगी थी, वह शिंदे सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन रही थी। विपक्ष ने गृह मंत्री का विभाग संभाल रहे उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी थी। दशहरा रैली के अगले दिन जैसे ही मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल ने भूख हड़ताल शुरू की।मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस भी अगले 24 घंटे में सक्रिय हो गए। उन्होंने शिंदे समिति से रिपोर्ट के स्टेट्स का पता लगवाया है। जैसे ही शिंदे समिति की प्रांरभिक रिपोर्ट तैयार हुई तो उसे पहले कैबिनेट में रखा और निजाम शासन के दस्तावेज रखने वाले मराठा लोगों को कुनबी प्रमाण पत्र देने का ऐलान कर दिया। मुख्यमंत्री शिंदे पूरे आंदोलन के दौरान महाराष्ट्र में मौजूद रहे। इसके बाद उन्होंने अगले ही दिन सर्वदलीय बैठक बुलाकर बड़ा दांव चल दिया। इसके बाद उन्होंने मनोज जरांगे पाटिल से अनशन खत्म करने की अपील की। बता दें कि महाराष्ट्र में ‘मराठा आरक्षण’ राजनीति से ज्यादा कानूनी पेचीदगियों में फंसा है। ऐसे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कैबिनेट के बैठक और फैसलों के साथ सर्वदलीय बैठक पूरी होने के बाद पूर्व जजों की टीम को जालना भेजने का फैसला किया। मुख्यमंत्री के इस कदम से मराठा प्रदर्शनकारियों में एक अलग भरोसा खड़ा हुआ। राजनेताओं से ज्यादा तीन पूर्व जस्टिस की मुलाकात से फर्क पड़ा। एक बार फिर पानी पीना छोड़ चुके जरांगे का रुख पाजिटिव दिखा तो सीएम ने अपने विश्वस्त मंत्रियों को जरांगे के पास जालना भेज दिया। आखिर में सीएम जो गुड न्यूज चाह रहे थे। वह अनशन के नौवें दिन शाम को आ गई। इतना ही नहीं इससे पहले सातवें दिन सीएम ने खुद जरांगे से बात की। इससे भी मराठा प्रदार्शनकारियों में एक अच्छा संदेश गया। पूर्व जस्टिस शिंदे की कमेटी से मिलकर जरांगे भी आश्वत हो गए कि सरकार गंभीरता से काम कर रही है। जरांगे के जिस सवाल का जवाब सीएम शिंदे के पास नहीं था। उस कठिनाई को जजों की टीम ने हल कर दिया। जरांगे को यह भी बताया गया कि सरकार ने अभी ईमानदारी से काम किया है। आगे के दो महीनों में भी सरकार खूब मेहनत करने वाली है। निजाम के दौर के अभिलेखों का युद्ध स्तर पर सत्यापन कर प्रमाण पत्र जारी किए जायेंगे। सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन को लेकर भी प्रक्रियाएं चल रही हैं। मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की गलती को भी सुधारने के लिए तीन जजों की कमेटी काम कर रही है। Post Views: 174