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किंग्ज सर्कल का रेलवे टिकट कार्यालय बिल्डर के इशारे पर किया गया जमींदोज? स्थानीय जनता में फैला आक्रोश

राजेश जायसवाल/मुंबई
मुंबई के उपनगरीय रेलवे स्टेशन किंग्ज सर्कल (हार्बर लाइन) के पास स्थित १०१ साल पुराने ऐतिहासिक टिकट काउंटर को बीएमसी के एफ-उत्तर विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत के चलते अज्ञात भू-माफियों द्वारा धराशायी कर नेस्तनाबूद कर दिया गया है। ब्रिटिश काल में बने ऐतिहासिक किंग्ज सर्कल टिकट कार्यालय को अज्ञात बदमाशों द्वारा ध्वस्त किये जाने की घटना से स्थानीय नागरिकों में गहरा रोष देखने को मिल रहा है। हालांकि, यहां बने कमरे और टिकट घर रेलवे विभाग की संपत्ति है।

मिली जानकारी के मुताबिक, आजादी के बाद करीब ६० वर्ष पहले इस टिकट कार्यालय को केंद्रीय रेलवे प्रशासन ने बंद कर दिया था। जिसके बाद इस टिकट घर से सटे रेलवे भूखंड पर कमलानगर, तेलुगु गली और विश्राम वाडी झुग्गियां बस गईं। कुछ साल पहले एक निजी डेवलपर की नजर इस सरकारी प्लॉट पर पड़ी और इसके बाद इस बस्ती का पुनर्विकास शुरू किया गया। कमलानगर क्षेत्र में कुल १२०० घर हैं, जिनमें से ८५० झुग्गीवासियों को अधिकृत भी किया गया है। इनमें से अधिकांश घरमालिकों को रूम का किराया देकर डेवलपर द्वारा उनकी झोपड़ियों पर कब्जा जमा लिया गया है और उन्हें तोड़ने का काम प्रगति पर है। यह काम चल ही रहा था कि शनिवार, ७ दिसंबर की रात अचानक अज्ञात बदमाशों ने दो जेसीबी मशीन, एक डम्पर और ५० से अधिक मजदूरों के साथ ब्रिटिशकालीन टिकट घर को गिरा दिया और रातों-रात की गई इस तोड़फोड़ की भनक ना तो बीएमसी को और ना ही पुलिस को लगी। सबसे चौंकाने वाली घटना यह है कि इसी से सटा हुआ परिमंडल-४ का डीसीपी ऑफिस और सायन तथा माटुंगा पुलिस स्टेशन है। इसी के इर्द-गिर्द एफ-उत्तर विभाग (बीएमसी) का ऑफिस भी पड़ता है।

८ दिसंबर की सुबह तक ऐतिहासिक संरचना को पूरी तरह समतल कर दिया। तोड़े गए टिकट काउंटर से निकली लोहे के रॉड्स, स्टील और मलबे को सात-आठ डम्परों में भरकर बेच दिया गया। रेलवे अधिकारियों द्वारा बताया जा रहा है कि सप्ताहांत हुई इस घटना के वक्त रेलवे अधिकारी अवकाश पर थे। ११ दिसंबर को जब रेलवे अधिकारियों को इस घटना के बारे में जानकारी हुई तो भारी संख्या में आरपीएफ, जीआरपीएफ और रेलवे अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने पाया कि बिल्डर के पास तोड़फोड़ के लिए कोई वैध दस्तावेज नहीं थे।
गौरतलब है कि किंग्ज सर्कल रेलवे टिकट हाउस का निर्माण १९४१ में हुआ था। ब्रिटिश नागरिक इस स्टेशन का उपयोग माल परिवहन के लिए करते थे।

जनता रेलवे से पूछ रही सवाल?
वहीं, स्थानीय जनता का कहना है कि रेलवे विभाग दादर रेलवे स्टेशन के बाहर एक बहुत पुराने हनुमान मंदिर को तोड़ने की कई बार कोशिश कर चुका है। लेकिन रेलवे के अधीन किंग्ज सर्कल रेलवे स्टेशन पर सौ साल से अधिक पुराने ऐतिहासिक टिकट काउंटर को बिल्डर और उसके गुंडों ने रातोंरात नष्ट कर दिया। आज ११ दिन बीत चुके हैं, लेकिन रेलवे विभाग ने अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और न ही एफआईआर दर्ज कराई। बल्कि, रेलवे अधिकारी बिल्डर के साथ मीटिंग पर मीटिंग कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि आज मंगलवार शाम सायन पुलिस स्टेशन में सीनियर पीआई संतोष शेवाले, रेलवे विभाग, एसआरए, बिल्डर और पुलिस के साथ एक और बैठक आयोजित की गई।