ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरलाइफ स्टाइलशहर और राज्यसामाजिक खबरें किन्नर महामंडलेश्वर जगद्गुरु हेमांगी सखी ने ”ऑपरेशन सिन्दूर” को लेकर कहीं ये बड़ी बात? 18th May 2025 networkmahanagar 🔊 Listen to this राजेश जायसवाल / मुंबई देश की प्रथम किन्नर भागवताचार्य महामंडलेश्वर जगद्गुरु हेमांगी सखी मां और साथ में देश की दूसरी और महाराष्ट्र की पहली किन्नर एडवोकेट पवन यादव से हुई बातचीत के प्रमुख अंश:- 5 भाषाओं में सुनाती हैं भागवत कथा! आपने पुरुष और महिला कथावाचक तो कई देखे होंगे लेकिन किन्नर कथावाचक नहीं देखे होंगे। सबसे ख़ास बात यह है कि महामंडलेश्वर जगद्गुरु हेमांगी सखी 5 भाषाओं में भागवत कथा सुनाती हैं। वह हिंदी, मराठी, अंग्रेजी, पंजाबी और गुजराती में भागवत कथा सुनाती हैं। उनका यह मानना है कि भागवत हर किसी को सुननी और समझनी चाहिए। भागवत कथा सुनने की प्रक्रिया में भाषा बाधा न बन सके इसलिए वह श्रोताओं की सुविधा अनुसार, उनकी भाषा में ही भागवत सुनाती हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता गुजराती और मां पंजाबी थीं। उनका पालन-पोषण मुंबई में ही हुआ है। इसी कारण उन्हें पांचों भाषाएं आती हैं। मुंबई में माता-पिता के निधन और बहन की शादी के बाद वो वृंदावन चली गईं थीं। वहां गुरु की शरण में रहकर शास्त्रों का अध्ययन किया। गुरु की आज्ञा और शास्त्रों के आधार पर उन्होंने पूरे देश में हिंदुत्व का परचम लहराया। वृंदावन से मुंबई आईं जगद्गुरु हेमांगी सखी आज भी जहां जाती हैं, वहां सनातन धर्म का प्रचार करती रहती हैं। आज हिमांगी सखी देश ही नहीं बल्कि विश्व की पहली किन्नर महामंडलेश्वर हैं। उन्हें देश की पहली ट्रांसजेंडर कथावाचक का खिताब हासिल है। ”निर्मोही अखाड़ा” की स्थापना 1720 में वैष्णव संत और कवि रामानंद ने की थी। इस अखाड़े की महामंडलेश्वर हेमांगी सखी हैं। वे कहती हैं कि हमारा भारत आस्था और धर्म का देश है। भागवत सुनना और सुनाना हमारी सनातन संस्कृति का हिस्सा रहा है। प्रसिद्ध कथावाचक महामंडलेश्वर हेमांगी सखी अब तक बैंकाक, सिंगापुर, मारीशस, वृन्दावन, मुंबई, पटना, झांसी और बुंदेलखंड आदि जगहों पर हजारों भागवत कथाएं कर चुकी हैं। जगद्गुरु हेमांगी सखी कहती हैं कि मनुष्य जन्म मिला है तो इस जन्म को सार्थक करना है। यह जन्म आने वाली पीढ़ी और हमारे बच्चों के लिए समर्पित करना है। अपने लिए तो हर कोई जीता है, जीना उसका नाम है, जो दूसरों के लिए जिए। कुछ पाना है तो त्याग करना पड़ेगा। महामंडलेश्वर हेमांगी सखी कहती हैं कि उन्हें बचपन से ही भगवान कृष्ण के प्रति आकर्षण था। वह उनको अपना आराध्य मानती हैं। कृष्ण भक्ति की उनकी शुरुआत मुंबई जुहू के उनके घर के नजदीक बने इस्कॉन मंदिर से हुई। इसके बाद वह दिल्ली और वृंदावन गईं। वहां अपने प्रथम गुरु से भी उनकी मुलाकात वृंदावन में हुई थी। अपने गुरु को याद करते हुए वे बताती हैं कि उनकी आज्ञा पर ही धर्म के प्रचार के रास्ते पर कदम बढ़ाए, क्योंकि यह शायद भगवान कृष्ण की आज्ञा थी। उन्होंने अपील की है कि हम अपने बच्चों को स्कूल भेजने के साथ सनातन धर्म का ज्ञान अवश्य दें। जब धर्म का ज्ञान होगा तो उनको जीवन जीने की कला अपने आप पता चल जाएगी, क्योंकि धर्म व शास्त्र हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं। विदेश भी जाती हैं भागवत कथा सुनाने… महामंडलेश्वर हेमांगी सखी कहती हैं, भागवत कथा सुनाने की उनकी शुरुआत मॉरीशस से हुई। उन्होंने वहां अंग्रेजी में भागवत सुनाई। इस्कॉन मंदिर समिति द्वारा उन्हें उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया और इसके बाद वह देश-विदेश में भागवत सुनाने के लिए जाती रहीं। स्पेन, बहरैन, सिंगापुर जैसे देशों के अलावा उन्होंने भारत के भी कई राज्यों में भागवत कथा का पाठ किया है। हेमांगी सखी को प्रयागराज में साल 2019 के अर्ध कुंभ में महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी। यह उपाधि उन्हें नेपाल के ”पशुपतिनाथ पीठ” के द्वारा दी गई थी। यह अखाड़ा भगवान शिव को समर्पित है और इसे “पशुओं के भगवान” के रूप में भी जाना जाता है। प्रयागराज में हुए कुंभ के दौरान आचार्य महामंडलेश्वर गौरी शंकर महाराज ने उन्हें यह उपाधि दी थी। फिल्मों में भी कर चुकी हैं अभिनय! महामंडलेश्वर बनने से पूर्व हेमांगी सखी ने कई फिल्मों में अभिनय भी किया है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों का अध्ययन और भगवान के प्रति रुचि तो हमें बचपन से ही थी। हमारे पास पेट पालने के लिए उस वक़्त कुछ भी नहीं था। यह जो कला हमारे अंदर थी, उसका हमने उपयोग किया। हमने फिल्म इंडस्ट्री में काम किया और साथ-साथ शास्त्रों का अध्ययन भी किया। जब शास्त्रों का अध्ययन पूर्ण हुआ तो उसके बाद हमने फिल्म इंडस्ट्री का काम छोड़ दिया। सिर्फ श्री हरि के नाम का सिमरन और उनके नामों का प्रचार कर अपने जीवन को समर्पित किया। किन्नर खुद को करें शिक्षित महामंडलेश्वर हेमांगी सखी कहती हैं, पद की गरिमा सर्वप्रथम है। किन्नर समुदाय के लोगों को संदेश देते हुए उन्होंने ने कहा कि वह पहले शिक्षा ग्रहण करें। शिक्षा से ही उन्हें समाज में सम्मान और पहचान मिलेगी। किन्नर खुद को आध्यात्मिक कार्यों में लगाएं तथा धर्म का प्रचार-प्रसार करें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किन्नर समुदाय के लिए कई सकारात्मक कदम उठा रही है। इसके लिए किन्नरों को भी अब स्वावलंबी बनकर आगे बढ़ना चाहिए। पद की गरिमा सर्वप्रथम है। ”ऑपरेशन सिन्दूर” को लेकर कहीं ये बड़ी बात? महामंडलेश्वर जगद्गुरु हेमांगी सखी ने ”ऑपरेशन सिन्दूर” को लेकर कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में जितना भी कहूं कम होगा। आज जो ऑपरेशन हो रहा है वो पूरा देश अपनी आंखों के सामने देख रहा है, जो अतिसराहनीय है। हमारा पूरा किन्नर समाज ”ऑपरेशन सिन्दूर” के समर्थन में है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है। प्रधानमंत्री मोदी जी जो भी कदम उठाते हैं वो सोच-समझ कर उठाते हैं। ”ऑपरेशन सिन्दूर” के लिए यदि हमारे समाज को भी चुना जायेगा तो हम तत्पर हैं अपनी जान के न्योछावर के लिए। लोग सिर्फ किन्नर का आशीर्वाद चाहते हैं: पवन यादव वैसे तो आपने किन्नरों (Transgender) के बारे में अनेकों किस्से/कहानियां सुने होंगे, समाज के इस तबके को हरदम अलग नजरिये से देखा गया हैं। लेकिन हम आज आपको एक ऐसे किन्नर के बारे में बता रहे हैं, जिसने पूरे किन्नर समाज का नाम रोशन किया है। वैसे तो किन्नर पवन यादव किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। फिर भी कहते हैं कि ”हौसले बुलंद कर रास्तों पर चल दे…तुझे तेरा मुकाम मिल जाएगा, बढ़कर अकेला तू पहल कर…देखकर तुझको काफिला खुद बन जाएगा!” जी हां, यह कहावत बिल्कुल सही चरितार्थ होती है किन्नर समाज से आने वाली पवन यादव पर, जो देश की दूसरी और महाराष्ट्र की पहली किन्नर एडवोकेट हैं। पवन ने अपनी वकालत की पढ़ाई मुंबई से ही की हैं। उस दौरान उनके जीवन में कई तरह की परेशानियां भी सामने आयी, लेकिन कठिन परिस्थितियों में भी उन्हें मात देते हुए पवन ने सभी कठिनाइयों का डटकर सामना किया और आख़िरकार अपने समाज और परिवार से लड़कर अपने लक्ष्य को हासिल कर ही लिया। पवन ने किन्नर समाज के लिए उच्च शिक्षा, जेंडर समानता और समाज में किन्नरों को सम्मान दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया है।उन्होंने किन्नरों के प्रति समाज के नजरिये को बदलने की अपील करते हुए किन्नरों का साथ देने की बात कही। एडवोकेट पवन यादव समाज को एक नई पहचान देने की कोशिश कर रही है। उनका कहना है कि किन्नर समाज को आज तक इस समाज से सम्मान नही मिला। वो दिखाना चाहती है कि कैसे एक किन्नर हर फील्ड में कर सकता है। मुंबई के गोरेगांव के रहने वाली एडवोकेट पवन यादव का कहना है कि लोग सिर्फ किन्नर का आशीर्वाद लेना चाहते हैं। क्योकिं किन्नरों का आशीर्वाद कभी खाली नहीं जाता। यदि कोई किन्नर किसी व्यक्ति को दिल से दुआ दे दे तो उसके जीवन से बड़ी से बड़ी समस्या पलक झपकते दूर हो जाती हैं। लेकिन यहीं समाज उन्हें आज भी “हेय दृष्टि” से देखता है, जो कहाँ तक उचित है। वे बताती हैं कि आज उन्हें तमाम संस्थान और जगहों से ”सम्मानित” करने के लिए बुलावा आता है, लेकिन वे नहीं जाती हैं। इसके पीछे उनका एक ही मकसद है कि पहले ”किन्नर समुदाय” को सम्मान मिलना चाहिए। महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा स्थापित तृतीयपंथी कल्याण बोर्ड की सलाहकार पवन यादव के मुताबिक, किन्नर समाज के लोग आज हर फील्ड में कुछ कर गुजरने की आजमाइश कर रहे हैं और उनके समाज में लगातार ऐसे लोग शामिल हो रहे हैं जो किन्नर के बारे में लोगों की धारणाओं को बदलने का काम कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि एक दिन ऐसा आएगा जब किन्नर समाज के लोगों को भी अच्छी नजर से देखा जाएगा, उनका तिरस्कार नहीं किया जाएगा और उनका भी समाज में एक स्थान होगा। बता दें कि राज्य स्तरीय तृतीयपंथी कल्याण बोर्ड किन्नर समुदाय के कल्याण और विकास के लिए काम करता है। इस दौरान एडवोकेट किन्नर पवन यादव ने बताया कि वे जल्द ही किन्नर समुदाय के लिए ”जनता दरबार” लगाने जा रहीं हैं। जिसमें किन्नरों को अपने हक़ और अधिकारों की लड़ाई लड़ने और उनकी विविध परेशनियों को दूर करने का कार्य किया जाएगा। Post Views: 14