महाराष्ट्रमुंबई शहर BMC की मदद से ‘बेस्ट’ फिर बनेगी मुंबई की दूसरी लाइफ लाइन 24th June 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई, नए मनपा आयुक्त प्रवीण परदेशी के आने के बाद शहर की दूसरी लाइफ लाइन यानी बेस्ट परिवहन को संजीवनी मिली है। ज्यादा बसें, ज्यादा यात्री और कम किराया के सूत्र से आर्थिक संकट से जूझ रही बेस्ट को उबारने की कवायद चल रही है। बेस्ट परिवहन के पतन की शुरुआत 2003 से हुई थी और इन्हीं 15 वर्षों में महानगर में वाहनों की संख्या बेतहाशा बढ़ने लगी थी। आज मुंबई में 35 लाख से ज्यादा पंजीकृत वाहन हैं। टैक्सी, ऑटो और ऐप बेस्ड टैक्सी की संख्या में भी दो गुनी वृद्धि हुई है। ये स्थितियां बेस्ट बसों की सेवाओं में लगातार कमी के कारण पैदा हुईं। ‘कर्ज लेकर घी पीने’ वाले दर्शन ने बेस्ट को और संकट में डाला। इससे उबरने के लिए किराया बढ़ाया गया और कुछ रूट बंद कर दिए गए। अब ऐसी स्थिति बन गई कि बेस्ट को बने रहे के लिए बीएमसी की शरण लेनी ही पड़ेगी। बीएमसी ने बेस्ट को प्रतिमाह 100 करोड़ रुपये देने का वादा किया है। बेस्ट को बीएमसी का सहारा…बीएमसी की ओर से पहले भी बेस्ट की आर्थिक मदद की गई थी, लेकिन वह कर्मचारियों के वेतन देने तक सीमित थी। अब नए मनपा कमिश्नर प्रवीण परदेशी ने बेस्ट को संकट से उबारने का रोडमैप दिया है। 5 किमी की दूरी तक के लिए 5 रुपये तक किराया। छोटे रूट पर वातानुकूलित बसें चलाने की योजना से यात्रियों को दोबारा आकर्षित किया जाएगा। नए प्लान के अनुसार प्रतिदिन 45 लाख यात्री बेस्ट सर्विस लेंगे, यह संख्या अभी लगभग 26 लाख है। मुंबई सबर्बन ट्रेनों में रोजाना लगभग 70 लाख यात्री सफर करते हैं। मुंबई लोकल विश्व की सबसे सस्ती सार्वजनिक परिवहन सेवा है। फायदे की बात करें, तो यात्रियों से होने वाली कमाई से कभी ऑपरेशनल खर्च भी नहीं निकला है। फिर भी, मुंबई लोकल लगातार दौड़ रही है। बेस्ट परिवहन को भी अब इसी तर्ज पर आगे बढ़ाया जाना है। दूसरे शहरों में भी ऐसा होता है…बंगलुरु म्यूनिसिपल ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (बीएमटीसी) को 2012-13 में कर्नाटक राज्य सरकार ने परिवहन व्यवस्था सुधारने के लिए 87।47 करोड़ रुपये का अनुदान दिया था। इसके अलावा शहर की जमीन का हिस्सा 50 प्रतिशत कम रुपये पर लीज पर दिया था, ताकि आधारभूत ढांचे की ओर ध्यान दिया जाए।वहीं दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (डीटीसी) को दिल्ली सरकार ने ₹500 करोड़ की अनुदान राशि दी थी। डीटीसी द्वारा सामान्य बसें खरीदने के लिए दिल्ली सरकार ने जेएनएनयूआरएम योजना के तहत कुल राशि का 65% भुगतान किया। इसके अलावा 1250 एसी बसें खरीदने के लिए भी सरकार ने आर्थिक मदद की। चेन्नै मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (एमटीसी) को तमिलनाडु राज्य सरकार द्वारा ₹124 करोड़ की अनुदान राशि दी गई। बेस्ट प्रशासन ने सन 2008 में 266 एसी बसें बेड़े में शामिल की थीं। ये किंगलॉन्ग सामान्य बसों से लंबी थीं। प्रशासन को भी उम्मीद थी कि यात्रियों को आकर्षित करने में यह योजना कामयाब होगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 82 करोड़ रुपये का सालाना घाटा सहन करने के बाद आखिरकार अप्रैल 2017 से इन बसों को सर्विस से हटा लिया गया। नए प्लान में बेस्ट छोटी साइज की बसें खरीदने जा रही है। मुंबई के मौजूदा ट्रैफिक में छोटी साइज की फ्लीट बसें ही उपयुक्त साबित होंगी। इन बसों को भी वेट-लीज पर खरीदा जा रहा है। इसका मतलब है कि बस खरीदने और उसके रखरखाव की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी की होगी। मुंबई महानगर और उपनगर क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विभिन्न कार्यों के चलते बेस्ट बसों का औसतन उपयोग घटकर 188 किमी रह गया, जो कभी 220 किमी हुआ करता था। साल 1993-94 में एक दिन में 50।31 लाख यात्रियों को सेवा देकर बेस्ट ने कीर्तिमान बनाया था। यात्रियों की संख्या में गिरावट 2008-09 से शुरू हुई। बेस्ट के इतिहास में एक साल में सबसे अधिक यात्रियों 42,98,370 ने 1987-88 में यात्रा की थी। बेस्ट के इतिहास में सबसे ज्यादा यात्रियों की संख्या में गिरावट 2018-19 में हुई। रोजाना औसत यात्री अब घटकर 26 लाख रह गए हैं। Post Views: 210