दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़शहर और राज्य CM सर! मैं भी आपका बच्चा हूं, बचा लीजिए, 13 साल के कृष्णा ने मुख्यमंत्री से मांगी अपने जीवन की भीख 3rd September 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this नयी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार निवासी 13 वर्षीय कृष्णा जन्म के कुछ दिन बाद से ही एक दुर्लभ रोग से पीड़ित है। अन्ना आंदोलन के दौरान सुर्खियों में आया कृष्णा अब इलाज के लिए अपने परिजनों संग दर-दर भटकने को मजबूर है। कृष्णा को मूत्र मार्ग पर हिमनजियोमास नामक गंभीर बीमारी हुई है, जिसमें रक्तस्त्राव होना अंतिम स्टेज माना जाता है।एम्स के डॉक्टरों की मानें तो इस स्थिति में ऑपरेशन करने पर उसकी जान को जोखिम शत-प्रतिशत रहेगा। इसलिए एम्स से लेकर तमाम अस्पताल विदेशों में ही उपचार संभव होने की बात कह चुके हैं। ऑटो चालक बेबस पिता लाल सिंह भी कभी दिल्ली सरकार तो कभी केंद्र के पास मदद की गुहार लगा रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।सोमवार को कृष्णा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र भी लिखा है, जिसमें उसने लिखा कि सीएम अंकल! मैं भी पुलकित और विजय की तरह आपका बेटा हूं। मैं बचपन से पीड़ा में हूं। मेरा जीवन संकट में है, मुझे नई जिंदगी दे दो…।पिता लाल सिंह ने बताया कि वर्ष 2006 में उनके बेटे कृष्णा का जन्म हुआ था। करीब डेढ़ माह बाद उन्हें मूत्र मार्ग के पास एक छोटी सी गाठ होने का एहसास हुआ तो वे एम्स लेकर पहुंचे। तब से करीब 8 साल तक एम्स में इलाज चलता रहा। डॉक्टर कभी डेढ़ तो कभी दो माह बाद वापस बुलाते और दवाएं देकर वापस भेज देते। उन्होंने कई बार ज्यादा असर न पड़ने की बात भी कही, लेकिन डॉक्टरों का कहना था कि इसमें लंबा वक्त लगेगा। आखिर में 6 जनवरी 2014 को एम्स के डॉक्टरों ने मोबाइल नंबर लेकर कहा कि अब आगे तभी आना जब अस्पताल से फोन जाए। अभी बिस्तर खाली नहीं है। लाल सिंह का कहना है कि तब से लेकर अब तक एक भी कॉल एम्स से नहीं आई है। इसके बाद वे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से भी मिले। विधानसभा चुनाव में आप पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में लाल सिंह ने चुनाव में खूब मेहनत की थी। इसलिए वे उम्मीद के साथ दिल्ली सरकार के पास पहुंचे, परंतु कोई हल नहीं निकला। इसी बीच बच्चे को रक्तस्त्राव भी होने लगा। ये लोग फिर एम्स पहुंचे तो डॉक्टरों ने केस दुर्लभ होने की बात कहते हुए इलाज नहीं होने की बात कही। अब लाल सिंह अपने बेटे के साथ जगह-जगह धक्के खा रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने इस बीमारी का उपचार विदेश में होने की जानकारी एकत्रित की है। वे चाहते हैं कि सरकारी मदद पर उनके बच्चे का पूरा इलाज हो जाए और उसका जीवन बच जाए। Post Views: 203