उत्तर प्रदेशचुनावी हलचलब्रेकिंग न्यूज़राजनीतिशहर और राज्य UP: अखिलेश यादव बोले- सरकार बनते ही आंदोलन में शहीद किसान परिवारों को देंगे 25 लाख की सहायता! 24th November 2021 networkmahanagar 🔊 Listen to this लखनऊ: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के हित में तीन कृषि कानून बनाए थे। लेकिन अब तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद भी राजनीतिक दल यूपी विधानसभा चुनाव में इसे मुद्दा बनाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। छोटे दलों के साथ गठबंधन को अंतिम रूप देने में जुटे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने बुधवार को बड़ा ऐलान किया। अखिलेश ने कहा कि यूपी में सपा की सरकार बनते ही किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों को 25-25 लाख की सहायता देंगे। अखिलेश ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि ‘किसान का जीवन अनमोल होता है क्योंकि वो ‘अन्य’ के जीवन के लिए ‘अन्न’ उगाता है। हम वचन देते हैं कि 2022 में समाजवादी पार्टी की सरकार आते ही किसान आंदोलन के शहीदों को 25 लाख की ‘किसान शहादत सम्मान राशि’ दी जाएगी। बता दें कि तीनों कृषि कानून की वापसी की घोषणा के बाद से ही किसान आंदोलन में मृत किसानों के मुआवजे की मांग उठ रही है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कानून वापसी के बाद पीएम मोदी को पत्र लिखकर कई मांग की थी। इसमें कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन के के दौरान मरने वाले किसानों के परिवार के लिए मुआवजे की मांग शामिल थी। पिछले दिनों लखनऊ में हुई किसान महापंचायत में भी ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा था कि सिर्फ तीन कानून वापस लेने से आंदोलन खत्म नहीं होगा और भी ज्वलंत मुद्दे हैं उनका निस्तारण भी जरूरी है। किसानों की मांगों को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी लगातार भाजपा के खिलाफ हमलावर रहे हैं। इससे पहले अखिलेश ने कहा था कि अमीरों की भाजपा ने भूमि अधिग्रहण और काले कानूनों से गरीबों-किसानों को ठगना चाहा। कील लगाई, बाल खींचते कार्टून बनाए, जीप चढ़ाई लेकिन सपा की पूर्वांचल की विजय यात्रा के जन-समर्थन से डरकर काले-कानून वापस ले ही लिए। भाजपा बताए सैकड़ों किसानों की मौत के दोषियों को सजा कब मिलेगी? आइए जानते हैं- इन तीनों कृषि कानूनों के बारे में… केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के हित में तीन कृषि कानून बनाए थे। पहला कानून था- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020 दूसरा कानून था- कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 तीसरा कानून था- आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020 इस कानून के तहत देश के किसानों को उनकी उपज बेचने के लिए अधिक विकल्प मुहैया कराना मुख्य उद्देश्य था। ये कानून देश के किसानों को अच्छी कीमत पर अपनी फसल बेचने की स्वतंत्रता देता था। इसके अलावा यह, राज्य सरकारों को मंडी के बाहर होने वाली उपज की खरीद-फरोख्त पर टैक्स वसूलने से रोक लगाता था। इस कानून के तहत किसान अपनी फसलों को देश के किसी भी हिस्से में किसी भी व्यक्ति, दुकानदार, संस्था आदि को बेच सकते थे। इतना ही नहीं, किसान अपनी उपज की कीमत भी खुद तय कर सकते थे। 2. कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 इस कानून के तहत देशभर के किसान बुआई से पहले ही तय मानकों और तय कीमत के हिसाब से अपनी फसल को बेच सकते थे। यह कानून कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से जुड़ा था। इस कानून को लेकर सरकार का कहना था कि इसके जरिए किसानों को नुकसान का जोखिम कम रहेगा। इसके अलावा उन्हें फसल तैयार होने के बाद खरीदारों को जगह-जगह जाकर ढूंढने की भी जरूरत नहीं होगी। इतना ही नहीं, इसके जरिए देश का किसान समानता के आधार पर न सिर्फ खरीदार ढूंढ पाने में सक्षम होगा बल्कि उसकी पहुंच बड़े कारोबारियों और निर्यातकों तक बढ़ जाएगी। 3. आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 फसलों के भंडारण और फिर उसकी कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार ने पहले Essential Commodity Act 1955 बनाया था। इसके तहत व्यापारी एक सीमित मात्रा में ही किसी भी कृषि उपज का भंडारण कर सकते थे। वे तय सीमा से बढ़कर किसी भी फसल को स्टॉक में नहीं रख सकते थे। नए कृषि कानूनों में आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 के तहत अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी कई फसलों को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से बाहर कर दिया।सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा, अकाल या ऐसे ही किसी विपरीत हालात के दौरान इन वस्तुओं के भंडारण पर कोई सीमा नहीं लगेगी। Post Views: 202