उत्तर प्रदेशदिल्लीब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरव्यवसायशहर और राज्य

अधिक कीमत पर बेचा मास्क और सैनिटाइजर तो हो सकती है जेल, जानें-कानून

मुंबई: कोरोनावायरस संक्रमण के बढ़ते प्रभाव की वजह से मास्क और सैनिटाइजर की बिक्री बढ़ गई है। मार्केट में इन चीजों को मनमाने दाम पर बेचने या उपलब्ध नहीं होने की तमाम शिकायतें सामने आई थी। सरकार ने इसे देखते हुए दोनों चीजों को आवश्यक वस्तु की सूची में शामिल कर लिया है। 30 जून, 2020 तक ये दोनों चीजें आवश्यक वस्तु की सूची में रहेंगी। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार इनके उत्पादन, बिक्री और वितरण पर नियंत्रण करेगी। अगर किसी ने मनमाने दाम पर मास्क या सैनिटाइजर्स बेचने की कोशिश की तो उनको जेल की सजा भी हो सकती है। दरअसल आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तु की सूची में जिन चीजों को शामिल किया गया है, सरकार उन चीजों का उत्पादन, बिक्री, दाम, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित करती है। इस कानून में मनमाने दाम पर बेचने, जमाखोरी या कालाबाजारी की स्थिति में 7 साल जेल की सजा तक का प्रावधान है। आइए आज इस कानून के बारे में जानते हैं और यह भी जानेंगे कि किन चीजों को आवश्यक वस्तु की श्रेणी में डाला गया है।

क्या है आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955?
आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में भारत की संसद ने पारित किया था। तब से सरकार इस कानून की मदद से ‘आवश्यक वस्तुओं’ का उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित करती है ताकि ये चीजें उपभोक्ताओं को मुनासिब दाम पर उपलब्ध हों। सरकार अगर किसी चीज को ‘आवश्यक वस्तु’ घोषित कर देती है तो सरकार के पास अधिकार आ जाता है कि वह उस पैकेज्ड प्रॉडक्ट का अधिकतम खुदरा मूल्य तय कर दे। उस मूल्य से अधिक दाम पर चीजों को बेचने पर सजा हो सकती है।

आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 का क्या है मकसद?
खाने-पीने की चीजें, दवा, ईंधन जैसे पेट्रोलियम के उत्पाद जिंदगी के लिए कुछ अहम चीजें हैं। अगर कालाबाजारी या जमाखोरी की वजह से इन चीजों की आपूर्ति प्रभावित होती है तो आम जनजीवन प्रभावित होगा। साफ शब्दों में कहा जाए तो कुछ चीजें ऐसी हैं जिसके बगैर इंसान का ज्यादा दिनों तक जिंदा रहना मुश्किल है या इंसान के लिए बहुत ही जरूरी है। ऐसी चीजों को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तु की सूची में डाल दिया जाता है। इसका एक ही मकसद होता है कि लोगों को जरूरी चीजें उचित दाम पर और आसानी से उपलब्ध हो जाए।

कौन सी चीजें इस श्रेणी में शामिल हैं?
सात बड़ी वस्तुओं को इस श्रेणी में डाल दिया गया है जिनमें से कुछ इस तरह से हैं। 1. पेट्रोलियम और इसके उत्पाद जिनमें पेट्रोल, डीजल, नेफ्था और सोल्वेंट्स वगैरा शामिल हैं। 2. खाने की चीजें जैसे खाने का तेल और बीज, वनस्पति, दाल, गन्ना और इसके उत्पाद जैसे गुड़, चीनी, चावल और गेहूं, 3. टेक्सटाइल्स, 4. जरूरी ड्रग्स, 5. फर्टिलाइजर्स। इनके अलावा कई बार सरकार कुछ चीजों को आवश्यक वस्तु की श्रेणी में डाल चुकी है और बाद में स्थिति सामान्य होने पर निकाल दिया गया है। कभी लोह और स्टील समेत कई उत्पादों को आवश्यक वस्तु की सूची में डाला गया था।

केंद्र और राज्य सरकार के पास क्या ताकतें हैं?
इस कानून के तहत केंद्र सरकार के पास अधिकार होता है कि वह राज्यों को स्टॉक लिमिट तय करने और जमाखोरों पर नकेल कसने के लिए कहे ताकि चीजों की आपूर्ति प्रभावित न हो और दाम भी मुनासिब रहे। सामान्य तौर पर केंद्र सरकार किसी चीज को जमा करके रखने की अधिकतम सीमा तय करती है और राज्य अपने मुताबिक उस सीमा के अंदर कोई खास सीमा तय कर सकती हैं। राज्य और केंद्र के बीच किसी तरह का मतभेद होने पर केंद्र का नियम लागू होगा।

क्या है सजा का प्रावधान?
इस कानून के सेक्शन 7(1) ए (1) के तहत अगर सही से रेकॉर्ड नहीं रखा, रिटर्न फाइल आदि करने में कानून का उल्लंघन किया तो इसे जुर्म माना जाएगा। इसके लिए तीन महीने से एक साल तक की सजा का प्रावधान है। सेक्शन 7(1) ए (2) में बड़े अपराधों जैसे जमाखोरी, मुनाफाखोरी, कालाबाजारी आदि के लिए सजा का प्रावधान है। इस स्थिति में सात साल तक जेल की सजा या जुर्माना, या दोनों हो सकता है।

किस पर कानून लागू करवाने की है जिम्मेदारी?
खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग यह सुनिश्चित करता है कि कानून के प्रावधानों पर अमल हो। उल्लंघन की स्थिति में विभाग के अधिकारी व्यापारी के परिसर पर स्थानीय पुलिस के साथ छापा मारते हैं। पुलिस के पास ऐसे आरोपियों को गिरफ्तार करने का अधिकार होता है।

कैसे दर्ज कराएं शिकायत?
राज्य सरकारों को उपरोक्त दोनों चीजों की शिकायत दर्ज कराने के लिए हेल्पलाइन जारी करने की सलाह दी गई है। वैसे अगर आपसे कोई मास्क या सैनिटाइजर का ज्यादा दाम वसूलता है या जमाखोरी करता है तो आप इसकी शिकायत नैशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन नंबर 1800-11-4000 पर कर सकते हैं। ऑनलाइन शिकायत www.consumerhelpline.gov.in पर की जा सकती है या विभाग की वेबसाइट www.consumeraffairs.nic.in पर। मेल के माध्यम से [email protected] और [email protected]@gov.in पर भी शिकायत भेज सकते हैं।