दिल्लीमुंबई शहरशहर और राज्य अधिवक्ता दिवस: नए भारत को गढ़ने में वकीलोंं का महत्वपूर्ण योगदान 4th December 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिवस पर (3 दिसंबर को) भारत भर में अधिवक्ता दिवस (एडवोकेट डे) मनाया जाता है। डॉ राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति के साथ संविधान समिति के अध्यक्ष भी थें, इन सबके पहले वह वक़ील रहें हैं। वकालत विश्व भर में अत्यंत सम्मानीय और गरिमामय पेशा है। भारत में भी वकालत गरिमामय और सत्कार के पेशे के तौर पर हर दौर में बना रहा है। स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों से अधिक योगदान किसी और पेशे का नहीं रहा। स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। भारत के वकीलों ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया है। स्वतंत्रता ही नहीं अपितु जब देश को स्वतंत्रता मिली और नए भारत को गढ़ने का समय आया तब भी वकीलों की महत्ता बनी रही। महात्मा गांधी से लेकर बी आर अम्बेडकर तक लोग वकालत के पेशे से अपने जीवन की शुरुआत करने वाले रहे हैं। इन सब भारत की महान विभूतियों के प्रारंभिक पेशे वकालत ही रहे बाद में यह लोग भले राष्ट्रपति मंत्री हुए परन्तु प्रारंभ में वकील ही रहे। राजनीति के प्रदार्पण के पहले वकालत एक तरह की परंपरा रही है। अधिकांश राजनेताओं का प्रारंभिक पेशा वकालत है। मौजूदा मोदी सरकार में भी 18 केबिनेट मंत्री वक़ील है। लगभग इतने ही वकील भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में भी रहें हैं।हालांकि आज समय के साथ इस पेशे का अर्थ थोड़ा बदल जरूर गया है। धन कमाने के उद्देश्य से आज वकालत की जाने लगी है, आज हर वर्ग विशेष का व्यक्ति वकालत में दांव खेलने आ रहा है। जो जितना योग्य और निषांत प्रतिभा का धनी है उतना वकालत में सफल है। इस पेशे का अजीब रहस्य है कि इस पेशे में एक ही विषय का अध्ययन कर कोई व्यक्ति अच्छी संपदा एकत्रित कर लेता है और कोई शून्य रह जाता, इतना रहस्यमय पेशा कोई अन्य नहीं मालूम होता है।जहां कहीं मानवीय मूल्यों का अतिक्रमण होता है वहां अधिवक्ता की उपलब्धता प्रतीत हो जाती है। भारत की सारी न्याय व्यवस्था अधिवक्ता के काम पर टिकी हुई है। इतना कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि न्याय मिल ही इसलिए रहा है क्योंकि अधिवक्ता उपलब्ध है। अधिवक्ता न्यायालय के अधिकारी है, कभी-कभी वह न्यायधीश से उच्च स्तरीय प्रतीत होतें क्योंकि संपूर्ण न्याय व्यवस्था का भार इन ही काले कोट के कंधों पर है। अगर अधिवक्ता न हो तो भारत की जनता को न्याय मिलना असंभव ही है। यदि इस विषय पर अधिक विस्तृत अध्ययन किया जाए तो विधि शासन को बनाए रखने में अधिवक्ता की भूमिका महत्वपूर्ण है।जब कोई व्यक्ति अपने अधिकारों के अतिक्रमण पर न्यायालय की ओर रुख करता है तो न्यायालय का रास्ता वक़ील के मार्गदर्शन में ही पाया जाता है। भारत की विषाद न्याय व्यवस्था को समझने और उस पर कार्य करने के लिए विशेष कौशल चाहिए होता है, आमजन साधारण का ऐसा कौशल पाना सरल कार्य नहीं है। अधिवक्ता का अभ्यास ही ऐसे कौशल को जन्म देता है। अधिकारों के अतिक्रमण की दशा में अधिवक्ता की सहायता ली जाना आवश्यक है। कोई अधिवक्ता ही आपके वैधानिक और मौलिक अधिकारों के लिए न्यायालय तक आपको ला सकता है। मनुष्य की असभ्य युग से सभ्य युग तक आने की यात्रा बहुत लंबी है और इस यात्रा के बाद विधि शासन का जन्म होता है और विधि शासन को बनाए रखने वाली अदृश्य शक्ति एक प्रकार से अधिवक्ता भी है। यह बात पूरी तरह ठीक नहीं है कि विधि शासन को केवल सरकार बरकरार रखती है अपितु इसमें अधिवक्ता का भी विस्तृत और अकल्पनीय योगदान है परन्तु वह अदृश्य है जो दिखाई नहीं दे रहा है, यह अदृश्य कंधे ही इतने विशाल देश के विधि शासन के पर्वत को लेकर चल रहें है क्योंकि अधिवक्ता के नहीं होने पर न्यायालय के संचालन की कल्पना भी व्यर्थ है। वकीलों को अपनी गरिमा और सामाजिक प्रतिष्ठा को ज्यों की त्यों बनाए रखने के लिए अधिक परिश्रम करने चाहिए जिससे किसी भी प्रकार से यह विलक्षण और पवित्र वृत्ति दूषित और कलंकित नहीं हो। समाज में अनेक पेशे दुराचार में ग्रस्त है परंतु दुराचार का लांछन वकीलों पर मढ़ दिया जाता है। वकीलों ने हर युग में मानवता के हितार्थ कार्य किये है, स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज के इस युग में भी समतावादी सिद्धांत और मानवतावादी विचारों के लिए वकील पूरी तरह प्रयासरत है। भारतभर के समस्त राज्यों में अधिवक्ता परिषद कार्यरत हैं। ऑल इंडिया बार एसोसिएशन संपूर्ण भारत के वकीलों के हितों की रक्षा के लिए कार्य कर रही है। इन बार एसोसिएशन से वकीलों में एकजुटता बनी हुई है। वकीलों के भीतर मतभिन्नता है परंतु इतनी विविध मतभिन्नता के उपरांत भी वकीलों की एकता में कोई कमी नहीं है। अधिवक्ता एकता समाज में प्रसिद्ध है, वकील न्याय के साथ अपनी एकता के लिए भी जाने जातें हैं। वकीलों जैसी एकता पाने हेतु अन्य पेशे वकीलों को आदर्श की तरह प्रस्तुत करते हैं। महान भारत को गढ़ने में महत्ती भूमिका रखने वाले अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद को आज अधिवक्ता दिवस पर संपूर्ण अधिवक्ता समुदाय द्वारा श्रध्दा सुमन अर्पित हैं। Post Views: 181