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अवमानना मामले में प्रशांत भूषण को फिलहाल राहत, अब 10 सितंबर को नई पीठ करेगी सुनवाई

नयी दिल्ली: साल 2009 में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण द्वारा न्यायाधीशों पर टिप्पणी से जुड़े अवमानना मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. भूषण के वकील राजीव धवन ने मांग की कि इस मामले को संविधान पीठ को भेज दिया जाए. बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि इस मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है, मेरे पास समय की कमी है, इसलिए बेहतर होगा कि कोई और बेंच 10 सितंबर को मामले पर विचार करें. चीफ जस्टिस नई बेंच का गठन करेंगे.
दरअसल, जस्टिस मिश्रा 2 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं. इससे पहले अदालत ने कहा कि यह सजा का सवाल नहीं है, यह संस्था में विश्वास का सवाल है. जब लोग राहत के लिए अदालत में आते हैं और वो आस्था डगमगा जाती है तो यह एक समस्या बन जाती है.
इससे पहले वरिष्ठ वकील भूषण ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपने विवादित ट्वीट को लेकर बिना शर्त माफी मांगने से इनकार कर दिया था. अदालत में दिए अपने पूरक हलफनामे में प्रशांत भूषण ने कहा, ‘जब बतौर कोर्ट ऑफिसर मुझे लगता है कि इसमें भटकाव हो रहा है तो मैं आवाज उठाता हूं. वरिष्ठ वकील भूषण ने 22 जून को सीजेआई एसए बोबडे और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर टिप्पणी की थी. इसके बाद 27 जून के ट्वीट में प्रशांत भूषण ने सर्वोच्च न्यायालय के छह साल के कामकाज को लेकर टिप्पणी की थी. इन ट्वीट्स पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी. कोर्ट ने उन्हें नोटिस भेजा था, जिसपर जवाब में भूषण ने कहा था कि सीजेआई की आलोचना करना सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को कम नहीं करता है. उन्होंने कहा था कि पूर्व सीजेआई को लेकर किए गए ट्वीट के पीछे मेरी एक सोच है, जो बेशक अप्रिय लगे लेकिन अवमानना नहीं है…!