Uncategorisedदिल्लीनागपुरब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरराजनीतिशहर और राज्य आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की चेतावनी- जनसंख्या वृद्धि दर में अंतर से पैदा हो सकता है गंभीर संकट 15th October 2021 networkmahanagar 🔊 Listen to this नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने वार्षिक विजयादशमी संबोधन से पहले शुक्रवार को यहां अपने मुख्यालय में ‘शस्त्र पूजन’ किया। भागवत ने डॉ केशव बलिराम हेडगेवार और माधव सदाशिव गोलवलकर को भी पुष्पांजलि अर्पित की। आरएसएस ने ट्वीट किया- ‘सरसंघचालक, डॉ मोहन जी भागवत ने डॉ हेडगेवार और गुरुजी गोलवलकर की समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की। फिर उन्होंने अपना संबोधन दिया। RSS प्रमुख मोहन भागवत के संबोधन की प्रमुख बातें… मंदिरों की जमीन बेची गई। मंदिरों की संपत्ति हड़पी जाती है। जिन लोगों को हिंदू देवी देवताओं पर श्रद्धा नहीं है, उनके लिए हिंदू मंदिरों की संपत्ति का इस्तेमाल किया जाता है। हिंदुओं को भी आवश्यकता है, वह संपत्ति उनपर नहीं लगाई जाती है। सीमा पार से अवैध घुसपैठ पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जाए। राष्ट्रीय नागरिक पत्रिका का निर्माण कर इन घुसपैठियों को नागरिकता के अधिकारों से वंचित किया जाए। जनसंख्या नीति पर एक बार फिर से विचार किया जाना चाहिए। 50 साल आगे तक का विचार कर नीति बनानी चाहिए और उस नीति को सभी पर समान रूप से लागू करना चाहिए, जनसंख्या का असंतुलन देश और दुनिया में एक समस्या बन रही है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले- ‘ओटीटी प्लेटफार्म पर जो दिखाया जाता है, उस पर कोई नियंत्रण नहीं है, कोरोना के बाद बच्चों के पास भी फोन हैं। नशीले पदार्थों का प्रयोग बढ़ रहा है…इसे कैसे रोकें? ऐसे कारोबारों के पैसे का इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में किया जाता है…इन सब पर नियंत्रण होना चाहिए। विश्व को खोया हुआ संतुलन व परस्पर मैत्री की भावना देने वाला धर्म का प्रभाव ही भारत को प्रभावी करता है। यह ना हो पाए इसीलिए भारत की जनता, इतिहास, संस्कृति इन सबके विरुद्ध असत्य कुत्सित प्रचार करते हुए, विश्व को तथा भारत के जनों को भी भ्रमित करने का काम चल रहा है। जिस शत्रुता और अलगाव के कारण विभाजन हुआ उसकी पुनरावृत्ति नहीं करनी है। पुनरावृत्ति टालने के लिए, खोई हुई हमारे अखंडता और एकात्मता को वापस लाने के लिए उस इतिहास को सबको जानना चाहिए। खासकर नई पीढ़ी को जानना चाहिए। खोया हुआ वापस आ सके खोए हुए बिछड़े हुए वापस गले लगा सकें। जिस दिन हम स्वतंत्र हुए उस दिन स्वतंत्रता के आनंद के साथ हमने एक अत्यंत दुर्धर वेदना भी अपने मन में अनुभव की वो दर्द अभी तक गया नहीं है। अपने देश का विभाजन हुआ, अत्यंत दुःख़द इतिहास है वो, परन्तु उस इतिहास के सत्य का सामना करना चाहिए, उसे जानना चाहिए। हम ऐसी संस्कृति नहीं चाहते जो विभाजन को और लंबा करे, बल्कि वह संस्कृति जो राष्ट्र को एक साथ बांधे और प्रेम को बढ़ावा दे। इसलिए, जयंती, त्योहार जैसे विशेष अवसर एक साथ मनाए जाने चाहिए। ‘स्वाधीनता’ से ‘स्वतंत्रता’ तक का हमारा सफर अभी पूरा नहीं हुआ है। दुनिया में ऐसे तत्व हैं जिनके लिए भारत की प्रगति और एक सम्मानित स्थान पर उसका उदय उनके निहित स्वार्थों के लिए हानिकारक है। आरएसएस प्रमुख के विजयादशमी के संबोधन को संगठन के लिए सबसे महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है। उनके संबोधन के दौरान भविष्य की योजनाओं और दृष्टि को सभी के पालन हेतु सामने रखा जाता है। वहीं, राष्ट्रीय महत्व के कई मुद्दों पर आरएसएस के रुख को भी जाना जाता है। विभिन्न समुदायों में जनसंख्या वृद्धि दर में अंतर भविष्य में गंभीर संकट पैदा कर सकता है मोहन भागवत ने चेतावनी दी है कि देश के विभिन्न समुदायों में जनसंख्या वृद्धि दर में अंतर भविष्य में गंभीर संकट पैदा कर सकता है। वह आज नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की परंपरागत दशहरा रैली को संबोधित कर रहे थे। इस वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का 96वां स्थापना दिवस है। इस अवसर पर संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि की समस्या से सभी चिंतित हैं। तेज गति से बढ़ने वाली जनसंख्या भविष्य में कई समस्याओं को जन्म दे सकती है। इसलिए जनसंख्या नीति पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। उन्होंने 2015 में संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में पेश किए गए एक प्रस्ताव का हवाला देते हुए कहा कि 1951 से 2011 के बीच देश में देश की जनसंख्या में जहां भारत में उत्पन्न मतपंथों के अनुयायियों का अनुपात 88 फीसद से घटकर 83.8 फीसद रह गया है, वहीं मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9.8 फीसद से बढ़कर 14.23 फीसद हो गया है। हालांकि, COVID-19 महामारी के बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने वार्षिक विजयादशमी संबोधन के लिए किसी भी मुख्य अतिथि को आमंत्रित करने से परहेज किया है। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब आरएसएस ने यहां अपने सरसंघचालक द्वारा वार्षिक विजयादशमी संबोधन के लिए किसी अतिथि को आमंत्रित नहीं किया। कार्यक्रम में कोब्बी शोशनी, इजरायल के महावाणिज्य दूतावास (मुंबई) शामिल हुए। पिछले वर्षों में, विजयादशमी कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, एचसीएल प्रमुख शिव नादर और बाल अधिकार कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी सहित कई प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति देखी गई थी। बता दें कि दशहरा या विजयादशमी, हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अश्विन के महीने में नवरात्रि उत्सव के 9 दिनों के बाद 10 वें दिन मनाया जाता है। Post Views: 197