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सूरत में पीएम मोदी ने 200 करोड़ रुपए से बनने वाले हॉस्टल की आधारशिला रखी, बोले-विजयादशमी पर एक पुण्य कार्य का शुभारंभ

‘सबका साथ-सबका विकास’ का सामर्थ्य क्या होता है, ये मैंने गुजरात से सीखा है: प्रधानमंत्री

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुजरात के सूरत में सौराष्ट्र पटेल सेवा समाज द्वारा निर्मित छात्रावास फेज-1 (लड़कों का छात्रावास) का भूमि पूजन किया। पीएम मोदी ने सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लोगों को संबोधित भी किया।
बता दें कि इस छात्रावास में 1500 छात्रों के रहने की सुविधा होंगी। साथ ही एक सभागार और पुस्‍तकालय भी बनाया जाएगा। दूसरे चरण में अगले साल यहां 500 छात्राओं के रहने के लिए भी एक छात्रावास बनाया जाएगा।
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सौराष्ट्र पटेल सेवा समाज’ द्वारा आज विजयादशमी को एक पुण्य कार्य का शुभारंभ हो रहा है। मैं आप सभी को और पूरे देश को विजयादशमी की हार्दिक बधाई देता हूं। भगवान राम के अनुसरण का अर्थ है- मानवता का और ज्ञान का अनुसरण। इसलिए गुजरात की धरती से बापू ने रामराज्य के आदर्शों पर चलने वाले समाज की कल्पना की थी।

पीएम ने कहा, मुझे खुशी है कि गुजरात के लोग उन मूल्यों को मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं। सौराष्ट्र पटेल सेवा समाज द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में आज की गई एक पहल भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है। आज फेज-1 हॉस्टेल का भूमिपूजन हुआ है और 2024 तक दोनों फेज का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। कितने ही युवाओं, बेटे-बेटियों को आपके इन प्रयासों से एक नई दिशा मिलेगी, उन्हें अपने सपनों को साकार करने का अवसर मिलेगा।

भारत इस समय अपनी आजादी के 75वें वर्ष में है। ये अमृतकाल हमें नए संकल्पों के साथ ही, उन व्यक्तित्वों को याद करने की भी प्रेरणा देता है, जिन्होंने जनचेतना जागृत करने में बड़ी भूमिका निभाई। आज की पीढ़ी को उनके बारे में जानना बहुत आवश्यक जो लोग गुजरात के बारे में कम जानते हैं, उन्हें मैं आज वल्लभ विद्यानगर के बारे में भी बताना चाहता हूं। आप में से काफी लोगों को पता होगा, ये स्थान, करमसद-बाकरोल और आनंद के बीच में पड़ता है इस स्थान को इसलिए विकसित किया गया था ताकि शिक्षा का प्रसार किया जा सके, गांव के विकास से जुड़े कामों में तेजी लाई जा सके सबका साथ, सबका विकास का सामर्थ्य क्या होता है ये भी मैंने गुजरात से ही सीखा है। एक समय गुजरात में अच्छे स्कूलों की कमी थी, अच्छी शिक्षा के लिए शिक्षकों की कमी थी।

उमिया माता का आशीर्वाद लेकर, खोड़ल धाम के दर्शन करके मैंने इस समस्या के समाधान के लिए लोगों को अपने साथ जोड़ा। आप सभी के आशीर्वाद से मुझ जैसे अत्यन्त सामान्य व्यक्ति को जिसका कोई पारिवारिक या राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं था, जिसके पास जातिवादी राजनीति का कोई आधार नहीं था, ऐसे मुझ जैसे सामान्य व्यक्ति को आपने आशीर्वाद देकर गुजरात की सेवा का मौका 2001 में दिया था। आपके आशीर्वाद की ताकत इतनी बड़ी है कि आज 20 वर्ष से अधिक समय हो गया, फिर भी अखंड रूप से पहले गुजरात की और आज पूरे देश की सेवा करने का सौभाग्य मिला है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रोफेशनल कोर्सेस की पढ़ाई स्थानीय भाषा में कराए जाने का विकल्प भी दिया गया है। अब पढ़ाई का मतलब डिग्री तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पढ़ाई को स्किल के साथ जोड़ा जा रहा है। देश अपने पारंपरिक स्किल्स को भी अब आधुनिक संभावनाओं से जोड़ रहा है।