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ग्वालियर: ठिठुरते भिखारी को देख 2 डीएसपी ने रोकी गाड़ी, करीब जाने पर वो लिया नाम…तो पता चला पुलिस अफसर है ये!

ग्वालियर: एमपी उपचुनाव मतगणना की रात डेढ़ बजे सुरक्षा व्यवस्था में तैनात 2 डीएसपी सडक किनारे ठंड से ठिठुर रहे भिखारी को जूते और जैकेट दिए हैं। भिखारी को ठिठुरते देख दोनों पुलिस अधिकारी गाड़ी रोक कर उसके करीब गए। दोनों पुलिस अफसरों को अपने पास देख भिखारी ने उन्हें नाम से पुकारा। फिर बातचीत हुई तो दोनों ही पुलिस अधिकारी हैरान रह गए। उन्हें पता चला कि यह भिखारी हमारे बैच का पुलिस अफसर है। लेकिन पिछले 10 सालों से वह लवारिस हालात में घूम रहा है।
दरअसल, झांसी रोड इलाके में सालों से सड़कों पर लावारिस घूम रहा यह शख्स पुलिस अफसर रहा है। 1999 बैच का वह अचूक निशानेबाज पुलिस अफसर मनीष मिश्रा हैं। मनीष मिश्रा एमपी के विभिन्न थानों में थानेदार के रूप में पदस्थ रहे हैं। इस हालत में मनीष को देख उनके साथी भी हतप्रभ रह गए। मनीष के साथियों ने ये सपने में भी नहीं सोचा था कि वह इस हालत में मिलेंगे।

क्या है मामला?
मतगणना की रात को सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिह भदौरिया के उपर था। मतगणना पूरी होने के बाद दोनों विजयी जुलूस के रूट पर तैनात थे। इस दौरान बंधन वाटिका के फुटपाथ पर एक अधेड़ भिखारी ठंड से ठिठुर रहा था। उसे संदिग्ध हालत में देखकर अफसरों ने गाड़ी रोकी और उससे बात करने पहुंच गए। दयनीय हालत देख डीएसपी रत्नेश तोमर ने उन्हें अपने जूते और डीएसपी विजय सिंह भदौरिया ने अपनी जैकेट दे दी। जब दोनों अधिकारी जाने लगे तो भिखारी ने विजय सिंह भदौरिया को उनके नाम से पुकारा। दोनों अफसर हतप्रभ होकर एक-दूसरे को देखते रहे। दोनों ने उससे पूछा तो उसने अपना नाम मनीष मिश्रा बताया। मनीष दोनों अफसरों के साथ सन 1999 में पुलिस सब इंस्पेक्टर में भर्ती हुए थे। इसके बाद दोनों ने काफी देर तक मनीष मिश्रा से पुराने दिनों की बात की और अपने साथ ले जाने की जिद्द की। जबकि वह साथ जाने को राजी नहीं हुए।
समाजसेवी संस्था को भेजा
आखिर में अगले दिन समाजसेवी संस्था से मनीष मिश्रा को आश्रम भिजवा दिया, जहां मनीष मिश्रा की देखभाल की जा रही है। मनीष मिश्रा के भाई थी थानेदार हैं। पिता और चाचा एसएसपी से रिटायर्ड हुए हैं। वहीं, चचेरी बहन दूतावास में पदस्थ है।

2005 में बिगड़ी मानसिक स्थिति
मनीष मिश्रा ने 2005 तक पुलिस की नौकरी की है। आखिरी समय तक द थे। दतिया में मनीष पदस्थ थे। इसके बाद उनकी मानसिक स्थिति खराब हो गई और वो घर में नहीं रुके थे इतना ही नहीं इलाज के लिए जिन सेंटर और आश्रम में भर्ती कराया गया, वहां से भी मनीष मिश्रा भाग गए। परिवार को भी नहीं पता था कि वे किस हाल में हैं और कहां हैं। उनकी पत्नी से उनका तलाक हो गया है।
इस मामले डीएसपी रत्नेश तोमर का कहना है कि मनीष मिश्रा हमारे बैच के काबिल अफसर रह चुके हैं। वो अचूक निशानेबाज और एथलीट रहे हैं। उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, यह सबको पता है।