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जानिए…आखिर क्यों लगा महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन?

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग चुका है लेकिन अब भी कोई भी दल बहुमत की चिट्ठी लेकर राज्यपाल के समक्ष जा सकता है और सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है।

मुंबई: महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया है। यूं तो राज्यपाल ने भाजपा और शिवसेना के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी शरद पवार की एनसीपी को न्योता दिया था और समर्थन की चिट्ठी दिखाने के लिए मंगलवार रात 8.30 बजे तक का समय दिया था, लेकिन एनसीपी की ओर से दिन में करीब 11.30 बजे भेजी गई एक चिट्ठी ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन पर मुहर लगाने में अहम भूमिका निभाई। राकांपा ने इस चिट्ठी में लिखा था कि उसके पास अभी संख्याबल नहीं है, जिसे जुटाने के लिए और समय दिया जाए। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यरी ने यह चिट्ठी मिलने के बाद केंद्रीय कैबिनेट को जानकारी दी और कैबिनेट की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की अनुमति दे दी।

शिवसेना पहुंची सुप्रीम कोर्ट, नहीं हुई तत्काल सुनवाई
राज्यपाल के फैसले से नाखुश शिवसेना ने ताबड़तोड़ मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया। हालांकि पार्टी को उस समय झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इन्कार कर दिया। इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई हो सकती है। शिवसेना ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल को अपना वकील नियुक्त किया है। याचिका में कहा गया है कि शिवसेना के पास बहुमत है, लेकिन इसे साबित करने के लिए राज्यपाल ने पर्याप्त समय नहीं दिया।

राकांपा-कांग्रेस ने नहीं छोड़ी उम्मीद
वहीं राकांपा और कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी उम्मीद नहीं छोड़ी है। इस फैसले के बाद मंगलवार शाम शरद पवार ने मुंबई में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्किार्जुन खड़गे, वेणुगोपाल और अहमद पटेल से मुलाकात की।