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…तो अब आतंकियों की संपत्ति भी हो सकेगी जब्त

गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) विधेयक को लोकसभा से मिली मंजूरी…

सांकेतिक तस्वीर

नयी दिल्ली, द अनलॉफुल ऐक्टिविटीज (प्रिवेंशन) अमेंडमेंट बिल 2019 (UAPA) यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) विधेयक को बुधवार को लोकसभा से मंजूरी मिल गई। इसे 8 जुलाई को सदन में पेश किया गया था। बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकवाद के खिलाफ कड़े कानून की जरूरत पर जोर दिया। बिल में संगठनों के साथ-साथ आतंकी गतिविधियों में लिप्त व्यक्ति को भी आतंकी घोषित किए जाने का प्रावधान है। आइए जानते हैं कि UAPA बिल में क्या है खास

संगठनों के साथ-साथ व्यक्ति भी घोषित किए जा सकेंगे आतंकी
संशोधित कानून के तहत संगठनों के साथ-साथ व्यक्तियों को भी आतंकी घोषित किया जा सकेगा। कानून में इसका प्रावधान क्यों करने की जरूरत पड़ी, इसे खुद गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में बताया। शाह ने आतंकी यासीन भटकल का उदाहरण देते हुए कहा कि NIA ने उसके संगठन इंडियन मुजाहिदीन को आतंकवादी संगठन घोषित किया था लेकिन भटकल को आतंकवादी घोषित करने के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं था। गृह मंत्री ने कहा कि इसी का फायदा उठाते हुए भटकल ने 12 आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया।

1- आतंकी कृत्य को अंजाम दिए हों या उनमें शामिल हों।
2- आतंकवाद के लिए तैयारी कर रहे हों।
3- आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हों।
4- आतंकवाद में किसी भी तरह से शामिल रहे हों। बिल में आतंकवाद को स्पष्ट रूप से परिभाषित भी किया गया है।

आतंकियों और आतंकी संगठनों की संपत्तियां हो सकेंगी जब्त
संशोधित कानून के तहत आतंकी संगठनों या आतंकियों की संपत्तियां जब्त भी हो सकेंगी। इसके लिए जांच अधिकारी को संबंधित राज्य के डीजीपी की पूर्व अनुमति की जरूरत होगी। अगर मामले की जांच NIA का कोई अफसर कर रहा हो तो संबंधित संपत्ति को जब्त करने के लिए संबंधित राज्य के डीजीपी की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए बस NIA के महानिदेशक की मंजूरी काफी होगी।

आतंकवाद पर मोदी सरकार का सख्त संदेश
मोदी सरकार कई मौकों पर जोर देकर कहती आई है कि आतंकवाद पर उसकी नीति जीरो टॉलरेंस की है। UAPA बिल को लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी है। इससे पहले NIA संशोधन बिल को लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा की भी मंजूरी मिल चुकी है। उस बिल के तहत NIA को देश से बाहर दूसरे देशों में भी भारत के खिलाफ आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच का अधिकार मिल गया है।