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…तो अब मुफ्त की रेवड़ियां नहीं चाहती जनता, ऐसे ‘आप’ दा मुक्त हुई दिल्ली!

देश की राजधानी दिल्ली में हुए हालिया चुनाव के नतीजों ने राजनीतिक दलों के नेताओं की बंद आंखें खोल दी है। भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत और ‘आप’ की करारी हार के चर्चे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हो रहे हैं। दिल्ली की जिस जनता ने आम आदमी पार्टी और उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल को फर्श से अर्श पर पहुंचाया था, उसे 2025 के विधानसभा चुनाव में अपने हर्ष पर सोचने का भी मौक़ा नहीं दिया है।
वैसे, दो बार के क्लीन स्वीप के बाद इस करारी हार के मायने बिलकुल स्पष्ट हैं। वह यह कि जनता अब मुफ्त की रेवड़ियां नहीं चाहती। वह एक ऐसी बेहतर सरकार चाहती है, जो पारदर्शी तरीके से लोक कल्याण का काम करे न कि भ्रष्टाचार। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे यह बताते हैं कि वोटर्स कभी भी भ्रष्टाचार को हल्के में नहीं लेते।
वर्ष 2014 में कांग्रेस की लोकसभा चुनाव में करारी हार हो या फिर अब 2025 में आम आदमी पार्टी का यह हर्ष। भष्टाचार के छींटे उड़ते हैं, तो उसका सीधा असर चुनाव में दिखता ही है। भ्रष्टाचार एक ऐसा गंभीर मुद्दा होता है, जो सूपड़ा तक साफ करा देता है, इसका उदहारण कांग्रेस की हार की हैट्रिक से लिया जा सकता है। इसके साथ अब झूठे वायदों और चुनावी घोषणाओं का युग भी नहीं रहा, जनता सारा खेल समझ चुकी है और वो ‘खेला’ करके ही रहेगी। इसलिए सभी राजनीतिक दलों को जनता की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए फ्री की रेवड़ियां न बांट कर विकास के सकारात्मक कार्य करने होंगे, जनता का फीडबैक और यह नतीजे यही बयां करते हैं।
बहरहाल, हरियाणा और महाराष्ट्र के साथ अब दिल्ली में क्लीनस्वीप के इरादे से उतरी भाजपा अपने मकसद में पूरी तरह से कामयाब हो गई। दिल्ली में भाजपा को 48 सीटें मिली, जो कि बहुमत की सीटों (36) से कहीं ज्यादा है। आम आदमी पार्टी जो पिछले दो चुनावों में 60 प्लस सीटें लाकर सत्ता में रही, वह इस बार 22 पर ही सिमट गई। पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर आकर यह संकेत भी दे दिया है कि सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने के साथ-साथ अब वे ‘शीश महल’ से बाहर आकर जनता के दुख-सुख के साथ जुड़े रहेंगे और अपनी समाज सेवा जारी रखेंगे।

– राजेश जायसवाल