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न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक स्कैम: कोविड के समय से पूर्व जीएम मेहता कर रहा था पैसे की चोरी!

नेटवर्क महानगर/मुंबई
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक स्कैम मामले में आरबीआई द्वारा लिए गए फैसले से कई मध्यम वर्गीय खाताधारकों की नींद उड़ गई है। बैंक अचानक बंद होने से उनकी परेशानी बढ़ गई है। बैंक में हुए वित्तीय घोटाले के कारण लाखों कर्जदारों की भी हालत खराब हो गई है, क्योंकि रिजर्व बैंक ने इसके प्रबंधन पर छह महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। प्रतिबंध के बाद बैंक खाता सील कर दिया गया है। साथ ही आरोपी हितेश मेहता का अकाउंट भी सील कर दिया गया है।
अब इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने एक और दूसरे आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया है। जिसका नाम धर्मेश पौन है और पेशे से वह डेवेलपर है। जांच में पता चला कि धर्मेश ने इस मामले में गबन किये गए १२२ करोड़ रुपये में से ७० करोड़ रुपये लिए थे। ईओडब्ल्यू के मुताबिक, बैंक स्कैम का मुख्य आरोपी पूर्व जीएम हितेश प्रवीणचंद मेहता से धर्मेश पौन ने मई और दिसंबर २०२४ में १.७५ करोड़ रुपये और जनवरी २०२५ में ५० लाख रुपए लिए हैं।
इस मामले में पुलिस ने शनिवार को लंबी पूछताछ के बाद हितेश मेहता को गिरफ्तार किया था। दोनों आरोपियों को मुंबई के किला कोर्ट में पेश गया है। न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के पूर्व जीएम हितेश प्रवीणचंद मेहता जब दादर और गोरेगांव ब्रांच का प्रभारी था तब उसने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए दोनों शाखाओं के खातों से १२२ करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की थी। जब पैसे एक ब्रांच से दूसरे ब्रांच के लिए ट्रांसफर किए जाते थे उस दौरान हितेश मेहता चोरी की वारदात को अंजाम दिया करता था। आरोपी मेहता मनी ट्रांसफर के दौरान गाड़ी से पैसे निकालकर अपने घर ले जाता था। उसने दादर के प्रभादेवी हेड ब्रांच से ११२ करोड़ और गोरेगांव ब्रांच से १० करोड़ रुपये चुराए थे।

कैसे हुआ पूरा स्कैम?
न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के एक्टिंग चीफ एकाउंटिंग ऑफिसर देवर्षि घोष ने बताया कि उनकी दो शाखाएं एक प्रभादेवी और दूसरा गोरेगांव में स्थित हैं।दोनों के अलग-अलग फ्लोर पर कैश रखने के लिए एक तिजोरी बनी हुई है, जिसमें बैंक का पैसा रखा जाता है। आरबीआई की तरफ से बैंक की रेगुलर जांच होती है। इसी क्रम में १२ फरवरी को हुई जांच में प्रभादेवी ब्रांच से ११२ करोड़ और गोरेगांव ब्रांच से १० करोड़ रूपये कम मिले। आरबीआई की जांच के बीच हितेश मेहता बैंक में आया और आरबीआई के अधिकारियों से बातचीत की और कहा कि वह कोविड के समय से पैसे निकालते आ रहा है। इसके लिए वे खुद जिम्मेदार है और उसने निकाले पैसे अपने परिचितों को दे दिए हैं। हितेश के ऊपर बैंक का पूरा पैसा रखने की जिम्मेदारी थी। ऐसे में उसने आसानी से पैसा चोरी कर लिया। इसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने उन्हें हितेश मेहता के खिलाफ तुरंत मामला दर्ज करने का निर्देश दिया। तभी देवर्षि घोष ने १३ फरवरी को दादर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। जिसके आधार पर पुलिस ने एफआईआर फाइल की। इस काम में हितेश का साथ देने वाले व्यक्ति धर्मेश पर भी मामला दर्ज हुआ और अब उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है। अदालत ने दोनों आरोपियों हितेश मेहता और धर्मेश पौन को २१ फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है।