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पुणे: कसबा सीट से कांग्रेस के रवींद्र जीते; बीजेपी का 28 साल पुराना किला ढहा!

पुणे: पुणे की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ था। जिसकी मतगणना के बाद कसबा पेठ विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने बाजी मार ली है। कसबा 28 वर्ष बाद भाजपा से खिसका है। जिसको लेकर भाजपा उम्मीदवार हेमंत रासने ने कहा कि, उम्मीदवार के रूप में वे कम पड़ गए। जीत के बाद कांग्रेस को राज्य में नव संजीवनी मिली है।
कसबा पेठ उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर से हेमंत रासने और कांग्रेस की ओर से रविंद्र धांगेकर उम्मीदवार थे। इन दोनों के बीच कांटे की टक्कर माना जा रहा था। एक ओर भाजपा की परंपरागत सीट थी, जिस पर 28 वर्षों से कमल खिल रहा था। दूसरी ओर कांग्रेस के उम्मीदवार थे जिनके साथ महाविकास आघाड़ी के दल थे। यह सीट विधायक मुक्ता तिलक के निधन से रिक्त हुई थी। इस पर ऐसी आशा जताई जा रही थी कि, तिलक परिवार से किसी को टिकट दिया जा सकता है, परंतु भाजपा ने हेमंत रासने को टिकट दिया।

जानें- किसे कितना मत मिला?
कांग्रेस के रविंद्र धांगेकर को 73,194 मत मिले हैं, जबकि भाजपा के हेमंत रासने को 62,244 मत मिले। इसके बाद कांग्रेस के रविंद्र धंगेकर 11,040 मतों से विजयी घोषित कर दिये गए। रवींद्र महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के उम्मीदवार हैं जो कांग्रेस के गठबंधन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और शिवसेना के गठबंधन के साथ हैं। रविंद्र धांगेकर पांच बार नगरसेवक चुने जा चुके हैं। उन्होंने पुणे नगर निगम (पीएमसी) में दो बार शिवसेना और एमएनएस का प्रतिनिधित्व किया है।
वह 2017 में कांग्रेस में चले गए और कांग्रेस समर्थित स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुने गए। रवींद्र धांगेकर एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे के एक विश्वासपात्र थे और उन्हें पीएमसी में एमएनएस पार्टी का नेता भी बनाया गया था।

बता दें कि पुणे की कसबा और चिंचवड सीटों को बीजेपी के मजबूत किले के तौर पर पहचाना जाता रहा है। चिंचवड़ में तो कुछ अप्रत्याशित नहीं हुआ, लेकिन पुणे की कसबा सीट में एक नया इतिहास लिखा गया है। चिंचवड़ में बीजेपी की अश्विनी जगताप जीत गई हैं। पुणे के कसबा में कांग्रेस के रवींद्र धांगेकर ने बीजेपी के 28 साल पुराने किले को फतह कर लिया है।

आज मतगणना की शुरुआत से ही कांग्रेस प्रत्याशी रवींद्र धांगेकर आगे चल रहे थे। सिर्फ सातवें राउंड में हेमंत रसाने आगे चल रहे थे लेकिन उसके बाद के सभी राउंड में वे पिछड़ गए। खास बात यह रही कि बीजेपी ने चिंचवड़ और कसबा विधानसभा उपचुनावों के प्रचार के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। उनके लिए पूरी कैबिनेट ने प्रचार किया था।
पुणे में सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और कई केंद्रीय मंत्रियों ने चुनाव प्रचार किया था। हालांकि, उपचुनाव के नतीजों की बात करें तो हेमंत रसाने को इसका फायदा नहीं मिला। 28 वर्षों के बाद, कांग्रेस ने बीजेपी के पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र पर कब्जा जमा लिया है।