उत्तर प्रदेशदिल्लीमहाराष्ट्रमुंबई शहरराजनीतिशहर और राज्य ‘प्रधान सेवक’ का राष्ट्र के नाम सम्बोधन का यह कोई पहला मौका नहीं था जब पीएम मोदी शब्दों का सब्जबाग दिखा रहे हों! 17th May 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this सम्पादकीय… देश के ‘प्रधान सेवक’ यानी हम सबके भोलेभाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश को पांचवीं बार संबोधित किया। रात 8 बजे अपने संबोधन में पीएम मोदी ने लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया।हालांकि प्रधान सेवक ने कहा कि इन सबके जरिए देश के विभिन्न वर्गों को, आर्थिक व्यवस्था की कड़ियों को, 20 लाख करोड़ रुपए का संबल मिलेगा, सपोर्ट मिलेगा। 20 लाख करोड़ रुपए का ये पैकेज, 2020 में देश की विकास यात्रा को, ‘आत्मनिर्भर’ भारत अभियान को एक नई गति देगा।मंगलवार की रात पूरी दुनिया में करोड़ों लोग ‘आत्मनिर्भर’ का मतलब ढूढ़ने में लगे थे।प्रधान सेवक का राष्ट्र के नाम सम्बोधन का यह कोई पहला मौका नहीं था जब पीएम मोदी शब्दों का सब्जबाग दिखा रहे हों!जिस देश का प्रधानमंत्री इतनी बड़ी आपदा (कोरोना) जैसी महामारी को भी किसी अवसर में बदलने की सोच रखता हो उससे गरीब जनता को किसी प्रकार की अपेक्षा करना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है! राहत पैकेज का विभाजन…इसे जानने का एक सरल तरीका है। अगर देश की आबादी के ऊपर वाले 35 करोड़ लोगों को छोड़ दें तो फिर बाकी 100 करोड़ लोगों में हर एक को बीस लाख करोड़ रुपये से 20,000 रुपये दिये जा सकते हैं। इसका मतलब हुआ कि पांच जन के एक परिवार को 1 लाख रुपये का चेक दिया जा सकता है। एक लाख रुपये की ये रकम ऐसे 50 प्रतिशत परिवारों की सालाना आमदनी से भी कम है। कुल मिलाकर इसमें आम जनता को सीधे तौर पर तत्काल राहत मिलती नहीं दिख रही है।यहाँ अफसोस कीजिए कि मोदी जी के सब्जबाग में ‘बशर्ते’ शब्द भी आया है, वो किसी भारी पहाड़ के समान है। उसे लांघना ऐसा भी आसान नहीं कि पार उतरकर हम बीस लाख करोड़ रुपये के खर्चे से बनने जा रहे सब्जबाग की झांकी देख सकें। अपनी गांठ से रुपये निकालने के नाम पर सरकार ने आंकड़ों के साथ जो बाजीगरी की है, बजट की रकम को बढ़ा-चढ़ा कर बताने के जो निराले रास्ते निकाले है। उसे देखते हुए बीस लाख करोड़ रुपये की रकम पर यकीन करना भोलापन ही कहलाएगा। आज मुझे दिवंगत वित्तमंत्री अरुण जेटली की याद आ रही है, जो हिसाब-किताब जोड़ने-दिखाने के मामले में वैसी ही प्रतिभा दिखाया करते थे जैसे कोई कवि ‘राई को पहाड़’ साबित करने में दिखाता है और जहां तक वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का सवाल है, वो सच बोलने-दिखाने के मामले में परम परहेज बरतने के लिए याद की जायेंगी!वैसे तो भारत जैसे देश के लिए बीस लाख करोड़ रुपये बहुत बड़ी रकम है बशर्ते एक सुसंगत योजना हो कि रकम लॉकडाऊन की चपेट में आये सबसे कमजोर लोगों और अर्थव्यवस्था के सबसे खस्ताहाल हिस्से पर खर्च की जा सके, बशर्ते हम बीस लाख करोड़ रुपये के इस महापैकेज के बारे में कुछ पारदर्शिता बरते, बशर्ते कि रकम सचमुच दी जाये, खर्च की जाये…इसके लिए हमारे पास राजनीतिक के अलावा सामाजिक इच्छाशक्ति हो!पीएम के भाषण को लेकर यहाँ सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि देश की 133 करोड़ की आबादी ‘आत्मनिर्भर’ हो सकती तो सरकारों पर क्यों ‘निर्भर’ रहती? आपके हिस्से में कितना?अगर भारत की आबादी 133 करोड़ (1,33,00,00,000 – 133 के बाद सात शून्य) मानी जाए, तो इस हिसाब से हर एक के हिस्से में 15,037.60 रुपये आएंगे। अगर आबादी 130 करोड़ (1,30,00,00,000 – 13 के बाद आठ शून्य) मानी जाए, तो इस हिसाब से हर एक के हिस्से में 15,384.60 रुपये आएंगे। हालांकि यहां एक बात साफ कर दें कि यह आर्थिक प्रति व्यक्ति के हिसाब से नहीं बांटा जाएगा, ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। 20 लाख करोड़ में कितने जीरो?पीएम मोदी ने के 20 लाख करोड़ के पैकेज पर कई लोग यह भी जानने की कोशिश कर रहे हैं कि यह कुल कितनी रकम है और इसमें कितने शून्य आते हैं। इस सवाल पर कॉमेडियन कुणाल कामरा ने बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा पर तंज भी कसा है। आपको बता दें कि 20 लाख करोड़ को अगर संख्या यानी नंबरों में बदलें तो 20000000000000 होगा। Post Views: 231