ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्य महाराष्ट्र के प्राइमरी स्कूल टीचर ने जीता 7 करोड़ रुपये का अंतर्राष्ट्रीय इनाम! किया था ये शानदार काम… 6th December 20206th December 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this मेरा मानना है कि साथ मिलकर हम दुनिया को बदल सकते हैं क्योंकि साझा करने की चीज बढ़ रही है… लंदन/महाराष्ट्र: भारत के एक प्राइमरी स्कूल टीचर को गर्ल्स एजुकेशन को बढ़ावा देने एवं क्यूआर कोड (quick response – QR coded ) वाली पाठ्यपुस्तकों की क्रांति लाने में अहम भूमिका के लिए 10 लाख डॉलर (करीब 7.38 करोड़ रुपये) के वार्षिक ग्लोबल टीचर प्राइज, 2020 का विजेता घोषित किया गया है।महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के पारितेवादी गांव के रंजीत सिंह दिसाले (32) अंतिम दौर में पहुंचे दस प्रतिभागियों में विजेता बनकर उभरे हैं। ‘वारके फाउंडेशन’ ने असाधारण शिक्षक को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कृत करने उद्देश्य से 2014 में यह पुरस्कार शुरू किया था।दिसाले ने घोषणा की कि वह अपनी पुरस्कार राशि का आधा हिस्सा अपने साथी प्रतिभागियों को उनके अतुल्य कार्य में सहयोग के लिए देंगे। उन्होंने कहा, कोविड-19 महामारी ने शिक्षा और संबंधित समुदायों को कई तरह से मुश्किल स्थिति में ला दिया। लेकिन इस मुश्किल घड़ी में शिक्षक अपना बेस्ट दे रहे हैं ताकि हर विद्यार्थी को अच्छी शिक्षा सुलभ हो।उन्होंने कहा कि शिक्षक असल में बदलाव लाने वाले लोग होते है जो चॉक और चुनौतियों को मिलाकर अपने विद्यार्थियों के जीवन को बदल रहे हैं। वे हमेशा देने और साझा करने में विश्वास करते हैं। और इसलिए मैं यह घोषणा करते हुए खुश हूं कि मैं पुरस्कार राशि का आधा हिस्सा अपने साथी पुरस्कार के संस्थापक और परमार्थवादी सन्नी वारके ने कहा, पुरस्कार राशि साझा करके आप दुनिया को देने का महत्व पढ़ाते हैं। इस पहल के साझेदार यूनेस्को में सहायक शिक्षा निदेशक स्टेफानिया गियानिनि ने कहा, रंजीतसिंह जैसे शिक्षक जलवायु परिवर्तन रोकेंगे तथा और शांतिपूर्ण एवं न्यायपूर्ण समाज बनायेंगे। रंजीतसिंह जैसे शिक्षक असमानताएं दूर करेंगे और आर्थिक वृद्धि की ओर चीजें ले जायेंगे। दिसाले ने बच्चों की किताबों का किया मातृभाषा में अनुवाददरअसल, जब दिसाले 2009 में सोलापुर के पारितवादी के जिला परिषद प्राथमिक विद्यालय पहुंचे थे तब वहां स्कूल भवन जर्जर दशा में था तथा ऐसा लग रहा था कि वह मवेशियों की रहने की जगह और स्टोररूम के बीच का स्थान है। उन्होंने चीजें बदलने का जिम्मा उठाया और यह सुनिश्चित किया कि विद्यार्थियों के लिए स्थानीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तक उपलब्ध हों। उन्होंने न केवल पाठ्यपुस्तकों का विद्यार्थियों की मातृभाषा में अनुवाद किया जबकि उसमें विशिष्ट क्यूआर कोड की व्यवस्था की ताकि छात्र-छात्राएं ऑडियो कविताएं और वीडियो लेक्चर एवं कहानियां तथा गृहकार्य पा सकें। रंग लाई दिसाले की मेहनतदिसाले के प्रयास का फल यह हुआ कि तब से गांव में किशोरावस्था में ब्याहे जाने की घटना सामने नहीं आयी और विद्यालयों में लड़कियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित हुई। दिसाले महाराष्ट्र में क्यूआर कोड शुरू करने वाले पहले व्यक्ति बने और प्रस्ताव सौंपे जाने एवं प्रायोगिक योजना की सफलता के बाद राज्य मंत्रिमंडल ने 2017 में घोषणा की कि वह सभी श्रेणियों के लिए राज्य में क्यूआर कोड पाठ्यपुस्तकें शुरू करेंगी। Post Views: 188