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महाराष्ट्र: मराठा आरक्षण के लिए मदद करे केंद्र सरकारः अशोक चव्हाण

मुंबई: मराठा आरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित मंत्रिमंडलीय उप समिति के अध्यक्ष व राज्य के पीडब्लूडी मंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण बचाने के लिए केंद्र सरकार से भी सहयोग की अपेक्षा है।
शुक्रवार को मंत्रालय में पत्रकारों से बातचीत में चव्हाण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के अटार्नी जनरल को भी नोटिस जारी की है। इससे केंद्र सरकार के पास अच्छा मौका है कि वह मराठा आरक्षण को लेकर सकारात्मक भूमिका अपनाए। चव्हाण ने कहा कि आगामी 25 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण को लेकर सुनवाई होने वाली है। इसको लेकर राज्य सरकार ने भरपूर तैयारी की है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने आवेदन दे कर मराठा आरक्षण पर लगी रोक को हटाने की मांग करें।

30 साल के फैसले पर हो पुनर्विचार
पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण ने कहा कि 30 साल पहले इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता। यह फैसला 30 साल पहले आया था। इस लिए अब इस पर पुनर्विचार की जरुरत है। कांग्रेस नेता ने कहा कि इंदिरा साहनी मामले में फैसला देने वाला खंडपीठ 11 सदस्यों वाला था जबकि मराठा आरक्षण पर सुनवाई कर रहा मौजूदा खंडपीठ 5 जजो वाला है। इस लिए यह खंडपीठ 11 जजों वाले खंडपीठ के फैसले को नहीं पलट सकता। इसके लिए 9 अथवा 11 जजो वाली खंडपीठ का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में आरक्षण को नौवी सूची में संरक्षण है। इसी तरह केंद्र सरकार मराठा आरक्षण को संविधान की नौवी सूची में शामिल करे। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण लागू रहा तो देश के अन्य राज्यों में आरक्षण का मामला सुलझ जाएगा। चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं से अपील की है कि वे केंद्र में अपनी ताकत का इस्तेमाल कर मराठा आरक्षण के लिए एक जुटता दिखाएं। एक सवाल के जवाब में पूर्व सीएम चव्हाण ने कहा कि मैं आरक्षण की गेंद केंद्र के पाले में डालने की कोशिश नहीं कर रहा हूं। अब भाजपा के पास अच्छा मौका है कि वह मराठा आरक्षण के लिए आगे आए।