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…तो अब ‘हैलो’ नहीं ‘वंदे मातरम’ बोलेंगे महाराष्ट्र के सरकारी अधिकारी, सरकार ने जारी किया आदेश

मुंबई: आज गांधी जयंती (2अक्टूबर) से महाराष्ट्र सरकार अपने कार्यालयों में फोन पर ‘हेलो’ की बजाए ‘वंदे मातरम’ बोलने के अभियान की शुरुआत कर दी है. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कैबिनेट मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने वर्धा से इस अभियान की शुरुआत की. अब राज्य के सभी सरकारी, अर्धसरकारी कार्यालयों में कर्मचारी और अधिकारी फोन पर बातचीत की शुरुआत अब ‘हेलो’ की बजाए ‘वंदे मातरम’ से करेंगे.
महात्मा गाँधी की 153वीं जयंती पर महाराष्ट्र सरकार ने शनिवार को एक सरकारी संकल्प (Government Resolution) जारी किया, जिसमें सरकारी और सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्थानों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के लिए नागरिकों या सरकारी अधिकारियों को टेलीफोन या मोबाइल फोन कॉल रिसीव करते समय ‘हेलो’ के बजाय ‘वंदे मातरम’ का उपयोग करना अनिवार्य कर दिया गया.

भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार का कहना है कि ‘हेलो’ जैसे शब्‍द विदेशी हैं. ऐसे में इन शब्दों का त्याग करना जरूरी है. उन्होंने कहा क‍ि ‘वंदे मातरम’ सिर्फ एक शब्द नहीं है बल्कि हर भारतीय की भावना है.

क्या है सरकारी आदेश?
महाराष्ट्र सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी जीआर में कहा गया है कि सरकारी अधिकारी टेलीफोन या मोबाइल फोन कॉल पर बात करते समय ‘हैलो’ के बजाय ‘वंदे मातरम का’ इस्तेमाल करें. सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी जीआर में कहा गया है कि अधिकारी उनसे मिलने वाले आम लोगों से भी ऐसा करने के लिए जागरूकता पैदा करें. जीआर ने कहा, ‘हैलो’ शब्द पश्चिमी संस्कृति का शब्द है और केवल बिना किसी खास अर्थ के अभिवादन का तरीका है और इससे कोई स्नेह पैदा नहीं होता है.
गौरतलब है कि हाल ही में एकनाथ शिंदे की कैबिनेट में शामिल होने के तुरंत बाद महाराष्ट्र के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने यह प्रस्ताव पेश किया था. बाद में उन्होंने पीछे हटते हुए कहा था कि सरकारी कार्यालयों में अभिवादन के लिए राष्ट्रवाद को दर्शाने वाले किसी भी समकक्ष शब्द का इस्तेमाल किया जा सकता है.

विपक्षी दलों के नेताओं ने जताया एतराज!
समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अबू आसिम आजमी ने शिंदे सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा जानबूझकर ‘वंदे मातरम’ वाला आदेश लेकर आई है ताकि हिंदू-मुस्लिम के बीच में दरार आ जाए. अबू आजमी ने आगे कहा कि हम अपने देश को प्यार करते हैं लेकिन हमारा सिर केवल अल्लाह के सामने झुकता है. हम कभी भी ‘वंदे मातरम’ नहीं बोलेंगे.

एकनाथ शिंदे जी मैं आपसे पूछना चाहता हूँ- आप जिनके शिवसैनिक हैं, वो बालासाहेब ठाकरे, मैं लाइफ में एक दो बार जब भी उनसे मिला था उन्होंने ‘जय महाराष्ट्र’ बोलकर अभिवादन किया था, लेकिन आज ‘जय महाराष्ट्र’ के बजाए ‘वंदे मातरम’ बोलने के GR से लगता है कि आप भाजपा और RSS के दबाव में आ गए हैं जो सिर्फ लोगों को बांटना जानते है. उन्होंने आगे कहा कि ‘जय महाराष्ट्र’ बोलना देशद्रोह है क्या? हम सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा बोलते हैं, ‘जय हिंद’ बोलते हैं…क्या इससे कहीं भी देश के खिलाफ नफरत नज़र आती है? अगर कोई सच्चा मुलमान है तो वह खुदा के अलावा किसी के आगे सिर नहीं झुकाएगा और इसमें देशद्रोह नहीं है.

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) विधायक वारिस पठान ने महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि शिंदे सरकार सिर्फ जनता का असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए नया ड्रामा क्रिएट कर रही है. वारिस पठान ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, अगर हम ‘वंदे मातरम’ नहीं कहेंगे तो आप क्या करेंगे? क्या वंदे मातरम बोलने से लोगों को नौकरी मिलेगी? क्या किसानों का कर्ज माफ होगा? महंगाई कम होगी? वहीं कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने कहा है कि सिर्फ ‘वंदे मातरम’ बोलने से किसी में देशभक्ति की भावना नहीं जागती.