ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्य मुंबई: अवैध निर्माण रोकने को लेकर उठाए गए कदमों को लेकर हाईकोर्ट ने 5 महानगरपालिकाओ से मांगा जवाब 15th October 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण को रोकने को लेकर उठाए गए कदमों के बारे में राज्य की 5 महानगरपालिकाओं से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने इस बारे में महानगरपालिकाओ को आंकड़ों के साथ जानकारी देने को कहा है। हाईकोर्ट ने पिछले दिनों भिवंडी इलाके में गिरी तीन मंजिला इमारत हादसे को बेहद गंभीर घटना बताते इस हादसे का स्वतः संज्ञान लिया था। इसके साथ ही इस मामले में राज्य सरकार सहित, भिवंडी निजामपुर, कल्याण डोम्बिवली, ठाणे, नवी मुंबई व मुंबई महानगरपालिका को नोटिस जारी किया था।गौरतलब है कि भिवंडी में गिरी तीन मंजिला इमारत के चलते 40 लोगों की मौत हो गई थी। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ के सामने इस मामले से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने मामले को लेकर मुंबई महानगरपालिका की ओर से दायर किए गए हलफनामे पर गौर करने के बाद पाया कि उसमें अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई को लेकर ठोस जानकारी नहीं है। इसके बाद खंडपीठ ने भिवंडी व ठाणे सहित पांच महानगरपालिकाओं को हलफनामा दायर करने को कहा। इससे पहले राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि अवैध निर्माण को रोकने के लिए राज्य सरकार ठोस नीति बनाएगी और उसके आधार पर सभी महानगरपालिकाओं को उपयुक्त निर्देश जारी किए जाएगे। क्योंकि अवैध निर्माण के चलते कई बार निर्दोष लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हाईकोर्ट ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से मांगा जवाबबॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से जानना चाहा है कि क्या उसकी वेबसाइट में आरटीआई (सूचना का अधिकार) कार्यकर्ता से जुड़ी निजी जानकारी डाली गई थी। हाईकोर्ट ने यह जवाब आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान मांगा।गुरुवार को न्यायमूर्ति नीतिन जामदार की खंडपीठ के सामने गोखले की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में गोखले ने दावा किया है कि उसकी निजी जानकारी सूचना प्रसारण मंत्रालय की वेबसाइट में नवंबर 2019 में डाली गई थी। जिसे इस साल सितंबर 2020 में हटाया गया है। वेबसाइट में मेरी निजी जानकारी सार्वजनिक करने से मुझे मानसिक यातना का सामना करना पड़ा है। इसलिए मुझे 50 लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया जाए।गौरतलब है की गोखले ने कोरोना के मद्देनजर अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन पर रोक लगाने को लेकर भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान मंत्रालय की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रुई रॉड्रिक्स ने कहा कि आरटीआई कार्यकर्ताओ की निजी जानकारी न डालने को लेकर साल 2016 निर्देश जारी किए गए है। लेकिन जब याचिकाकर्ता का नाम वेबसाइट पर था तब तक सूचना प्रसारण को इस संबंध में जारी नोटिस नहीं मिली थी। जानकारी मिलने के बाद याचिकाकर्ता का नाम हटा दिया गया है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि सिर्फ याचिकाकर्ता का ही नाम वेबसाइट में था या अन्य लोगों का भी। हम इस बारे में स्पष्टीकरण चाहते है। और याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी। सार्वजनिक प्राधिकरण व अर्ध न्यायिक संस्थानों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ऑनलाइन काम करने का निर्देशराज्य सरकार ने सभी सार्वजनिक प्राधिकरण व अर्ध न्यायिक संस्थानों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ऑनलाइन काम करने का निर्देश जारी किया है। राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में परिपत्र जारी किया है।दरअसल, इस विषय को लेकर जाने माने आरटीआई कार्यकर्ता (सूचना का अधिकार) शैलेश गांधी सहित 6 आरटीआई कार्यकर्ताओं ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि कोरोना के चलते कई सार्वजनिक प्राधिकरण व अर्ध न्यायिक संस्थान नहीं काम कर रहे है। जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। याचिका के मुताबिक सामाजिक दूरी का पालन करते हुए ऑनलाइन तरीके से काम किया जा सकता है। श्री गांधी ने इस बारे में नोटिस भेजकर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया था। लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया इसलिए उन्हें कोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी। गांधी के मुताबिक राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने 13 अक्टूबर 2020 को सभी सार्वजनिक प्राधिकरणों को ऑनलाइन कार्य करने का निर्देश जारी किया है। जहां तकनीकी परेशानी के चलते ऑनलाइन सुनवाई सम्भव नहीं है वहां प्रत्यक्ष सुनवाई करने को कहा गया है। Post Views: 199