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मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह भगोड़ा घोषित! एक महीने बाद जब्त होंगी प्रॉपर्टीज

मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ की वसूली का आरोप लगाने वाले मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह अपने ही जाल में फंस गए है। मुंबई की किला कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया है। भ्रष्टाचार और वसूली के कई मामलों में वे आरोपी थे। कई बार बुलाने के बावजूद वह मुंबई पुलिस और SIT टीम के सामने पेश नहीं हो रहे थे। हालांकि, उन्हें पिछले साल गोरेगांव में दर्ज रंगदारी के एक केस में फरार घोषित किया गया है।
महाराष्ट्र गृह विभाग ने उन्हें फरार घोषित करने के लिए पिछले सप्ताह मुंबई की किला कोर्ट का रुख किया था। बुधवार को स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर शेखर जगताप ने कहा है कि आज से 30 दिन के अंदर यदि ‘परमबीर’ सामने नहीं आते हैं, तो उनकी प्रॉपर्टीज को जब्त करने का काम शुरू होगा।
सूत्रों के मुताबिक, गृह विभाग ने मई से फरार चल रहे परमबीर को सस्पेंड करने का भी प्रस्ताव दिया है। गृह विभाग ने उनके खिलाफ एंटीलिया विस्फोटक मामले में चूक के लिए विभागीय जांच की कार्रवाई भी शुरू कर दी है।

9 लाख की वसूली के केस में भगोड़े घोषित हुए हैं परमबीर
पिछले साल मुंबई के एक बार ओनर विमल अग्रवाल ने पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह, पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वाझे, सुमीत सिंह उर्फ चिंटू, अल्पेश पटेल, विनय सिंह उर्फ बबलू और रियाज भाटी पर उनसे 9 लाख वसूलने का केस दर्ज करवाया था।
इस मामले में मुंबई के गोरेगांव पुलिस ने कई बार परमबीर सिंह को पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए। जिसके बाद पहले उनके खिलाफ जमानती और फिर गैर जमानती वारंट जारी हुआ था। विमल अग्रवाल का अंधेरी स्थित ओशिवरा इलाके में बीसीडी रेस्टोरंट एंड बार है। विमल अग्रवाल ने अपनी शिकायत में कहा है कि परमबीर सिंह ने बार चलाने के लिए उनसे नौ लाख रुपये और मोबाइल फोन रंगदारी के रूप में लिए थे। इस मामले की गहन छानबीन जारी है।

कई बार चंडीगढ़ गई पुलिस की टीम
इससे पहले गृह विभाग परमबीर के गायब रहने की जानकारी इंटेलिजेंस ब्यूरो को भी दे दी थी। गौरतलब है कि परमबीर सिंह मई महीने से स्वास्थ्य के कारणों का हवाला देते हुए छुट्टी पर जाने के बाद से ही लापता हैं। गृह विभाग ने सिंह को उनके चंडीगढ़ स्थित आवास पर कई पत्र भेजे और उनके ठिकाने के बारे में पूछताछ भी की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है।
पिछले महीने, राज्य के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने कहा था कि वे IPS अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियमों के प्रावधानों को देख रहे हैं।

ठाणे पुलिस ने जारी किया था लुकआउट नोटिस
ठाणे पुलिस ने भी पिछले जुलाई महीने में परमबीर सिंह के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था। वह पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ उनके द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए प्रदेश सरकार द्वारा गठित चांदीवाल आयोग के सामने पेश होने में बार-बार विफल रहे हैं। जिसके बाद पहले उनके खिलाफ 5 फिर 25 और फिर 50 हजार का जुर्माना लगाया था। इसके बावजूद जब परमबीर पेश नहीं हुए तो उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी हुआ था।

परमबीर के खिलाफ जांच कर रही है SIT
सरकार के गृह विभाग ने परमबीर सिंह के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए 7 सदस्यीय SIT टीम गठित की थी। इस टीम की अध्यक्षता डीसीपी स्तर के अधिकारी कर रहे हैं। अग्रवाल के खिलाफ जुहू पुलिस स्टेशन में दर्ज मकोका के केस की जांच भी SIT की टीम करेगी। परमबीर के कमिश्नर रहने के दौरान अग्रवाल पर छोटा शकील से संबंध होने का आरोप लगाते हुए मकोका का केस हुआ था।

परमबीर के खिलाफ दर्ज हैं पांच मामले
एनआईए के अलावा स्टेट सीआईडी और ठाणे पुलिस ने परमबीर के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया है। सिंह के खिलाफ अब तक 5 मामले दर्ज हैं, जिनमें से एक की जांच मुंबई, एक की ठाणे और तीन मामलों की जांच स्टेट सीआईडी कर रही है।