ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई उपनगरमुंबई शहरव्यवसायशहर और राज्य मुंबई के 50 पर्सेंट स्कूलों में डिब्बावालों की नो एंट्री… 21st May 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई में डिब्बावालों की शिकायत है कि आधे से ज्यादा स्कूलों ने बच्चों को दिए जाने वाले टिफिन की डिलिवरी रोक दी है। स्कूलों ने इसके पीछे सुरक्षा कारणों को वजह बताया है। हालांकि, टिफिन पहुंचाने वाले सप्लायर्स का कहना है कि ज्यादातर कॉन्वेन्ट स्कूल बच्चों को मजबूर कर रहे हैं कि वे स्कूल की कैंटीन का ही खाना खरीदें और वही खाएं।टिफिन सप्लायर रघुनाथ मेगड़े कहते हैं, शहर के लगभग 50 पर्सेंट स्कूलों (ज्यादातर कॉन्वेन्ट) ने डिब्बावालों की एंट्री रोक दी है। एक समय हम लोग मुंबई के स्कूलों में एक लाख टिफिन पहुंचाते थे लेकिन अब यह संख्या घटकर 20,000 आ गई है। पिछले दो से तीन साल के बीच लगातार घटती संख्या से टिफिन सप्लायर्स परेशान हैं। इस साल गर्मी में टिफिन की संख्या सबसे कम हो गई है।मुंबई डिब्बावाला असोसिएशन के सुभाष तालेकर ने एक प्रेस नोट जारी किया है। प्रेस नोट में कहा गया है, एक तरफ स्कूलों मे जंक फूड बैन किए जा रहे हैं, दूसरी ओर बच्चों को घर का खाना लाने से भी मना किया जा रहा है। स्कूल बच्चों को मजबूर कर रहे हैं कि वे सिर्फ कैंटीन का खाना खरीदकर ही खाएं। इससे पहले इसी तरह स्कूलों ने किताबें, जूतों और यूनिफॉर्म भी एक निश्चित जगह या खुद के पास से खरीदने के लिए कहा। डिब्बावालों का कहना है कि स्कूल इस तरीके से कैंटीन कॉन्ट्रैक्टर्स के साथ मिलकर पैसे कमाना चाहते हैं। सुभाष तालेकर ने स्कूलों की लिस्ट भी जारी की है जिसमें जीडी सोमानी (कोलाबा), क्वीन्स मेरी (ग्रैंड रोड), बंगाली स्कूल जैसे नामी स्कूल शामिल हैं। डिब्बावालों के इस आरोप पर सेंट टरीजा स्कूल के ऐंथनी फर्नांडीज का कहना है कि कॉन्वेन्ट स्कूलों का समय अब पांच घंटे का हो गया है और बच्चे लंच के समय अपने घर पहुंच जाते हैं। स्कूलों ने बताए टिफिन बैन करने के कारण जी डी सोमानी स्कूल के प्रिंसिपल ब्रियन सेमोर ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा है, हमने कभी स्कूल में टिफिन सर्विस की परमिशन ही नहीं दी। सुरक्षा कारणों से भी यही जरूरी है और पैरंट्स भी यही चाहते हैं। हमारे यहां कैंटीन है लेकिन कैंटीन से खाना खरीदना कोई बाध्यता नहीं है। बच्चे घर से खाना ला सकते हैं।लैमिंगटन रोड पर रहने वाले अतीत और आशा वेंगरुलेकर का बेटा सेंट जेवियर्स स्कूल में और एक बेटी क्वीन्स मेरी स्कूल में पढ़ती है। दोनों ही स्कूलों में डिब्बावालों पर बैन है। जेवियर्स के पैंरट्स टीचर असोसिएशन की सदस्य आशा कहती हैं, आजकल सुरक्षा हालतों को देखते हुए यह स्कूलवाले क्यों डिब्बावालों को परमिशन नहीं दे रहे हैं। पहला कारण है कि डिब्बावालों के पास कोई आईडी कार्ड नहीं होता है। Post Views: 189