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मुंबई पुलिस आयुक्त का दावा- रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनल रोजाना 500 रुपए देकर बढ़वाते थे TRP, 2 गिरफ्तार

मुंबई: मुंबई पुलिस ने ‘फॉल्स टीआरपी रैकेट’ का खुलासा किया है। गुरुवार को आयोजित संवाददाता सम्मलेन में मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने ‘रिपब्लिक टीवी’ फेक टीआरपी को आरोपी मानते हुए कहा कि चैनल ने पैसे देकर रेटिंग बढ़ाई। टीआरपी रैकेट के जरिए पैसा देकर TRP को मैन्युपुलेट किया जाता था। मुंबई पुलिस को दो और अन्य चैनलों का पता चला है, जिनके नाम ‘फख्त मराठी’ और ‘बॉक्स सिनेमा’ हैं। मामले के आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड सहिंता यानी आईपीसी की धारा 409 और 420 के तहत कार्रवाई की जा रही है।
मुंबई पुलिस ने कहा कि ये चैनल पुलिस के खिलाफ एजेंडा चला रहे थे। रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनल पैसे देकर फर्जी टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स (TRP) खरीदते थे। इन चैनलों की जांच की जा रही है। इस मामले में अब तक 2 गिरफ्तारी भी हुई है। पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा करने का आरोपी बनाया गया है।
सीपी परमबीर सिंह ने बताया कि 30 से 40 हजार करोड़ रुपए के विज्ञापन टीवी इंडस्ट्री में आते हैं और TRP के आधार पर ही विज्ञापन के रेट तय किए जाते हैं। इसकी मॉनिटरिंग करने के लिए एक संस्था BARC है। BARC ने इन बैरोमीटर की निगरानी के लिए एक करार किया है। पुलिस ने बताया कि हंसा नाम की कंपनी के कुछ पूर्व कर्मचारी कुछ चैनलों के साथ इस डेटा से छेड़छाड़ कर रहे थे। वे डेटा में हेरफेर करने में संलिप्त थे। वे कुछ घरों में कुछ चैनलों को रखने के लिए कहते थे भले ही वे घर पर न हों। पुलिस के अनुसार, कुछ मामलों में यह भी पाया गया कि अशिक्षित घरों को अंग्रेजी चैनल देखने के लिए कहा गया था।
परमबीर सिंह ने कहा कि हमने इस केस में अब तक 2 लोगों को गिरफ्तार किया है और उन्हें अदालत में पेश किया गया है और हमें उनकी हिरासत मिल गई है। पुलिस ने कहा कि आरोपी कुछ परिवारों को रिश्वत देते थे और उन्हें अपने घर पर कुछ चैनल चलाए रखने के लिए कहते थे। पुलिस आयुक्त ने बताया कि एक आरोपी के पास से 20 लाख रुपये जब्त किए गए जबकि बैंक लॉकर में 8.5 लाख रुपये पाए गए। हमारी जानकारी में हमें सबूतों के संबंध में 3 ऐसे चैनल मिले हैं जो इसमें शामिल थे। 3 में से 2 के नाम हैं फख्त मराठी और बॉक्स सिनेमा। ये दोनों छोटे चैनल हैं। इन चैनलों के मालिकों को हिरासत में ले लिया गया है।

काटनी पड़ सकती है 1 साल जेल
बता दें कि फेक टीआरपी का दोषी पाए जाने पर एक साल की अवधि के लिए जेल की सजा दी जा सकती है, जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है। साथ ही दोषी पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है या फिर दोनों भी। कानून के जानकारों का मानना है कि यह एक गैर-जमानती संज्ञेय अपराध है, जिसे किसी भी न्यायाधीश द्वारा सुना जा सकता है। यह अपराध न्यायालय की अनुमति से पीड़ित व्यक्ति द्वारा समझौता करने योग्य है।

क्या है आईपीसी की धारा 420
अगर कोई भी किसी व्यक्ति को धोखा दे, बेईमानी से किसी भी व्यक्ति को कोई भी संपत्ति दे या ले। या किसी बहुमूल्य वस्तु या उसके एक हिस्से को धोखे से खरीदे-बेचे या उपयोग करे या किसी भी हस्ताक्षरित या मुहरबंद दस्तावेज़ में परिवर्तन करे, या उसे बनाए या उसे नष्ट करे या ऐसा करने के लिए किसी को प्रेरित करे तो वह भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के अनुसार दोषी माना जाता है।

क्या है आईपीसी की धारा 409
किसी लोक सेवक या बैंक कर्मचारी, व्यापारी या अभिकर्ता के विश्वास का आपराधिक हनन करने पर भारतयी दंड संहिता की धारा 409 के तहत कार्रवाई की जाती है। आईपीसी की धारा 409 के अनुसार, जो भी कोई लोक सेवक के नाते अथवा बैंक कर्मचारी, व्यापारी, फैक्टर, दलाल, अटॉर्नी या अभिकर्ता के रूप में किसी प्रकार की संपत्ति से जुड़ा हो या संपत्ति पर कोई भी प्रभुत्व होते हुए उस संपत्ति के विषय में विश्वास का आपराधिक हनन करता है, उसे दोषी करार दिया जा सकता है।